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Thursday, August 28, 2014

धुमिया =७



अपना घर और अपना बिस्तर- तकिया ना हो तो मुझे ठीक से नींद नही आती और वैसे भी मैं तो माई ने तो मुझे क़ैद करके रखा था- 'भेंट चढ़ने के लिए '- यह शायद देशी शराब का असर था कि मुझे थोड़ी नींद आ गई | लेकिन आँख खुलते के साथ ही, मैं मानो अपने हालत से दोबारा वाकिफ़ हो गई |
माई के कहे अनुसार मुझे आज से कुछ ख़ास नियम क़ानूनो को मान कर चलना था ...

कुछ भी हो इस गाँव की आबोहवाह में ऐसी ताज़गी थी जो कि शहर के वातावरण में नही होती हैआज घने बादल भी छाए हुए थे बिजली भी कड़क रही थीलगता है कि ज़ोरों की बारिश होने वाली है |

मैंने धीरे धीरे उठ कर कमरे के बाहर आँगन में कदम रखामाई तब भी सो रही थी किसी भी दरवाज़े पर कोई भी ताला नही था,पर मैं भाग भी नही सकती थीक्योंकि माई का टोटके की वजह से मैं अपने बदन पर कोई कपड़ा नही पहन सकती थी... बिना कपड़ो के इस वीरान इलाक़े से बाहर जाना नामुमकिन है |

मैं यह सब सोच ही रही थी कि अचानक मेरा ध्यान कहीं दूर से आ रही मंदिर की घंटियों और शंख की आवाज़ पर गया मैं आवाज़ को सुनती हुई ना जाने कब घर के पिछले दरवाज़े से निकल कर जो पतला सा रास्ता शौचालय की तरफ जाता था-वहाँ खड़ी हो कर जंगल कि तरफ़ देखने लगी कि मंदिर की घंटियों, ढाक ढोल की आवाज़ की आवाज़ और शंख ध्वनि जो मेरे अंदर एक जोश सा भर रही है - किस तरफ से आ रही है... मुझे लगा कि कुछ ही दूर ज़रूर कहीं माँ काली का कोई मंदिर होगा |


जहाँ सुबह सुबह आरती हो रही हैमैने तालाब में उतर कर एक डुबकी लगाई और अपने हाथ जोड़ कर माँ काली का स्मरण किया - "हे माँ काली, मेरी रक्षा करो..."

तभी ज़ोर से बिजली कड़क उठी और तेज़ बारिश शुरू हो गई |

मैं तालाब के पानी से निकल कर माई के घर के आँगन में गई और जल्दी जल्दी आँगन में सूख रहे माई के कपड़ों को उतारने लगी,फिर घर के बरामदे में आ कर एक गमछा ले कर अपने बाल और बदन पोंछने लगीशुक्र है कि माई तब भी सो रही थी उसे मालूम था कि मैं उसके घर कहीं भाग भी नही सकती थी, लेकिन उसने मुझे घर के बाहर अकेले जाने से माना कर रखा था |


जब मैं कमरे में गई तो माई उठ चुकी थी मैंने माई के कहे अनुसार ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ कर अपना झुका कर ज़मीन पर टेक कर अपने बालों को सामने की तरफ़ फैला दियाऔर बोली, "प्रणाममाई!"

माई ने अपने दोनो पैर के तलवे मेरे बालों पर रख कर मुझे 'आशीर्वाददियाऔर बोली, "आ बिटिया मेरे पास आ कर बैठ... बारिश हो रही है क्या?"

"हाँ माई..."

"हाय दैया! मेरे कपड़े भीग जाएँगे...”

"मैं कपड़े उतार के ले आई..."

"और तू बारिश में भीग भी गईतभी तो तेरे बाल गीलें हैं"

"हाँमाई

"माईयहाँ आस पास कोई मंदिर है क्या?"

"हाँथोड़ी दूर ही काली मा का एक मंदिर है"

"आप कभी गई हैं वहाँ?"

"नही बेटीमेरा रास्ता अलग है- मैं काली माँ के मंदिर के आस पास भी नही जा सकती ...पर यह सब तू क्यूँ पूछ रही है?”

“जी कुछ नही... आप बैठिएमैं पानी लाती हूँ आप मूह हाथ धो लीजिए |", ना जाने क्यों मुझे लग रहा था कि माई कुछ कमज़ोर सी लग रही थी...

"और हाँ, बिटिया- उसके बाद शराब की बोतल, दो गिलास और बचा हुआ माँस भी ले कर आना... बहुत भूख लगी है मुझे...और हाँ बिटियाअब से हर रोज़ कल्लू आ कर खाने पीने का सामान दे कर जाएगायाद रही उसकी नज़र तुझ पर नही पढ़नी चाहिए |"

मुझे लग रहा था कि जैसे जब व्रत रखा जाता हैतो लोग ख़ान पान में परहेज़ करते हैं- वैसे ही शायद माई आज कल सिर्फ़ माँस और शराब पी रही थी और मुझे भी वैसा ही खिला पीला रही थी |

"जी माई..", यह बोल कर मैं रसोई से शराब और माँस ले आई , माई मूह हाथ धो कर पहले से ही ज़मीन पर उकड़ू हो कर बैठ कर खाने का इंतेज़ार कर रही थी | मैने दो थालियों में माँस परोसा और गिलास में शराब डाल कर माई की ओर बढ़ाया... माई ने मुझे अपने बिल्कुल पास आकर उकड़ू हो कर बैठने को कहा और अपने हाथों से मुझे उसने शराब का एक घूँट पीला कर मेरे बालों को सहलाती हुई बोली, "मेरी प्यारी बच्ची... कितनी सुंदर है तू... खुले बालों में और नंगी और भी खूबसूरत लगती है तू...", यह कह वह मेरे स्तानो को भी हल्का हल्का दबाने लगी और फिर उसका हाथ मेरी दो टाँगो के बीच में चला गया...

मैनें चौंक कर पूछा, "यह आप क्या कर रहीं हैं माई?"

"कुछ नही बेटी, बस तेरी जवानी की ज़रा तारीफ कर रहीं हूँ... बरसों पहले मुझे भी यहाँ कोई चुरा कर लाया था, लेकिन मैं तेरे से छोटी थी, उसने मुझे भी कई दिनों तक घर में बिल्कुल नंगी रखा, शराब पिलाया, माँस खिलाया... फिर वक़्त आने पर उसने मुझे भी भेंट चढ़ाया, मैं भी तेरी ही तरह कुँवारी थी, बिल्कुल अनछुई.... इस लिए पहली बार चुदते वक़्त मुझे बहुत दर्द हुआ था... तुझे भी होगा... कौमार्य झिल्ली के फटते समय खून भी बहा था... मैं जानती हूँ के तेरे साथ भी ऐसा ही होगा, पर धीरे धीरे सब कुछ अच्छा लगने लगेगा...”

“पर आपने तो कहा था किऐसा योग सौ साल में एक बार आता है...

"हाँ, बिटिया... परसों वाला योग... वरना वैसे तो किसी भी अमावस को लड़की भेंट चढ़ाई जा सकती है..."

“आपको यहाँ चुरा कर कौन लाया था?”

“मेरा गुरुउनको गुज़रे बहुत साल हो गये... भेंट चढ़ने के बाद मैं उसी (गुरु की) की हो कर रह गई... तंत्र मंत्र सीखी... और आज तू मेरे पास है... ”

मैं अवाक हो कर माई की तरफ़ देख रही थी |

माई बड़े लाड से बोली, "अब ऐसे आँखे फाड़ फाड़ कर मत देख बेटी, चल शराब पी कर नशा कर ले...तुझे घर के काम भी तो करने हैं... थोड़ी देर में कल्लू भी आता होगा माँस और शराब ले करउससे पहले जा कर पानी भर ले... बरसात भी तेज़ हो रही है...कोई बात नही... मैं बदन पोंछ दूँगी और तेरे बाल सूखा कर कंघी कर दूँगी... आज रात से तुझे तो मेरी तांत्रिक पूजा में मदद भी करनी होगी...

Thursday, August 21, 2014

मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी-10



मेनका की आँख खुली तो उसने पाया कि वो करवट से लेटी हुई है & उसके ससुर भी वैसे ही लेते हैं.उनके होठ उसकी एक चूची से चिपके हुए थे & दूसरी को अपने हाथ से मसल रहा था.उसने खिड़की की ओर देखा तो पर्दे के पीछे अभी भी अंधेरे का एहसास हुआ.तभी राजा साहब ने उसके निपल को ज़ोर से चूस लिया,"ऊओ...ओवववव.",मेनका ने आह भरी & राजा साहब को उपर लेती हुई पीठ के बल लेट गयी.राजा साहब के लिया बस इतना इशारा काफ़ी था,उन्होने मेनका की टांगे अपने घुटनो से फैलाई & अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.

"आ...आह.",मेनका को फिर अपनी चूत मे वो मीठा दर्द महसूस हुआ.उसने अपने ससुर को अपनी बाहों & टाँगो मे भीच लिया & उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी.राजा साहब उसकी चूचियो को छ्चोड़,उसके होठों पर झुक गये & एक बार फिर अपनी बहू की चुदाई मे जुट गये.
सवेरे मेनका की नींद खुली तो उसने पाया कि वो बिस्तर पे अकेली नगी पड़ी हुई है,राजा साहब वाहा नही थे.उसने घड़ी देखी तो 8 बज रहे थे.वो जल्दी से उठी,11 बजे डील साइनिंग के लिए पहुँचना था.वो बिस्तर से उतरने लगी तो उसका ध्यान अपनी चूचियो & जांघों पर गया.राजा साहब ने दोनो जगहों पर अपने होठों के निशान छ्चोड़ दिए थे.वो शर्मा गयी पर उसकी नज़रे राजा साहब को ढूँढने लगी.

बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी.वो वैसे ही नंगी उस तरफ चल पड़ी,हाथ लगाया तो पाया कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला था.उसे धकेल कर वो अंदर दाखिल हुई तो देखा कि राजा साहब शेव कर रहें हैं,उनकी कमर के गिर्द 1 तौलिए के अलावा & कोई कपड़ा नही था.उन्होने घूम कर मेनका की तरफ देखा & मुस्कुरा दिए.

मेनका उनकी तरफ बढ़ने लगी.उसके ससुर की नज़रे उसके जिस्म के 1-1 अंग का मुआयना कर रही थी.उसके गाल शर्म से लाल हो गये,"ऐसे क्या देख रहे हैं?",वो उनके सामने खड़ी हो गयी.

"देख रहें हैं कि आपको धरती पर भेज कर भगवान आज कितना पछ्ता रहा होगा."

"धात!कैसी बातें करते हैं."

राजा साहब ने हल्के से उसके होठों को चूम लिया.तभी नीचे उसके पेट पे कुच्छ चुबा तो उसने देखा कि राजा साहब के तौलिए के अंदर उनका लंड खड़ा हो गया था & उसे छेड़ रहा था.मेनका ने हाथ बढ़ा कर तौलिए को राजा साहब के बदन से अलग कर दिया.

फिर वो झुक कर बैठ गयी,लंड उसकी आँखों के सामने था.राजा साहब सोच रहे थे कि फिर वो उन्हे मुँह मे लेगी पर मेनका ने ऐसा कुच्छ ना किया,हाथ बढ़ा कर वॉशबेसिन के बगल मे रखे शेविंग फोम के कॅन को उठा लिया & उस से फोम निकाल कर राजा साहब के लंड & टट्टों के आस-पास के बालों पर लगा दिया.फिर उनके हाथ से उनका रेज़र लिया & बड़ी सावधानी से राजा साहब की सारी झाटों को सॉफ कर दिया.

