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Wednesday, November 05, 2014

sautela 8

समीर के हाथ उसके कुलहो पर फिसल रहे थे , उसने साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया, और कमर में फसी हुई साडी खोल कर नीचे गिरा दी.

उसके मोटे-२ मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे समीर को, उसने अपने हाथों को उसके उरोजों के नीचे रखा और धीरे से बोला : "इन्ही दशहरी आमों ने मुझे तुम्हारा दीवाना बनाया है ''

उसकी बात सुनकर रश्मि शर्माती हुई समीर के सीने से लिपट गयी..

समीर ने एकदम से रश्मि के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उन्हें बुरी तरह से चूसने लगा..

समीर के हाथ रश्मि के शरीर पर फिसल रहे थे, उसके मुम्मो को मसल रहे थे, 

उसने रश्मि को चूमते-२ ही उसके ब्लाउस के हुक खोल दिए ,और उसकी ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसके स्तनों को नंगा कर दिया..

और फिर अपना चेहरा नीचे करते हुए उसने एक-२ करते हुए रश्मि के नन्हे बच्चो को बेतहाशा प्यार किया .

उसके हाथ रश्मि के कूल्हों को मसल रहे थे , उसके पेटीकोट को ऊपर करते-२ उसे कमर तक ले आये, और एक ही झटके से समीर ने रश्मि कि पेंटी को दोनों तरफ से खींच कर उसकी चूत और गांड के बीच ऐसे फंसा दिया जैसे कोई पतली सी रस्सी , अपनी दरारों पर पेंटी का दबाव पड़ते ही रश्मि तड़प उठी और अपने पंजों पर खड़ी होकर सीत्कार उठी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म ''

पर समीर से अब सब्र नहीं हो रहा था, इतने सालो तक अपनी पत्नी से अलग रहने के बाद उसने आज तक बाहर मुंह नहीं मारा था, और आज उससे सब्र नहीं हो रहा था ..


रश्मि का भी लगभग यही हाल था, उसे आज लगभग पांच साल बाद किसी मर्द ने इस तरह से पकड़ा था, वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके लंड पर रगड़ती जा रही थी , और उसके मुंह से अजीब -२ सी आवाजें भी निकल रही थी.. 

और ये सब नजारा बाहर छुपी हुई दो जवान लड़कियां अपना मुंह फाड़े देख रही थी.. 

श्वेता तो रश्मि के मुम्मे देखकर बुदबुदा उठी : "वाव, क्या ब्रेस्ट है तेरी माँ कि, उम्म्म्म्म्म्म्म ''

उसका मन कर रहा था कि अंदर जाए और उन्हें चूस डाले. 

समीर ने एक ही झटके में रश्मि का पेटीकोट भी नीचे गिरा दिया, और फिर नीचे बैठते हुए उसकी पेंटी भी नीचे तक उतार दी.. 

अब वो रश्मि कि चूत के आगे घुटनो के बल बैठा हुआ था , उसकी चकनी चूत को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और उसने अपना मुंह वहाँ लगा दिया..

रश्मि का पूरा शरीर थरथरा उठा.... 

उसके पति ने भी आज तक उसकी चूत नहीं चूसी थी, ये पहला मौका था जब उसकी चूत को किसी के होंठों ने छुआ था 

उसने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना एक पैर उठा कर समीर के कंधे के पीछे कर दिया, और अपनी खुली हुई चूत के अंदर समीर कि जीभ को पूरी तरह से महसूस करने लगी..

काव्या को ऐसा लगने लगा कि उसकी चूत के अंदर चींटियाँ रेंग रही है, उसने हाथ फेरा तो पाया कि वहाँ से कुछ गीला -२ निकल रहा है.

और यही हाल श्वेता का भी था, उसने तो अपने पायजामे के अंदर हाथ डालकर अपनी चूत सहलानी भी शुरू कर दी थी.. 

रश्मि से अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था , वो पीछे कि तरफ होती गयी और पलंग पर जाकर पीठ के बल लेट गयी, गुलाब कि पंखुड़ियों से सजी उस सेज पर एक तूफ़ान सा आ गया जब समीर ने रश्मि कि दोनों टांगो को फेला कर अपनी जीभ को किसी लंड कि तरह उसकी चूत के अंदर उतार दिया और बुरी तरह से ऊपर नीचे होकर उसे चोदने लगा.. 

बालकोनी में छुपी हुई श्वेता और काव्या का बुरा हाल था , काव्या तो नीचे बैठी थी, और श्वेता उसकी पीठ के पीछे खड़ी थी, श्वेता ने ना जाने कब अपने पायजामे को नीचे खिसका कर अपनी चूत को नंगा कर लिया था, इस बात का काव्या को भी अंदाजा नहीं था..

अंदर का माहोल और भी गर्म हो गया जब समीर ने उठ कर अपना कोट पेंट उतार फेंका और अपने लंड को निकाल कर रश्मि के सामने लहरा दिया 

और उस लंड-भसंद को देखकर रश्मि के साथ -२ काव्या और श्वेता कि आँखे भी फट गयी .

लगभग आठ इंच का लंड था समीर का और तीन इंच मोटा..

रश्मि ने आज तक लंड नहीं चूसा था पर अपनी चूत चुस्वा कर आज उसे इतना मजा आया था कि उसने झट से उसके लंड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर जोरों से चूसने लगी..

समीर के मुंह से एक लम्बी आआअह निकल गयी

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