राजा साहब की धड़कन तेज़ हो गयी थी.काम पूरा कर मेनका उठी & उनके गालों पे बची शेव पूरी करने लगी,"कल रात प्यार करते वक़्त आपके इन बालों हमे बहुत तंग किया.",उसने एक हाथ से उनके लंड के पास की जगह को छुते हुए कहा.राजा साहब तो जोश से पागल हो गये.

उन्होने उसके हाथों से रेज़र छ्चीन कर फेंक दिया & उसे उठा कर वॉशबेसिन के बगल मे बने पलटफ़ॉर्म पे बिठा दिया,उसके घुटने मोड़ उसकी टाँगो को चौड़ा किया & अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया,"आ...अहह..."मेनका उनके सीने से लग गयी & दोनो फिर चुदाई का मज़ा उठाने लगे.वॉशबेसिन के उपर बने शीशे मे मेनका की नंगी पीठ की परच्छाई देख कर राजा साहब & गरम हो गये,उन्होने अपने हाथों मे उसकी चूचियाँ भींच ली.मेनका दर्द से तड़प कर उनसे चिपक गयी,"औ...च!",अपने नाख़ून उनकी पीठ मे गाड़ा दिए & टांगे कमर पर कस दी.

राजा साहब ने हाथ चूचियो से हटा उसकी गांद की फांकों पर कस दिए & काफ़ी ज़ोर के झटके मारने लगे.इस पोज़िशन मे उनका लंड मेनका की चूत की दीवारों से ही नही रगड़ खा रहा था बल्कि उसकी चूत के दाने को भी रगड़ रहा था.मेनका भी अब अपनी कमर हिलाने लगी.वो सातवे आसमान मे पहुँच गयी थी.अपने ससुर की मर्दानगी की तो वो कायल हो गयी.कल रात ये शख्स 3 बार झाड़ा था पर अभी भी उसे ऐसे चोद रहा था जैसे पहली बार कर रहा हो.उसकी कमर और झटके खाने लगी & वो अपने ससुर से & चिपक गयी.....उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया था...वो झाड़ चुकी थी.राजा साहब को पता चल गया कि उनकी बहू झाड़ गयी है तो उन्होने भी 3-4 ज़ोर के धक्के मारे & 1 बार फिर से अपनी बहू की चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.

थोड़ी देर दोनो वैसे ही एक-दूसरे से लिपटे,एक दूसरे को चूमते सहलाते रहे.फिर राजा साहब ने उसकी चूत से अपना लंड खींचना शुरू किया तो मेनका ने सवालिया नज़रो से उन्हे देखा,"डील साइन करने भी तो जाना है",उन्होने अपना लंड बाहर निकाल लिया,"जल्दी तैय्यर हो जाइए",उसके होठों को चूमा & बाथरूम से बाहर चले गये.

मेनका थोड़ी देर तक वैसे ही बैठी रही,वो इस एहसास से बाहर ही नही आना चाहती थी.पर डील के लिए भी तो जाना था.वो उठी & नहाने की तैय्यारि करने लगी.
थोड़ी देर बाद राजा साहब & मेनका नाश्ते के लिए होटेल के रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे.होटेल के शॉपिंग एरिया से गुज़रते हुए मेनका को एक ख़याल आया,"आप चलिए,हम अभी आते हैं."

"अरे,क्या बात हो गयी?पहले तो नाश्ता तो कर लें फिर शॉपिंग कर लेना."

"प्लीज़!आप चलिए ना.हम बस यूँ गये & यू आए."

"ओके.जैसी आपकी मर्ज़ी.",राजा साहब रेस्टोरेंट मे 1 टेबल पर बैठ गये & नाश्ते का ऑर्डर कर दिया.वो थोड़ी देर पहले होटेल सूयीट के कंप्यूटर पे पढ़े डॉक्टर.पुरन्दारे के ई-मैल के बारे मे सोचने लगे.उन्हे इस बात की तसल्ली थी कि विश्वा भी ठीक होना चाहता है पर शादी मे उसका विश्वास ना होने वाली बात से वो थोड़े चिंतित थे.वो मेनका को प्यार नही करता था,ये जान कर उनके मन के किसी कोने मे बहुत खुशी पैदा हुई थी पर वो जानते थे कि मेनका & उनका रिश्ता विश्वा के लौटने तक ही रह सकता है...."खैर,जब विश्वा आएगा तो देखेंगे..",उन्होने एक ठंडी आह भरी."अभी तक दुष्यंत ने भी कोई खबर नही दी है.",वो सोच रहे थे.

अब आप सोचेंगे कि ये दुष्यंत कौन है.दुष्यंत वर्मा उन गिने-चुने लोगों मे से है जो राजा साहब को उनके नाम से पुकार सकते हैं.दोनो बोरडिंग स्कूल & कॉलेज मे साथ पढ़े थे & पक्के दोस्त थे.दुष्यंत वेर्मा 1 सेक्यूरिटी &डीटेक्टिव एजेन्सी चलाते थे जिसके क्लाइंट्स हिन्दुस्तान की जानी-मानी हस्तियाँ थी.राजा साहब ने उनसे उस इंसान का पता लगाने को कहा था जो उनके बेटे को ड्रग्स सप्लाइ करता था.उनकी सख़्त हिदायत थी कि इस पूरी जाँच को सीक्रेट रखा जाए & दुष्यंत,उनके इस काम पे लगे स्टाफ & राजा साहब के अलावा किसी को भी इस बात की भनक ना लगने पाए.ऐसा वो इसलिए चाहते थे क्यूकी उन्हे पूरा यकीन था कि इसके पीछे जब्बार का हाथ है & इस बार वो उसे आखरी सबक सिखाना चाहते थे.

"अरे,क्ये सोच रहें है?खाते क्यू नही?",मेनका उनके सामने बैठी उनकी आँखों के आगे हाथ फिरा रही थी.वो अपने ख़यालों मे इतना खोए थे कि वो कब आई & वेटर कब खाना सर्व कर गया,उन्हे पता ही ना चला.

"कुच्छ खास नही,बस ऐसे ही.चलिए शुरू कीजिए.",दोनो नाश्ता करने लगे

जहा राजा साहब अपने दुश्मन को सबक सिखाने के ख़यालों मे डूबे थे वही उनका दुश्मन भी उनकी बर्बादी के इरादे से शहर आ पहुँचा था.आइए चल कर देखते हैं कि वो क्या कर रहा है.

शहर के बाहरी हिस्से मे जहा रोज़ नये फ्लॅट्स बन रहे हैं,वही 1 अपार्टमेंट कॉंप्लेक्स है जो कि अभी तक पूरी तरह से बसा नही है,उस कॉंप्लेक्स का 1 फ्लॅट जब्बार का शहर का अड्डा है.उसका फ्लॅट ग्राउंड फ्लोर पर है & उस बिल्डिंग के बाकी फ्लोर्स अभी खाली पड़े हैं.अभी दोपहर के वक़्त भी यहा वीरानी च्छाई है.बस एक लंबा-चौड़ा शख्स चलता हुआ उस फ्लॅट की ओर आ रहा है.

आप उस इंसान के बगल से भी गुज़र जाएँ तो आप कुच्छ खास बात नही नोटीस कर पाएँगे पर जब मैं आपसे पुछुन्गा कि उसकी शक्ल कैसी थी तब आपका ध्यान जाएगा कि आप पास से गुज़रते हुए भी उसका चेहरा सॉफ-2 नही देख पाए थे.जी,हाँ ये कल्लन है.सर पर कॅप,आँखों पे काला चश्मा,बदन पे जॅकेट जिसका कॉलर उठा हुआ है ताकि कोई भी उसका हुलिया ना जान पाए.

देखिए वो कॉल बेल बजा रहा है.चलिए देखते हैं क्या होता है...

बेल सुन मलिका ने दरवाज़ा खोला,"ओह,तुम हो",एक कातिल मुस्कान उसने कल्लन की तरफ फेंकी.,"जब्बार तो बाहर गया है."

"मैं वेट करूँगा.",कल्लन ने अंदर आकर जॅकेट,चश्मा & कॅप उतार दिया था.उसके बाल फिर से बढ़ गये थे & चेहरे पर दाढ़ी भी वापस आ गयी थी.

"ड्रिंक लोगे?",मलिका अपनी गांद मतकाते हुए बार की तरफ बढ़ी,कल्लन की तरफ उसकी पीठ थी & वो जान बुझ कर अपनी गांद थोड़ी ज़्यादा लचका रही थी.उसने 1 टॉप पहना था जो कि उसकी छातियो के बड़े साइज़ के कारण बहुत कसा हुआ था & उसके निपल्स का आकर सॉफ दिख रहा था,नीचे 1 मिनी स्कर्ट थी & जब वो चल रही थी तो तो उसमे से उसकी नंगी गांद का थोड़ा सा हिस्सा झलक रहा था.

बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए,वो बार पर आके ड्रिंक तैय्यार करने लगी.तभी कल्लन ने उसे पीछे से अपने मज़बूत बाज़ुओं मे जाकड़ लिया & टॉप के उपर से ही उसकी छातिया मसल्ने लगा.

"औच्च!...आ .....ज़ालिम ज़रा आराम से...तो तुझमे भी आग है...मैने तो सोचा था कि तू तो बर्फ की तरह ठंडा है...एयेए...अहह.",कल्लन ने उसके गले मे काट लिया.अब उसके हाथ मलिका के टॉप के अंदर उसकी चूचियों & उन पर बने कड़े हो चुके निपल्स को मसल रहे थे.

मलिका ने 1 हाथ पीछे ले जाकर कल्लन के गले मे डाल दिया & अपना चेहरे घुमा कर उसे चूमने लगी,दूसरा हाथ उसने उस की पॅंट की ज़िप पर रख दिया."उफ़फ्फ़.....बहुत बड़ा लगता है तेरा...",उसके होठों को छ्चोड़ते हुए मलिका बोली & पॅंट की ज़िप खोल लंड को बाहर निकाल लिया.उसने सर नीचे कर देखा,सचमुच कल्लन का लंड बहुत बड़ा था.

बड़े लंड मालिका की कमज़ोरी थी.जब्बार का लंड बहुत मोटा था पर लंबाई कुच्छ खास नही थी.जब्बार की ख़ासियत थी उसका स्टॅमिना जो कि मलिका जैसी हर वक़्त गरम रहने वाली लड़की की प्यास बुझाने मे बहुत काम आता था.पर मलिका की नज़रों मे बड़े लड की बात ही कुच्छ और थी & वो कभी भी ऐसे लंडो को अपनी चूत मे लेने से नही चूकती थी.

उसने अपने हाथ से कल्लन के लंड को रगड़ना शुरू कर दिया,लंड देख ते ही उसकी चूत गीली हो गयी थी.कल्लन अब आपे से बाहर हो गया उसने मलिका के दाये घुटने को मोडते हुए उसकी जाँघ उठा कर बार पर रख दिया & वैसे ही खड़े-2 अपना लंड उसकी चिकनी चूत मे पेल दिया.

"आआ....ईिईययईईए!....फाड़ देगा क्या?....थोड़ा धीरे घुसा ना...ऊओवव्व!",उसकी बातें कल्लन को और दीवाना कर रही थी & उसने अपना पूरा लंड उसके अंदर घुसा दिया & धक्के मारने लगा."हा...अन्न....ऐसे ..ही....ज़ोर से....है....और...ज़ोर से कर...ना..!"

मलिका भी अपनी गांद हिला कर उसका पूरा साथ दे रही थी,उसकी एक बाँह कल्लन की गर्दन को घेरे थी & दूसरी बाँह पर उसके बदन को सहारा दे रही थी.कल्लन का एक हाथ उसकी चूचिया मसल रहा था & दूसरे की उंगलिया चूत के दाने को रगड़ रही थी,होठ कभी उसके चेहरे,कभी होठ चूचियों पे घूम रहे थे.बहुत ज़ोर की चुदाई चल रही थी...

"ट्र्न्न्न!",कॉल बेल चीख उठी तो दोनो चौंक गये & मलिका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.कल्लन की कमर ने भी 2-3 झटके खाए & उसका लंड मलिका की चूत मे झाड़ गया.

मलिक ने बार से 1 नॅपकिन उठाया & कल्लन से अलग हो गई.दरवाज़े तक जाते हुए उसने अपनी जांघों पर बह आए कल्लन के & अपने पानी को सॉफ कर लिया.दरवाज़े पर जब्बार था.

अंदर आया तो उसने देखा की कल्लन सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था.थोड़ी देर पहले मचे वासना के तूफान का नाम ओ निशान उसके चेहरे पर नही था.

"क्यू बुलाया था?",उसने जब्बार से पुचछा.

"1 छ्होटी-सी मछ्लि हाथ लगी है जिसके ज़रिए हम बड़ी मछ्लि तक पहुँच सकते हैं.",उसने मलिका के हाथ से ड्रिंक लेते हुए जवाब दिया.,"हमे बहुत शॉर्ट नोटीस पर भी काम करने को तैय्यार रहना होगा.आज से तुम यही रहो पर ध्यान रहे किसी को इस बात का पता नही चलना चाहिए कि तुम यहा हो.",जब्बार कह तो कल्लन से रहा था पर उसकी नज़रे मलिका पर थी जो कि बड़े सोफे पर लेट कर उनकी बातें सुन रही थी.

"अब क्या करना है?",कल्लन अपना खाली ग्लास फिर भरने के लिए उठा.

"उस छ्होटी मछ्लि को चारा डालना है.",जब्बार मलिका की तरफ देख कर कुटिलता से मुस्कुराया

"मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी -9




रात अचानक राजा साहब को गर्मी महसूस हुई तो वो उठ बैठे,अपने बदन से चादर हटा दी & साइड टेबल पे रखा लॅंप ऑन कर दिया.फिर अपना कुर्ता उतार कर किनारे रख दिया & टेबल से बॉटल उठा कर पानी पीने लगे.घड़ी मे देखा तो 1 बज रहा था.उन्हे मेनका का ध्यान आया तो घूम कर उसकी ओर देखा.वो उनकी तरफ ही करवट कर लेटी हुई थी.

अपनी बहू को देखते ही राजा साहब के होठ फिर सूख गये,नाइटी के गले से मेनका की चूचियो का काफ़ी हिस्सा नज़र आ रहा था,बाहों के दबाव के कारण चूचियो का कटाव & बड़ा हो कर उभर रहा था.नींद मे चादर भी उसके शरीर से हट गयी थी & नाइटी उठ कर घुटनो के उपर तक आ गयी थी.उसकी गोरी टांगे & जांघों का थोड़ा सा हिस्सा लॅंप की रोशनी मे चमक रहे थे.राजा साहब का लंड पाजामे मे सुगबुगाने लगा.उनकी नज़रे मेनका के जिस्म से हट ही नही रही थी.उनकी आँखों ने उसके पैरों से उसका मुआयना करना शुरू किया और जैसे ही उसके चेहरे तक पहुँची तो उनके माथे पर सलवटें पड़ गयी.मेनका नींद मे थी पर कुच्छ बुदबुदा रही थी,चेहरे पर घबराहट भी झलक रही थी...

चारों तरफ घुप अंधेरा था & मेनका उस वीराने मे अकेली पूरी नंगी भाग रही थी.वो दैत्याकार आदमी काला लिबास पहने था & चेहरे पर भी काला मुखौटा था.वो हाथों मे तलवार ले उसका पीचछा कर रहा था.मेनका बदहवास सी बहुत तेज़ी से दौड़ रही थी पर तब भी उस हैवान को पीछे नही छ्चोड़ पा रही थी.तभी उसका पैर कही फँसता है & वो गिर जाती है.वो काला इंसान उसके पास पहुँच कर तलवार उठाता है,मेनका ज़ोर से चिल्लती है,"बचाओ!बचाओ!..."

"..दुल्हन..दुल्हन..आँखे खोलो...",कही दूर से उसके कानो मे आवाज़ आती है.वो अपनी आँखे खोलती है & वो इंसान जिसे वो ज़रूरत के वक़्त हमेशा अपने पास पाती है-उसका ससुर, उसे अपने उपर झुका पाती है,"..आ गये आप."

राजा साहब मेनका के उपर झुके हुए उसे जगाने की कोशिश कर रहे थे.मेनका ने उचक कर उनके गले मे बाँहें डाल दी & उनसे चिपक गयी,"मेरे पास रहिए.प्लीज़,मुझे छ्चोड़ कर मत जाइए."

राजा साहब संभाल नही पाए & उसे पकड़ते हुए उसके उपर गिर गये.मेनका उनके गले से लगी हुई थी & उनका नंगा सीना मेनका की छातियो पे दबा हुआ था.राजा साहब का चेहरा उसके बालों मे था & उसकी खुश्बू उन्हे मदहोश कर रही थी,मेनका को भी बहुत भला लग रहा था.जिस इंसान के सपने वो देखने लगी थी,आज वो उसकी बाहों मे था.उसने अपना गाल हौले से राजा साहब के गाल पे रगड़ा.उसकी इस हरकत से राजा साहब & नशे मे आ गये& उसे वैसे ही थामे हुए अपना सर उठा कर मेनका को देखा

मेनका की नशीली आँखें & अधखुले होठ उन्हे बुलावा दे रहे थे जिसे उन्होने खुशी के साथ कबूल किया & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए & अपनी बहू को चूमने लगे.मेनका भी उनकी किस का जवाब देने लगी & दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे के होठों का मज़ा उठाते रहे.फिर राजा साहब ने धीरे से अपनी जीभ मेनका के मुँह मे डाल दी,वो तो जैसे इसी इंतेज़ार मे थी & उसने भी अपनी जीभ उनकी जीभ से टकरा दी.अब दोनो पूरे जोश के साथ एक-दूसरे को चूमने लगे.राजा साहब का लंड पाजामे मे पूरा तन चुका था & नीचे मेनका उसे अपनी कमर की साइड मे महसूस कर रही थी,उसकी चूत भी गीली हो गयी थी.दोनो की टाँगें भी नीचे मिल रही थी & राजा साहब अपने पैर से उसके पैरों को सहला रहे थे.

राजा साहब ने अपनी बहू के होठों को छ्चोड़ दिया & उसके गाल चूमते हुए उसकी लंबी गर्दन पर आ गये.वाहा से उनके होठ मेनका के क्लीवेज पर पहुँच गये & राजा साहब ने उस पर किस्सस की झड़ी लगा दी.अपना हाथ पीछे ले जाते हुए उन्होने मेनका की नाइटी का ज़िप खोला & उसे उसके कंधों से नीचे सरकाते हुए उसके सीने से हटा दिया.काले रंग के स्ट्रेप्लेस्स ब्रा मे कसा उसका सीना उसकी तेज़ साँसों के साथ उपर-नीचे हो रहा था.छातियो का उपरी हिस्सा खुला था & निपल्स & नीचे का हिस्सा ब्रा ने छुपा रखा था.राजा साहब ने उसकी चूचियों के उस खुले उपरी हिस्से को चूमना शुरू कर दिया.

"एयेए...आहह..!",मेनका कराही,उसका बदन एक कमान की तरह उपर उठ गया,उसके हाथ अपने ससुर के सर को कस के पकड़े हुए थे.राजा साहब अब उसी जगह पर चूसने लगे थे,मेनका की हालत बुरी हो गयी,चूत तो पहले से ही गीली थी & राजा साहब की इस हरकत ने उसे & पागल कर दिया.राजा साहब वैसे ही चूस्ते रहे & मेनका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.वो झाड़ गयी थी & अभी तक उसके ससुर ने उसकी चूत को तो च्छुआ तक नही था.राजा साहब ने उसकी नाइटी को ओर नीचे सरका कर कमर तक कर दिया.

अब वो उसके पेट को चूम रहे थे,मेनका वैसे ही उनके सर पर हाथ रखे हुए थी.चूमते-2 वो उसके सपाट पेट के बीचो-बीच गोल,गहरी नाभि तक पहुँच गये & अपनी जीभ उसमे फिराने लगे.मेनका फिर से मज़े मे कसमसने लगी.उसके ससुर अपनी जीभ से उसकी नाभि ऐसे चाट रहे थे जैसे वो उसकी चूत हो.यह ख़याल आते ही वो फिर गरम होने लगी.राजा साहब की जीभ उसकी नाभि से निकल कर नाभि & पॅंटी के बीच के हिस्से पर थी & तभी राजा साहब ने पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर चुंबन ठोक दिया.मेनका ने लाज के मारे करवट ले अपने चेहरे को हाथों मे छुपा लिया.

अब राजा साहब के सामने उसकी पीठ थी.वो थोड़ी देर तक उसकी पतली कमर & चौड़ी गांद को निहारते रहे.फिर उन्होने अपना दाया हाथ उसकी कमर पर रख दिया & पीछे से उस से चिपक गये.उनका पाजामे मे क़ैद लंड मेनका की गांद से सटा था & उनका सीना मेनका की पीठ से.उनका हाथ उसकी कमर से फिसलता हुआ उसके पेट पे पहुँचा & उस हाथ की 1 उंगली उसकी नाभि को कुरेदने लगी.मेनका अपनी गांद पे राजा साहब के लंड को महसूस कर रही थी & उसने अपनी गांद पीछे कर के उस दबाव का जवाब दिया.राजा साहब उसकी गर्दन चूम रहे थे & उनका हाथ अब नाभि छ्चोड़ मेनका की ब्रा मे कसी चूचियों को दबा रहा था.मेनका ने अपना दया हाथ पीछे ले जाकर अपने ससुर के सर को पकड़ लिया.तब राजा साहब ने अपना हाथ उसके सीने से हटा लिया & उसमे उसके प्यारे चेहरे को भर कर अपनी तरफ घुमाया & उसे चूमने लगे .काफ़ी देर तक वो ऐसे ही अपनी बहू के होठों का रास्पान करते रहे & नीचे से अपना लंड उसकी गांद पे रगड़ते रहे .

राजा साहब ने उसके होठों को आज़ाद किया & उसे पेट के बल लिटा दिया & उसकी पीठ के 1-1 हिस्से को चूमने लगे.अपने दातों से उन्होने उसके ब्रा के हुक को खोल दिया & चूमते हुए नीचे उसकी गांद तक पहुँच गये.फिर उन्होने उसकी कमर पकड़ कर उसे घुमा कर सीधा पीठ के बल लिटा दिया.मेनका का खुला ब्रा उसके सीने पर अब भी पड़ा था,राजा साहब ने उसे किनारे फेंक दिया.मेनका की दूधिया रंग की बड़ी-2 सुडोल चूचिया & उन पर बने हल्के गुलाबी निपल्स अब उनके सामने थे.मेनका की आँखें शर्म के मारे बंद थी & साँसें और तेज़ हो गयी थी,जिसके कारण उसके उरोज़ उपर-नीचे हो रहे थे & राजा साहब को पागल किए दे रहे थे.

राजा साहब अपनी बहू की चूचियों पर टूट पड़े.वो कभी अपने हाथों से उन्हे दबाते ,मसलते तो कभी अपने होठों से चूमते & चूस्ते.उनकी इन हरकतों ने मेनका के सीने को लव बाइट्स से भर दिया.मेनका ने भी उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया & उचक कर मानो अपना सीना उनके मुँह मे और घुसाने की कोशिश करने लगी.जब राजा साहब का मुँह उसके सीने से हट ता तो उनकी उंगलियाँ उसके निपल्स को मसालने लगती जो कि अब पूरे कड़े हो गये थे.मेनका अब बहुत गरम हो गयी थी & अपनी जांघें एक साथ रगड़ रही थी.उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी जब राजा साहब ने उसकी 1 चूची को अपने हाथ मे भरा & दूसरी को अपने मुँह मे & इतनी ज़ोर से चूस्सा & दबाया कि वो दूसरी बार झाड़ गयी.उसके ससुर ने बिना उसकी चूत छुए उसे 2 बार झाड़वा दिया था.वो अब पस्त हो गयी थी.उसने अद्खुलि आँखों से प्यार से अपनी ससुर को देखा.

राजा साहब उसके सीने को छ्चोड़ अपने घुटनो पर उसकी साइड मे बैठ गये.अपने दोनो हाथ की इंडेक्स फिंगर्स को उसकी सीने के बगलों से बहुत हल्के-2 फिराते हुए उसकी कमर तक ले आए & उन्हे उसकी पॅंटी के वेयैस्टबंड मे फँसा दिया & फिर हौले से उसे उसकी जांघों से सरकाने लगे.मेनका ने शर्म से आँखें बंद कर ली.अब वो अपने ससुर के सामने पूरी नंगी होने वाली थी.उसकी धड़कने तेज़ हो गयी.उसने महसूस किया कि पॅंटी उसकी गांद के नीचे फँस सी रही है तो उसने धीरे से अपनी कमर उठा दी & राजा साहब ने पॅंटी उसके जिस्म से अलग कर दी.

राजा साहब मेनका की खूबसूरती निहार रहे थे.मूठ मारते वक़्त जैसी कल्पना की थी मेनका उस से भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत थी & उसकी छ्होटी सी,गुलाबी,बिना बालों की चूत कितनी प्यारी लग रही थी.उन्होने उसके पैर को उठा कर अपने होठों से लगा लिया & चूमते हुए उसकी जाँघ तक पहुँच गये.मेनका कसमसा रही थी.अब उसे बर्दाश्त नही हो रहा था.वो चाहती थी कि बस अब वो उसकी चूत को अपने मुँह से जी भर कर प्यार करे.

राजा साहब ने उसकी दोनो जांघों को जम कर चूमा & चूसा & उसकी चूचियो की तरह भी यहा भी लव नाइट्स के रूप मे अपने होठों के दस्तख़त छ्चोड़ दिए.मेनका की चूत बस गीली हुए चली जा रही थी.राजा साहब उसकी जांघों को फैला कर उनके बीच लेट गये & अपना मुँह उसकी चूत के आस-पास 1 दायरे मे फिराने लगे.धीरे-2 वो दायरा छ्होटा होने लगा & उनके होठ पहली बार उसकी चूत से जा लगे.मेनका ने अपनी टांगे उनके कंधे पर रख दी थी.अब वो नीचे से अपनी कमर उचकाने लगी.राजा साहब ने अपनी जीभ उसकी चूत की दरार पे फिराई & धीरे से उसे अंदर सरका दिया.

"उउंम....उन्न्ञनह.!,"मेनका पागल हो गयी & अपनी कमर & उचकाने लगी अपने हाथों से अपने ससुर के सर को अपनी जांघों मे भींचने लगी.राजा साहब अब पूरे जोश से उसकी चूत चाटने लगे & उसके दाने पे अपनी जीभ फिराने लगे.ऐसा करते ही मेनका फिर झाड़ गयी पर राजा साहब ने चाटना नही छ्चोड़ा.मेनका की तो हालत अब बिल्कुल ही खराब हो गयी थी. राजा साहब ने उसकी चूत के थोडा अंदर उसके जी स्पॉट को खोज लिया था & वही कभी जीभ से तो कभी उंगली से उसे रगड़ रहे थे.मेनका की चूत तो पानी छ्चोड़ती ही जा रही थी & उसे होश भी नही था कि अब तक वो कितनी बार झाड़ गयी थी.आखरी बार झड़ने के बाद उसने देखा कि राजा साहब उसकी टाँगों के बीच खड़े अपना पाजामा उतार रहे हैं.जैसे ही वो नंगे हुए उसकी आँखें जो अभी तक अधखुली थी आश्चर्य से फैल गयी.

राजा साहब का 7 1/2इंच लंबा & काफ़ी मोटा लंड उसके सामने था.राजा साहब घुटनो के बल उसकी टाँगों के बीच बैठे थे.मेनका सोचने लगी कि वो कैसे इतने बड़े लंड को अपने अंदर लेगी.राजा साहब ने उसकी टाँगें फैला कर उसके घुटनो को मोड़ दिया & अपना लंड उसकी चूत की दरार पर फिराया तो मेनका ने अपना निचला होठ अपने दातों तले दबा लिया.

राजा साहब के लंड का मट्ठा बहुत मोटा था & अब वो उसे हल्के से उसकी चूत मे घुसा रहे थे.दर्द से मेनका की आँखें बंद हो गयी,"आ..हह.",पर राजा साहब ने बड़ी कोमलता से अपने मत्थे को उसके अंदर घुसा दिया.धीरे-2 करके 4 1/2 इंच लंड अंदर चला गया & वो वैसे ही घुटनो पर बैठे उतने लंड को अंदर बाहर करने लगे,अब मेनका का भी दर्द कम हो गया & उसे मज़ा आने लगा.वो अपने ससुर को देखने लगी & दोनो हाथ बढ़ा कर उनकी कलाईयों को पकड़ लिया.राजा साहब ने हल्के धक्कों के साथ अब अपना लंड और अंदर डालना शुरू किया.

मेनका आज तक केवल अपने पति से चूड़ी थी & इस से ज़्यादा अंदर उसका लंड कभी गया नही था.उसे फिर दर्द होने लगा.राजा साहब उसके उपर लेट गये & उसे चूमने लगे & बहुत धीमे-2 धक्कों के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत मे डाल दिया.थोड़ी देर वो स्थिर रहे & बस कभी उसके होठों तो काफ़ी चूचियो को चूमते रहे.मेनका का दर्द जब ख़तम हो गया तो वो नीचे से हल्के से अपनी कमर हिलाने लगी.

राजा साहब ने अपने बहू के इशारे को समझा & अपनी बाहों पे अपने वजन को लेते हुए उसके बदन से उठ गये.उसकी आँखों मे झाँकते हुए अपना पूरा लंड उन्होने ने बाहर खीच लिया & फिर 1 झटके मे अंदर पेल दिया.

"आ...ईईयईए.",मेनका चिल्लाई & अपने ससुर को अपने उपर खींच उनसे लिपट गयी & अपनी टांगे भी उनकी कमर के गिर्द लपेट दी.अब राजा साहब ने धक्के लगा कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.मेनका को बहुत मज़ा आ रहा था.उसे बहुत खुशी हो रही थी कि उसने अपने ससुर का इतना बड़ा लंड अपने अंदर ले लिया था.वो उन्हे चूमने लगी.उसकी चूत आज पूरी भरी थी,राजा साहब का लंड उसकी चूत की आनच्छुई गहराइयों को माप रहा था & ये एहसास उसे और भी पागल किए दे रहा था.उसने अपनी कमर नीचे से हिलाना शुरू कर दिया,राजा साहब ने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी.तभी मेनका उचक कर उनको पागलों की तरह चूमने लगी,उसकी कमर भी तेज़ी से हिलने लगी & वो फिर झाड़ गयी पर राजा साहब अभी भी लगे हुए थे.

मेनका की कसी चूत उनके लंड को पूरा लपेटे हुए थी.अपने पूरे जीवन मे उन्होने ऐसी टाइट चूत नही चोदि थी.उनकी पत्नी की कुँवारी चूत भी ऐसी ना थी.

कमरे मे मेनका की आहो & राजा साहब की साँसों का शोर था.मेनका फिर से गरम हो रही थी.इस लंड ने तो उसे पागल कर दिया था.लगता था जैसे उसकी चूत से होता हुआ सीधे उसकी कोख पे धक्के मार रहा है.उसने फिर अपनी कमर नीचे से हिलाना शुरू कर दिया.अपने ससुर के बदन को उसने अपनी बाहों & टाँगों मे क़ैद कर रखा था.वो अब बहुत तेज़ धक्के लगा रहे थे.उसने जोश मे अपने नाख़ून उनकी पीठ मे गाड़ा दिए,उसकी चूत फिर से पानी छ्चोड़ने वाली थी.नीचे से अपनी कमर और तेज़ी से हिलाते हुए,पलंग से उठ कर वो अपने ससुर के होठों को चूमने लगी...बस वो झड़ने ही वाली थी...राजा साहब को भी अब अपने उपर काबू रखना मुश्किल हो रहा था & वो भी अपनी बहू के चुंबन का जवाब देते हुए & तेज़ी से धक्के लगाने लगे.तभी मेनका का मज़ा चरम सीमा पर पहुँच गया & वो अपने ससुर से चिपक सी गयी,उसके नाख़ून उनकी पीठ मे और धँस गये & उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.तभी उसने महसूस किया कि उसके ससुर ने उसके होठों को अपने होठों मे बुरी तरह कस लिया है & उनका बदन भी झटके खाने लगा & उसे अपनी छूट मे कुच्छ गरम सा महसूस किया...उसके झड़ने के साथ ही उसके ससुर भी झाड़ गये थे & उसकी चूत को अपने वीर्या से लबालब भर दिया था.

थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े अपनी साँस संभालते रहे.फिर राजा साहब उसके उपर से, धीरे से अपना लंड उसकी चूत मे से खीचते हुए उठ गये & बाथरूम चले गये.लंड निकलते ही मेनका को 1 ख़ालीपन का एहसास हुआ.

पर आज वो बहुत खुश थी.चुदाई मे इतना मज़ा मिलता है,उसने तो सपने मे भी नही सोचा था.जितनी बार वो आज झड़ी थी उतनी बार तो वो अपनी पूरी शादीशुदा ज़िंदगी मे भी नही झड़ी थी.विश्वा तो उसे बस मज़े के समुंदर के किनारे पे ला कर छ्चोड़ देता था,पर आज पहली बार अपने ससुर के साथ इस समुंदर की गहराई मे कई बार डूब कर उसने पूरा लुफ्त उठाया था.

वो वैसे ही नंगी पड़ी इन ख़यालों मे खोई थी कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला & राजा साहब बातरोब पहने बाहर आए.उसने मुस्कुरा कर उन्हे देखा पर वो उसे अनदेखा करते हुए लाउंज की ओर जाने लगे.

"सुनिए",वो उठने लगी पर राजा साहब नही रुके.वो दौड़ती हुई उनके सामने जा कर खड़ी हो गयी."क्या हुआ?कहाँ जा रहे हैं?"

"हमसे ग़लती हो गयी है.हमे जाने दीजिए."

"कैसी ग़लती?क्या कह रहे हैं आप?अभी जो भी हुआ उसमे आपके साथ-2 मेरी भी मर्ज़ी शामिल थी.फिर ग़लती कैसी?"

"समझने की कोशिश कीजिए!"

"क्या समझने की कोशिश करू?यही कि जितना मैं आपको प्यार करती हू उतना ही आप भी मुझ से करते हैं?"

"होश मे आइए.अभी जो हुआ वो नही होना चाहिए था."

"मैं पूरे होश मे हू बल्कि अब ही तो मैं होश मे आई हू.अभी जो हुआ उसमे वासना से कही ज़्यादा प्यार था.मैने आपकी आँखों मे मेरे लिए चाहत सॉफ देखी है.क्या ये सच नही हैं या मैं ग़लत हू...आप को भी बस मेरे बदन की भूख थी."

"आप जानती हैं कि हम आपको चाह-..."राजा साहब की अधूरी बात मे दर्द & गुस्सा था.

"तो फिर क्यू जा रहें है हमसे दूर?",मेनका ने उनके कंधों पे अपने हाथ दिए.

"आप...आप..हमारे बेटे की पत्नी हैं.समाज के भी कुच्छ नियम हैं.ये रिश्ता हम कैसे निभा सकते हैं?"

"समाज के नियम...पत्नी..हुन्ह!क्या है समाज के नियम!यही कि आग के चारो तरफ घूम के 7 फेरे ले,सिंदूर लगा कर किसी को भी अपनी पत्नी के शरीर को जब जी चाहे,जैसे चाहे रौंदने का मौका मिल जाता है !मैं नही मानती ऐसे नियम."

"आप समझ नही रही है."

"मैं सब समझ रही हू पर आप नही समझ रहे हैं.आपको समाज का डर है ना.मुझे भी राजकुल की मर्यादा का ख़याल है.आपको वचन देती हू कभी भी उस पर आँच नही आने दूँगी.कल को आपका बेटा ठीक होकर वापस आ जाएगा तो इस मर्यादा के लिए, समाज के लिए मैं उसकी ब्यहता बन जाऊंगी.पर राजा साहब,एक लड़की क्या चाहती है अपने पति से.बस प्यार,विश्वास & इज़्ज़त जोकि आपके बेटे ने मुझे कभी नही दिया.ये सब मुझे आपने दिया है & मैने तन & मन दोनो से आपको अपना पति मान लिया है.कल आपका बेटा वापस आएगा तो दुनिया के लिए मैं उसकी बीवी हूँगी पर मेरी आत्मा पर अगर किसी का अधिकार होगा तो वो बस आपका होगा.आज जो खुशी मैने पाई है वो पहले कभी किसी ने मुझे नही दी.प्लीज़...ये खुशी मुझ से मत छिनिये.चाहे थोड़े दीनो के लिए ही सही-ये...ये 1 सपना ही सही.. मुझे इस सपने मे अपने साथ जी लेने दीजिए...प्लीज़!",मेनका की आँखें छल्छला आई & गला भर गया.

"क्या ग़लत कह रही है?क्या हमे हक़ नही है खुश रहने का & इसने तो हमारे घर मे कदम रखने के बाद बस दुख ही झेले हैं...और उसके कुच्छ ज़िम्मेदार तो हम भी हैं....क्या हुमारा फ़र्ज़ नही बनता इसकी इच्छाओं का मान रखने का.",राजा साहब के मन मे सवाल उठ रहे थे.

मेनका उनसे अलग हो उनकी तरफ पीठ कर सूबक रही थी.राजा साहब ने उसे अपनी तरफ घुमाया & ठुड्डी पकड़ कर उसके झुके चेहरे को उपर किया,"हम भी आपको वचन देते हैं जब तक इस शरीर मे जान है तब तक आपकी हर खुशी का ख़याल रखेंगे & इन आँखों मे आज के बाद हुमारी वजह से आँसू नही आएँगे.",राजा साहब ने उसके चेहरे पर बनी आँसू की लकीरों को अपने होठों से मिटा दिया & उसे अपनी बाहों मे भर लिया.मेनका उनके सीने मे मुँह छुपा फिर सुबकने लगी मगर इस बार आँसू खुशी के थे.

थोड़ी देर बाद जब वो चुप हो गयी तो उसने अपने ससुर की आँखों मे झाँका & अपने लिए सिर्फ़ प्यार पाया,"आइ लव यू.",कह कर उसने उनके होठ हल्के से चूम लिए.फिर उनका बातरोब साष खोल कर उतार दिया & उन्हे बेड पे ले गयी.

राजा साहब लेट गये तो वो भी उनकी बगल मे लेट गयी.

राजा साहब पीठ के बल लेट गये & मेनका उनकी बगल मे करवट ले कर लेट गयी.दोनो के होठ 1 बार फिर जुड़ गये.राजा साहब की एक बाँह मेनका की कमर के गिर्द थी & उनका 1 हाथ उसकी कमर & गांद को सहला रहा था & दूसरा उसकी छातियो को.मेनका की उंगलियाँ उसके ससुर के सीने के बालों से खेल रही थी.काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे.

फिर मेनका ने उनके होठों को छ्चोड़ उनके चेहरे को चूमना शुरू किया & चूमते हुए नीचे उनके सीने तक आ पहुँची.उसके होठ पहले तो हल्के से राजा साहब के काले निपल्स को छेड़ते रहे पर फिर अचानक उन्होने उन काले निपल्स को अपनी रेशमी गिरफ़्त मे भींच लिया.मेनका अपने ससुर के निपल्स चूसने लगी & वो अपने हाथ उसकी गांद & छाती से हटा उसके सर पर ले आए.उन्हे बहुत मज़ा आ रहा था.

मेनका उनके सीने को चूमते हुए उनके सीने के बालों का पीचछा करते हुए नीचे जाने लगी & उनके लंड तक पहुँच गयी.लंड फिर से पूरा तना हुआ था.मेनका उसे एक तक निहारने लगी.कुच्छ देर पहले राजा साहब ने इसी लंड के सहारे उसे जन्नत की सैर कराई थी.उसने एक हाथ बढ़ा कर उसे अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.राजा साहब उसे देख रहे थे.लंड इतना मोटा था कि उसका छ्होटा सा हाथ उसे पूरा नही घेर पा रहा था.

मेनका को अपने ससुर का लंड बहुत प्यारा लग रहा था.वो उसे अपने मुलायम हाथों से पकड़ धीरे-2 सहलाने लगी....उसका चेहरा धीरे-2 करके लंड की ओर झुकता जा रहा था.उसने और झुक कर लंड के टोपे को बहुत हल्के से चूम लिया.उसे खुद पर बहुत हैरानी हुई.उसका पति यही चाहता था पर उसे इतनी घिन आती थी,सोचने भर से ही उसे उबकाई आती थी....वो अपने पति से उलझ भी पड़ी थी & सॉफ इनकार कर दिया था उसके लंड को अपने मुँह मे लेने से.

पर उसे आज कोई घिन महसूस नही हो रही थी बल्कि आज तो उसे ये सबसे नॅचुरल बात लग रही थी.जिस इंसान ने उसे प्यार, इतना सुख दिया था,उसके लंड को प्यार करना तो एक स्वावाभिक बात थी & फिर ये लंड कितना प्यारा लग रहा था..इतना बड़ा..इतना मोटा...अफ....यही सब सोचते हुए उसने लंड को इस बार थोड़ा & ज़ोर से चूम लिया.राजा साहब की आँखें नशे से बंद हो गयी & उनकी पकड़ अपनी बहू के सर पर & मज़बूत हो गयी.उनकी पत्नी ने ये कभी नही किया था & जिन रंडियों के पास जाते थे,वो तो पैसे के लिए कुच्छ भी कर सकती थी.ये पहली बार था जब किसी औरत ने अपनी मर्ज़ी से उनके लंड पे मुँह लगाया था.

मेनका ने अपने ससुर की टांगे फैलाई & उनके बीच अपने घुटनो पे बैठ गयी,अपने हाथों मे लंड को पकड़ा & होठ उस पर कस दिए.राजा साहब ने आँखे खोली & सामने का नज़ारा देख कर & गरम हो गये.मेनका का काले बालों से घिरा चेहरा उनके लंड पर झुका था,उसने नज़रे उठाई तो उसके गुलाबी होठों मे लिपटा उनका लंड उन्हे दिखा.घुटने पे झुके होने की वजह से उसकी चौड़ी गांद हवा मे उठ गयी थी.राजा साहब उसके बालों मे उंगलिया फिराते रहे &जोश से पागल होते रहे.

मेनका ने उनकेसुपादे को कस कर चूस लिया तो राजा साहब की आह निकल गयी.अब वो पूरे जोश के साथ उनका लंड चूसने लगी.वो उनका पूरा का पूरा लंड निगल जाना चाहती थी पर वो उसके छ्होटे से मुँह मे आ नही रहा था.मेनका ने उसे मुँह से निकाला & उसे चूमने लगी.सूपदे के उपर लंड के छेद से चूमती वो लंड की जड़ तक पहुँच गयी.राजा साहब की झाँते भी उसके होठ छ्छू रही थी.उसने उनके अंडों को हाथ मे ले कर दबाया तो राजा साहब ने जोश मे अपनी कमर उचका दी.

मेनका ने पहले 1 & फिर दूसरे अंडे को अपने मुँह मे ले कर चूस लिया.राजा साहब तो पागल हो गये.उन्होने अपनी बहू का सर पकड़ अपने लंड पर दबा दिया.मेनका ने उनके आंडो को छ्चोड़ अबकी लंड की जड़ से चूमना शुरू किया & सूपदे तक पहुँच गयी.इसी तरह चूम कर & चूस कर राजा साहब को पागल कर दिया.वो बेचैनी से अपनी कमर हिला रहे थे.मेनका समझ गयी कि अब उसके ससुर को अपने उपर काबू रखना मुश्किल हो रहा है.उसने अपने मुलायम हाथों से नीचे से लंड को पकड़ा& हिलाने लगी.हिलाते हुए उसने अपने होठ लंड के उपर लगा दिया & चूसने लगी.

राजा साहब इस दो तरफे हमले से पागल हो गये.उनके आंडो से एक सैलाब चल कर उनके लंड से बाहर निकलने को बेताब होने लगा,उन्होने मेनका के सर को पकड़ अपने लंड पर & दबा दिया,"..हम...झड़ने वाले हैं...",उन्हे लग रहा था कि पता नही मेनका उनका पानी अपने मुँह मे लेना चाहे या नही.वो सोच रहे थे कि अब वो अपना मुँह हटा अपने हाथों से उन्हे झाड़वा देगी.

पर उनकी आशा के विपरीत मेनका ने अपने होठों की पकड़ & मज़बूत कर दी & और तेज़ी से उनके लंड को चूसने & हिलाने लगी.राजा साहब के सब्र का बाँध टूट गया,उनका शरीर झटके खाने लगा & नीचे से कमर हिला कर उन्होने अपनी बहू के मुँह को अपने पानी से भर दिया.मेनका उनका सारा वीर्या पीने लगी.उसने चूस-2 कर उनके लंड से विर्य की 1-1 बूँद निचोड़ ली.

राजा साहब झाड़ कर हान्फ्ते हुए लेट गये.उनका लंड सिकुड रहा था & मेनका उसे चाट कर सॉफ करने लगी.मेनका बहुत हैरान थी,उसने सपने मे भी नही सोचा था कि कभी वो ऐसे किसी लंड को मुँह मे लेगी & उसका पानी भी पी जाएगी....&वो भी अपने ससुर का.ऐसा सोचते ही उसे थोड़ी शर्म भी आ गयी.उसने लंड को अपने मुँह से अलग किया & धीमे से नज़रे उठा कर अपने ससुर से मिलाई.

राजा साहब को ऐसा मज़ा कभी भी महसूस नही हुआ था.उन्होने मेनका को अपनी ओर देखता पाया & हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर लिटा लिया,फिर करवट ले उसे अपनी बगल मे किया & बाहों मे भींच कर उसके चेहरे पर चुम्मों की झड़ी लगा दी.फिर उसके चेहरे को अपने हाथों मे लिया & उसकी काली,बड़ी-2 आँखों मे झँकते हुए उनके होठों से निकला,"आइ लव यू...मेनका."

शर्म & खुशी की लाली मेनका के चेहरे पर छा गयी & उसने अपने ससुर के सीने मे मुँह छुपा लिया.थोड़ी ही देर मे दोनो नींद के आगोश मे चले गये.

"मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी -8




कुच्छ ही दीनो मे मेनका ने ऑफीस का सारा काम समझ लिया.विश्वा के जाने के बाद जो जगह खाली हुई थी,उसे उसने बखूबी भर दिया था.ज़िम्मेदारी बढ़ने के बावजूद महल के काम-काज पर उसने ज़रा भी असर नही पड़ने दिया था.अब वो पहले से ज़्यादा खुश नज़र आती थी...बस 1 प्राब्लम थी.उस हादसे के बाद से रात को उसे बुरे सपने आने लगे थे & अक्सर बीच मे ही उसकी नींद टूट जाती थी.

उस सुबह भी वो सपने की वजह से जल्दी उठ गयी तो उसने सोचा की नौकरों से थोडा काम ही निपट वाया जाए.रात के खाने के बाद महल का सारा स्टाफ महल के कॉम्पोन्ड मे बने अपने क्वॉर्टर्स मे चला जाता था & सुबह महल के अंदर से हुक्म आने पर ही अंदर जाता था.मेनका ने इंटरकम से अंदर आने का ऑर्डर दिया & बटन दबा कर सारे एलेक्ट्रॉनिक लॉक्स खोल दिए.थोड़ी ही देर मे महल के अंदर रोज़मर्रा की चहल-पहल होने लगी.

ऐसे ही किसी काम से मेनका अकेली ही उस हिस्से मे पहुँची जहा जिम था,उसने जिम की सफाई कल ही करने का ऑर्डर दिया था & उसी का मुआयना करने आई थी.

जिम के अंदर कदम रखते ही उसका मुँह खुला रह गया......सामने राजा साहब उसकी तरफ पीठ करके वेट ट्रैनिंग कर रहे थे-केवल 1 अंडरवेर मे.वो उनके गथिले बदन को देखने लगी.मज़बूत कंधे & विशाल बाहें जब वेट उपर उठाती थी तो 1-1 मसल का शेप सॉफ दिखाई देता था,नीचे बिल्कुल सीधी पीठ,पतली कमर & नीचे पुष्ट गांद.....मेनका को टाँगों के बीच गीलापन महसूस हुआ & ऐसा लगा जैसे की पैरों मे जान ही ना हो.उसने दीवार को पकड़ कर सहारा लिया पर तभी राजा साहब पीछे घूमने लगे तो वो उसी दीवार की ओट मे हो गयी.

थोड़ी देर बाद उसने वैसे ही ओट मे च्छुपकर फिर से अंदर झाँकना शुरू किया,...अब उसके ससुर का मुँह उसकी तरफ था पर वो उसे देख नही सकते थे.अब उनके हाथों मे डमबेल थे जिन्हे वो बारी-2 से उपर नीचे कर रहे थे & उनके सीने की मछ्लिया पसीने से चमक रही थी.मेनका ने उनके चौड़े सीने को देखा & उसे वो सुबह याद आई जब उन्होने उसे गिरने से बचाया था & उसने इसी सीने मे पनाह ली थी.वो मर्दाना खुश्बू फिर उसे महसूस हुई & टाँगो के बीच गीलापन बढ़ गया.उनके सीने पे काफ़ी बाल थे & मेनका की निगाहें बालों की लकीर को फॉलो करने लगी जो नीचे जा रही थी......& उनके अंडरवेर मे गुम हो गयी थी.मेनका की नज़रे अंडरवेर पर टिक गयी....कितना फूला हुआ था.....कितना बड़ा होगा......उसका हाथ सारी से उपर ही उसकी जाँघो के बीच के हिस्से को सहलाने लगा &थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

"मालिकन..",कोई नौकर उसे ढूंढता उधर आ रहा था.वो वापस होश मे आई & अपने को सायंत करके आवाज़ की दिशा मे चली गयी.
...............................
"कल सुबह ही हमे बॉमबे रवाना होना होगा.जर्मन पार्ट्नर्स से फाइनल राउंड की बात करके डील पे साइन करना है.",राजा साहब अपने चेंबर मे बैठे थे & सामने मेनका,सेशाद्री & 4 स्टाफ मेंबर्ज़ उन्हे सुन रहे थे.

"कल सवेरे 5 बजे कार्स से हम शहर जाएँगे & 6:15-6:30 तक हमारा चार्टर्ड प्लेन बॉमबे के लिए तक-ऑफ करेगा जहा हम 10 बजे तक पहुँचेंगे.मीटिंग 11 बजे शुरू होगी.कल की रात हम सब वही रुकेंगे & परसों होप्फुली डील साइन कर के वापस आ जाएँगे."

"सर,मुझे & बाकी मेंबर्ज़ को तो कल ही वापस आना होगा क्यूकी परसो से ऑडिट शुरू होनी है.",सेशाद्री बोले.

"अरे,ये बात तो हमारे दिमाग़ से उतर ही गयी थी.तो ठीक है आप सब शाम को उसी प्लेन से वापस रवाना हो जाइएगा.हम परसों डील साइन कर के वापस आएँगे.दुल्हन हुमारे साथ ही वापस आएँगी"

सारे स्टाफ मेंबर्ज़ बाहर चले गये तो मेनका भी जाने लगी,"मैं महल जाकर अपनी पॅकिंग कर लेती हूँ."

"हा.ठीक है.",& राजा साहब अपने लॅपटॉप पे फाइल्स चेक करने लगे.

रात करीब 10 बजे राजा साहब महल पहुँच कर सीढ़िया चढ़ कर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे जब वाहा से कुच्छ आवाज़ें आती सुनाई दी.अंदर जाने पर उन्होने देखा की मेनका 1 नौकर के साथ उनके वॉक-इन क्लॉज़ेट से कपड़े निकलवा कर पॅकिंग करवा रही है.

"अरे आपने क्यू तकलीफ़ की दुल्हन?हुमारे नौकर को कह देती...बस 2 ही दीनो के लिए तो जाना है."

"हा,कह ही देना चाहिए था.सारे कपड़े तो आपके एक जैसे हैं.कोई फ़र्क ही नही है."

"तो इस उम्र मे हम तरह-2 के कपड़े पहन कर क्या करेंगे?",उन्होने हंसते हुए पूचछा.

"काम करने मे तो आप जवानो को भी मात देते हैं तो कपड़े क्यू बूढो जैसे पहनेंगे....अफ",एक गिरी हुई शर्ट को उठाने के लिए मेनका झुकी तो उसका पल्लू ढालक गया & राजा साहब के सामने उसका बड़ा,मस्त क्लीवेज छलक उठा.वो उनकी नज़रो से बेपरवाह उस शर्ट को तह करने लगी.उसका पेट भी नुमाया हो रहा था & राजा साहब की नज़रे उसके क्लीवेज से फिसल कर उसके चिकने,सपाट पेट के बीचोबीच उसकी गोल नाभि पर टिक गयी.उनका लंड पॅंट के अंदर हरकत मे आने लगा था.

तभी मेनका पलटी & क्लॉज़ेट के अंदर जाने लगी,जैसे ही राजा साहब ने सारी मे कसी अपनी बहू की टाइट गांद को देखा उनका लंड पूरा खड़ा हो गया & पॅंट से निकलने को च्चटपटाने लगा.

"खाना तैय्यार है हुज़ूर..",1 नौकर ने दरवाज़े पे आके कहा.

"हम अभी आते हैं", कह कर राजा साहब तेज़ी से मुड़े & बाथरूम मे चले गये.

खाने के टेबल पर दोनो मे कुच्छ खास बात नही हुई.थोड़ी देर बाद सारा स्टाफ भी अपने कमरों को चला गया.

"गुड नाइट,पिताजी.आप भी जाकर सो जाइए.कल बहुत सवेरे उठना है",मेनका ने पहली सीढ़ी पर पैर रखा कि ना जाने कैसे उसका पैर मूड गया & वो गिर पड़ी.

"अरे संभाल के दुल्हन......चलिए उठिए",राजा साहब उसे सहारा देकर उठाने लगे पर मेनका दर्द से कराह उठी,"आउच..!पैर सीधा रखने मे दर्द होता है"

"अच्छा..",राजा साहब उसके पैर को देखने लगे,टखने मे मोच आई थी,"..हम..कमरे मे चल कर इसका इलाज करते हैं.खड़े होने की कोशिश कीजिए."

"नही हो रहा.बहुत दर्द है."मेनका दर्द से परेशान हो बोली.

"ओके",राजा साहब ने उसकी दाई बाँह अपने गले मे डाली & उसे अपनी गोद मे उठा लिया.शर्म के मारे मेनका के गाल और लाल हो गये.राजा साहब सीढ़ियाँ चढ़ने लगे.वो उसकी तरफ नही देख रहे थे....पर वोही मर्दाना खुश्बू मेनका को महसूस हुई,अपने ससुर के गले मे बाँह डाले मेनका को बहुत अच्छा लग रहा था.उसे उन्होने ऐसे उठा रखा था जैसे उसका वजन ही ना हो.कमरे तक पहुँचने मे ना तो वो हांफे ना ही पसीने की 1 भी बूँद उनके माथे पे छल्कि".....इस उम्र भी इतनी ताक़त",मेनका तो उनकी फिटनेस की कायल हो गयी.

कमरे मे पहुँच कर उन्होने मेनका को पलंग पे ऐसे लिटाया जैसे किसी फूल को रख रहे हैं.फिर उसके ड्रेसर से 1 बॉम लेकर आए & उसकी तरफ पीठ करके उसके पाओं के पास बैठ गये.सारी थोड़ी सी उपर खिसका कर उसके टखने को देखने लगे,"...उफ़फ्फ़..कितनी कोमल है.."राजा साहब उसके टखने को सहलाने लगे.मेनका की आँखें मूंद गयी.उसे बहुत अच्छा लग रहा था.

"जब हम फुटबॉल खेलते थे तो ऐसी चोट बड़ी आम थी.",उन्होने वैसे ही सहलाना जारी रखा.

"ह्म्म...",मेनका बस इतना ही कह पाई.

और तभी राजा साहब ने उसके टखने को अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर 1 झटका दिया.

"औउउ...छ्च!",मेनका उठ कर बैठ गयी & दर्द से तड़प कर पीछे से उसने अपने ससुर को पकड़ लिया & उसका सर उनकी पीठ से जा लगा."बस ठीक हो गया.",कह कर वो उसके टखने पर बॉम की मालिश करने लगे.मेनका वैसे ही अपने ससुर से सटी रही.राजा साहब भी मालिश करते-2 उसके पैर को सहलाने लगे.दोनो को एक दूसरे का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था.राजा साहब का हाथ अपनी बहू के टखने से उपर आने लगा....मेनका भी आँखें बंद कर इस लम्हे का लुत्फ़ उठा रही थी...

"टॅनन्न्न....!",महल के बड़े घारियल मे 12 बाज गये थे.दोनो चौंक कर अलग हो गये.

"आराम कीजिए दुल्हन.सुबह तक दर्द ठीक हो जाएगा.",कहकर बिना उसकी तरफ़ देखे वो वापस अपने कमरे मे आ गये.उनका लंड पाजामे मे पूरा खड़ा था.उन्होने उसे उतार फेंका & अपना लंड तेज़ी से हिलाने लगे....

मेनका तो जल रही थी.राजा साहब ने उसके अंदर वो आग भड़काई थी जो आज से पहले उसने कभी महसूस ना की थी.उसने अपनी नाइटी अपने बदन से अलग की & बगल मे पड़े 1 बड़े तकिये से चिपक कर अपनी चूत उस पे रगड़ने लगी.

अगली सुबह दोनो एक-दूसरे से नज़रें चुरा रहे थे,बातें भी बस कम भर हो रही थी.सभी लोग प्लेन मे बैठे & डील के बारे मे चर्चा होने लगी.मेनका अब राजपरिवार की ही नही बल्कि राजकुल ग्रूप की भी 1 अहम सदस्य बन गयी थी.सारे ज़रूरी पायंट्स डिसकस किए जा रहे थे & मेनका का पैना दिमाग़ बारीक से बारीक ग़लती को पकड़ कर उसे सही कर रहा था.राजा साहब ने फिर से उसे 1 ससुर की नज़रो से देखा...यह लड़की अगर ना होती तो शायद आज वो ये डील करने ना जा रहे होते.अपने दर्द को भूल कर मेनका ने केवल उनके परिवार के हित & मान का ध्यान रखा था.
फ्लाइट के बॉमबे पहुँचने तक दोनो बहुत हद तक नॉर्मल हो गये थे & नज़रें चुराना भी बंद कर दिया था.

11 बजे जर्मन पार्ट्नर्स एबेरहर्ट कॉरपोरेशन. के ऑफीस मे मीटिंग शुरू हो गयी.2 बजे लंच के लिए मीटिंग को रोका गया पर 1 घंटे बाद सभी लोग वापस डील के पायंट्स फाइनल करने मे लग गये.शाम 7 बजे मीटिंग ख़तम हुई,"मिस्टर.सिंग.वी'वे आ डील.",जर्मन पार्ट्नर फ्रॅन्ज़ एबेरहर्ट ने राजा साहब से हाथ मिलाते हुए कहा,"..& मिसेज़.सिंग,युवर फादर-इन-लॉ हॅज़ नोथिन्ग टू वरी अबौट एज लोंग एज यू आर विथ दा राजकुल ग्रूप."

तारीफ सुन कर खुशी & शर्म से मेनका के गालों का रंग & गुलाबी हो गया."..लुकिंग फॉर्वर्ड टू वर्क विथ यू.",एबेरहर्ट ने झुकते हुए मेनका से हाथ मिलाया.राजा साहब को अपनी बहू पर बहुत गर्व & प्यार आ रहा था.

थोड़ी देर बाद ये डिसाइड हुआ कि सारे पेपर्स तैय्यार करके कल सवेरे 11 बजे दोनो पार्टीस उन पर साइन कर ले.सेशाद्री साहब & बाकी स्टाफ के लोग वही से वापसी के लिए एरपोर्ट रवाना हो गये.अब मेनका अपने ससुर के साथ अकेली रह गयी.दोनो कार मे बैठ कर जुहू मे होटेल मेरियट की तरफ चल दिए.

कार की बॅक्सीट पे राजा साहब ने चुप्पी तोड़ी,"अगर आप हमारे साथ नही होती दुल्हन,तो शायद आज हम इस खुशी को महसूस नही कर रहे होते."

"अब आप हमे शर्मिंदा कर रहे हैं.एक तरफ तो दुल्हन बोलते हैं & दूसरी तरफ ऐसी फॉरमॅलिटी भरी बातें करते हैं."

"नही,दुल्हन.हमे बोलने दीजिए.आपकी जगह कोई भी लड़की होती तो जो आपने झेला है,उसके बाद कभी भी राजपुरा मे नही रहती.हम आपके एहसानो का क़र्ज़...-"

"..-बस!अगर आपने ऐसी बातें की तो मैं ज़रूर राजपुरा छ्चोड़ कर चली जाऊंगी.आप ऐसे क्यू कह रहे हैं,जैसे राजपुरा हमारा घर नही है.",उसने अपने ससुर का हाथ अपने हाथ से दबाया,"राजपुरा हमारा घर है & अपने घर के बारे मे सोचना कोई तारीफ की बात नही."

जवाब मे राजा साहब बस प्यार भरी निगाहों से उसे देखते रहे.

तभी मेनका चिल्लाई,"ड्राइवर कार ज़रा साइड मे लो....हा..हा..इसी माल मे ले चलो."

"अभी शॉपिंग करनी है दुल्हन.हम कल करवा देंगे.अभी होटेल चल कर आराम करते हैं."

"नही.शॉपिंग तो अभी ही होगी.चलिए.",मेनका कार से उतरने लगी.

"आप हो आइए हम यहा केफे मे बैठ कर आपका इंतेज़ार करते हैं.",माल मे दाखिल होकर राजा साहब ने कहा.

"बिल्कुल नही.चलिए हमारे साथ.",मेनका ने उनका हाथ पकड़ा & खींचते हुए लिफ्ट मे ले गयी.

दोनो वैसे ही एक दूसरे का हाथ थामे मेन'स सेक्षन मे दाखिल हुए.,"अरे,दुल्हन हमे कुच्छ नही चाहिए?",मेनका का मक़सद समझते हुए राजा साहब हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगे.

"बिल्कुल चुप.",मेनका ने और मज़बूती से अपने ससुर का हाथ पकड़ते हुए कहा.

"हाउ मे आइ हेल्प यू?",1 सेलेज़्गर्ल उनके पास आई.

मेनका उसके साथ राजा साहब के लिए कपड़े सेलेक्ट करने लगी.राजा साहब का हाथ अभी भी उसकी पकड़ मे था.वो उपर से तो मना कर रहे थे पर मन ही मन,उन्हे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था.इस तरह तो उनकी परवाह आज तक किसी औरत ने नही की थी.उनकी पत्नी उनका बहुत ख़याल रखती थी पर उस ख़याल मे अपनेपन से ज़्यादा ड्यूटी पूरी करने का एहसास था....& ऐसे सर्प्राइज़ देकर अचानक शॉपिंग करवाना...ये तो उन्होने सोचा भी नही था...दिल कर रहा था कि बस इसी तरह सारी उम्र उसका हाथ थामे खड़े रहें"...लीजिए ये सारे कपड़े ट्राइ करिए...जाइए"

जब राजा साहब ट्राइयल रूम से बाहर निकले तो सेलेज़्गर्ल ने उनके हाथों से सारे कपड़े ले लिए,"युवर वाइफ लव्स यू ए लॉट सर & वॉट गुड टेस्ट हॅज़ शी गॉट!",राजा साहब एक पल को चौंक गये पर फिर तुरत उन्हे बात समझ मे आ गयी...ये मेनका को उनकी पत्नी समझ रही है....उन्होने बस हल्के से सर हिला दिया,वो लड़की भी कपड़े लेकर दूसरी ओर चली गयी.मेनका थोड़ी दूरी पर खड़ी कुच्छ कपड़े देख रही थी..."लगता है उसने ये बात नही सुनी."

सारी शॉपिंग के बाद दोनो पेमेंट काउंटर पे पहुँचे.राजा साहब जेब से अपना वॉलेट निकालने लगे तो मेनका ने उन्हे रोक दिया,"नही.आप नही मैं पेमेंट करूँगी.ये आपको गिफ्ट है मेरी तरफ से."

"पर दुल्हन..."

"श्ह.",उसने अपने होठों पे उंगली रखकर उन्हे चुप रहने का इशारा किया & अपने हॅंडबॅग से कार्ड निकाल कर काउंटर पे बैठे आदमी की तरफ बढ़ाया.

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माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1
डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.
मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.
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मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी-7




जब्बार सोफे पे नंगा बैठा था & उसकी गोद मे मलिका भी.मलिका के हाथ मे बियर की बॉटल थी जिस से उसने 1 घूँट भरा & फिर जब्बार को पिलाया.उसके दूसरे हाथ मे जब्बार का लंड था जिसे वो हिला रही थी.थोड़ी ही देर मे लंड पूरा खड़ा हो गया,तब मलिका जब्बार की तरफ पीठ करके उसकी गोद मे उसके लंड पर बैठ गयी.उसने अपनी दाई बाँह उसके गले मे इस तरह डाल दी कि जब्बार का मुँह उसकी दाई चूची से आ लगा.जब्बार ने उसका निपल मुँह मे लेकर काट लिया.

"ऊओ..व्व",मलिका ने बाल पकड़ कर उसका सिर अपने सीने से अलग किया & मुँह मे बची हुई बियर उडेल दी & फिर बॉटल को दूसरे सोफे पर फेक दिया.जब्बार ने बियर अपने हलाक से नीचे उतरी & फिर अपना मुँह मलिका की छाती से चिपका दिया.उसका बाया हाथ उसकी रखैल के बाए उरोज़ को बेरहमी से मसल रहा था तो दाया हाथ उसकी लंड भरी चूत के दाने को.मलिका जोश से पागल होकर लंड पे ज़ोर-2 से कूद रही थी.

"एयेए...आहह..आअहह...अहहह!",वो मज़े से चिल्ला रही थी,"ऊ...ईईई... .",ज़ोर की चीख के साथ वो जब्बार के उपर लेट गयी & उसके कान मे अपनी जीभ फिराने लगी.वो झड़ने के बहुत करीब थी..& 5-6 धक्कों के बाद 1 और आह के साथ उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.जब्बार ने भी नीचे से 3-4 धक्के लगाए & मालिका की चूत को अपने वीर्या से भर दिया.दोनो सोफे की पीठ पे उसी पोज़िशन मे टिक कर अपनी साँस संभालने लगे कि तभी मलिका का सेल बज उठा.मालिका ने वैसे ही टेबल से फ़ोन उठा कर अपने कान से लगाया,"हेलो...बोलिए बत्रा साब.."

थोड़ी देर के बाद उसने फ़ोन रखा & वैसे ही जब्बार की गोद मे बैठे हुए उसे सारी बात बताई.

"क्या?",जब्बार ने उसे सोफे पर 1 तरफ धकेला & अपना सिकुदा लंड उसकी चूत मे से निकाल कर खड़ा हो गया.

उसने उस 1 नंबर.वाले मोबाइल से कल्लन को फ़ोन कर के सारी बात बताई,"सुनो,राजा ज़रूर पता लगाएगा कि उसके बेटे को ये लत लगी कैसे & इसके लिए सबसे पहले उस इंसान को ढूंदेगा जो उसके बेटे तक ड्रग्स पहुँचाता था.इसलिए तुम अब उंड़र-ग्राउंड हो जाओ.फ़िक्र मत करना,तुम्हारे पैसे तुम्हे मिल जाएँगे.",&उसने फोन बंद कर के वापस लेटी हुई मलिका की टाँगों के बीच बैठ कर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

जब पोलीस हॉस्पिटल मे मेनका का बयान लेने आई तो राजा साहब की बात ना मानते हुए मेनका ने वही फिसल कर गिरने वाली कहानी बताई.राजा साहब के पूच्छने पर उसने कहा कि विश्वा को उसके किए की सज़ा मिल रही है फिर दुनिया को सच बताकर परिवार को और बेइज़्ज़त क्यू करें.

जहाँ इस बात ने राजा साहब के दिल मे मेनका के लिए और इज़्ज़त भर दी वही मेनका भी राजा साहब की ईमानदारी से प्रभावित हुए बिना नही रह सकी.पूरे मामले मे उन्हे सिर्फ़ मेनका की चिंता थी,उनका बेटा गुनेहगर था & उसे बचाने के लिए वो बिल्कुल तैय्यार नही थे-उनका बस चलता तो विश्वा जैल मे होता.उसके पिता & डॉक्टर्स के समझने पर ही वो उसे जैल के बजाय रहाब मे भेजने को तैय्यार हुए थे.

जब राजा साहब बॅंगलुर से वापस आए तो मेनका की मा ने उसे अपने साथ ले जाने की इजाज़त माँगी,राजा साहब फ़ौरन तैय्यार हो गये पर मेनका अपने ससुर को अकेला छ्चोड़ कर जाने को बिल्कुल तैय्यार नही हुई.लाख समझाने पर भी वो नही मानी & राजा साहब के कहेने पर उसने बोला,"अपने घर को छ्चोड़कर मैं कही नही जाऊंगी."

राजा साहब सवेरे नाश्ते की टेबल पर यही सब सोच रहे थे कि मेनका नौकर के हाथ से डिश लेकर उन्हे परोसने लगी,"पिताजी,एक बात पूच्छें?"

"हा,दुल्हन."

"क्या हम ऑफीस आ सकते हैं?"

"बिल्कुल,दुल्हन.इसमे पूच्छने वाली क्या बात है?आपका अपना ऑफीस है."

"आप समझे नही.हम ऑफीस जाय्न करने की बात कर रहे हैं."

राजा साहब थोड़े परेशान दिखे,"दुल्हन महल & ऑफीस दोनो की ज़िम्मेदारी कहीं आप को...-"

"-...मुझे एक बार ट्राइ तो करने दीजिए.प्लीज़!"

"ओके,कल से चलिए हमारे साथ."

"कल से नही.आज से प्लीज़!",मेनका बच्चों की तरह मचलते हुए बोली.

"ठीक है,जाकर रेडी हो जाइए.",राजा साहब हंसते हुए बोले.

"कल्लन,जल्दी पता लगाओ कि आख़िर राजा ने अपने लौंदे को कहा भेजा है.प्रेस रिलीस क्या अपने ऑफीस मे भी साले ने रहाब सेंटर का नाम नही बताया है!",जब्बार बिस्तर पर अढ़लेता फोन पे बात कर रहा था,मलिका की चौड़ी गांद उसकी आँखों के सामने लहरा रही थी,वो घुटनो के बल बैठी थी & उसका मुँह जब्बार के लंड पे उपर-नीचे हो रहा था.

"डॉन'ट वरी.जब तक विश्वा का पता नही लगा लेता,मैं चैन से नही बैठूँगा.",& फोन कट गया.जब्बार ने फोन किनारे रखा & हाथ बढ़कर मलिका की कमर जकड़ते हुए उसे अपने उपर ले लिया,अब उसकी चिकनी चूत उसकी आँखों के सामने थी & दोनो 69 पोज़िशन मे आ गये थे.

उसने अपने दाँत उसकी गांद की 1 फाँक मे गाड़ाते हुए पूचछा,"बत्रा को भी कुच्छ नही पता चला?"

"उउन्ण..हुउँ",मलिका चिहुनकि & उसके लंड भरे मुँह से सिर्फ़ इतना ही निकला.जब्बार ज़ोर से उसकी चूत चाटने लगा.

जब्बार ने उसकी कमर पे अपनी पकड़ & मज़बूत कर दी,"राजा की औलाद बर्बादी की कगार से वापस आ जाए,ऐसा मैं कभी नही होने दूँगा.",&उसने अपना मुँह उसकी चूत मे घुसा दिया & अपनी जीभ से उसे चोदने लगा.मालिका ने भी अपनी चूसने की स्पीड बढ़ा दी & दोनो अपने क्लाइमॅक्स की ओर बढ़ने लगे.


मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी-6




मेनका की आँखें खुली तो उसने अपने को हॉस्पिटल के कमरे मे पाया.डॉक्टर.लता उसके बगल मे चेर पे बैठी थी.

"हाउ आर यू फीलिंग नाउ?",उन्होने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूचछा.

मेनका अब पूरी तरह होश मे आई & उसका हाथ अपने पेट पर चला गया.

"सॉरी,बेटा.",डॉक्टर.लता इतना ही कह पाई.मेनका की आँखों से आँसू बहने लगे तो डॉक्टर.लता ने प्यार से उसे गले लगा लिया.थोड़ी देर मे जब वो चुप हुई तो डॉक्टर.लता बोली,"मैं राजा साहब को भेजती हू,कल रात से वो 1 मिनिट भी नही सोए हैं.तुम्हारे होश मे आने का इंतेज़र कर रहे थे."कह के वो बाहर चली गयी.

मेनका को याद आया,कल रात राजा साहब ने ही उसे बचाया था....उस वक़्त वो पूरी नंगी थी.... तो क्या राजा साहब ने उसे वैसे देखा.शर्म से उसकी आँखें बंद हो गयी.उसका पति ऐसा दरिन्दा बन जाएगा,उसको तो अभी भी यकीन नही आ रहा था.आँखें खोल कर उसने कमरे मे नज़र घुमाई तो 1 तरफ 1 डस्टबिन मे उसे अपनी 1 नाइटी नज़र आई.."यानी राजा साहब ने उसके कपड़े बदले."

तभी दरवाज़ा खुला & राजा यशवीर दाखिल हुए.मेनका ने अपनी नज़ारे नीची कर ली & उसका गला फिर भरने लगा.थोड़ी देर तक कमरे मे खामोशी च्छाई रही.

"हम क्या कहें,दुल्हन & कैसे कहें?हुमारा अपना खून हमे अपनी ही नज़रों मे इस कदर गिरा देगा!हम आपसे माफी माँगते हैं."

मेनका वैसे ही खामोश रही.

"दुल्हन,चुकी आपकी शादी को ज़्यादा वक़्त नही हुआ है तो क़ानून के मुताबिक हॉस्पिटल वालों को पोलीस को खबर करनी पड़ी है कि आपका .....मिसकॅरियेज हो गया है.."राजा साहब कांपति आवाज़ मे बोले,"हम चाहते हैं कि-.."

"..-मैं पोलीस को आपके बेटे की हैवानियत के बारे मे ना बताऊं ना.नही बताऊंगी.प्लीज़ लीव मी अलोन!",मेनका चीखी & फूट-2 कर रोने लगी.उसका दबा गुस्सा फॅट कर बाहर आ गया था.

राजा साहब भागते हुए उसके पास पहुँचे & उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले,"नही,दुल्हन.आप हमे ग़लत समझ रही हैं.हम ये कह रहे थे कि आप पोलीस को पूरी सच्चाई बता दें.विश्वा ने महपाप किया है & उसकी सज़ा उसे ज़रूर मिलनी चाहिए.अगर पोलीस नही देगी तो हम देंगे अपने हाथों से.",राजा साहब की आवाज़ा कठोर हो गयी.

मेनका ने चौंक कर अपने ससुर की ओर देखा.वो कितना ग़लत समझ रही थी.राजा साहब का इलाक़े मे इतना प्रभाव था.अगर वो चाहते तो पोलीस को यहा कभी नही आने देते.बल्कि उनकी जगह कोई और होता तो बात महल की दीवारों के बीच ही दब कर रह जाती.

तभी दरवाज़ा खुला & मेनका के माता-पिता अंदर आए.मेनका की मा अपनी बेटी से लिपट गयी,मेनका की रुलाई फिर शुरू हो गयी पर मा की गोद मे उसे बहुत सहारा मिल रहा था.उसके पिता की भी आँखें नम हो चली थी.

थोड़ी देर मे जब सब थोड़े शांत हुए तो मेनका के पिता राजा अर्जन सिंग ने सारे वाकये के बारे मे पूचछा,"आख़िर ये सब हुआ कैसे,राजा साहब?"


राजा साहब के बोलने से पहले मेनका बोली,"हमारे पैर कार्पेट मे फँस गया & हम गिर गये जिसकी वजह से हम ऐसे गिरे की हमारा-..."

"...-दुल्हन हमे शर्मिंदा होने से बचाना चाहती हैं & इसीलिए झूठ बोल रही हैं.",राजा साहब उसकी बात बीच मे ही काटते हुए बोले & फिर उन्होने सारी बात राजा अर्जन & उनकी पत्नी को बता दी.

दोनो गुस्से से उबाल पड़े,"हम अपनी बेटी को यहा 1 पल भी नही रहने देंगे.ठीक होती है मेनका वापस जाएगी हुमारे साथ.और आपके बेटे-.."

"बस,डॅडी.मैं कोई गाय-बकरी हूँ जब जी चाहा शादी कर दी ,जब चाहा वापस ले जाएँगे.",फिर वो अपनी माँ की तरफ घूमी,"मा,आपने कहा था कि हम राजघराने वालों के यहा शादी बस एक बार होती है & हम स्त्रियाँ अपनी ससुराल अर्थी पर ही छ्चोड़ती हैं."

"पर बेटी,यहा इन हालत मे कैसे छ्चोड़ दे तुम्हे?"

"डॅडी,मैं इतनी भी कमज़ोर नही हू."

ये बहस चल रही थी कि दरवाज़े पे किसी ने नॉक किया.डॉक्टर.सिन्हा & उनकी वाइफ डॉक्टर.लता आए थे,"राजा साहब हम आप सबसे कुच्छ ज़रूरी बात करना चाहते हैं.",डॉक्टर.सिन्हा राजा अर्जन & उनकी पत्नी को नमस्कार करते हुए राजा यशवीर से मुखातिब होकर बोले.

"जी,ज़रूर डॉक्टर.साब.बैठिए."

"राजा साहब.आपके कहे मुताबिक कल से कुंवर हमारे हॉस्पिटल मे हैं.हमने उनका पूरे चेक-अप करलिया है.वो अडिक्षन के शिकार हैं."

"क्या?"

"जी.वो ड्रग अडिक्ट हो गये हैं & कल रात की उनकी हरकत ड्रग्स ना मिलने पर उनका रिक्षन था.उनका अपने उपर कोई कंट्रोल नही रह गया है."

"राजा साहब,हम ये कहने आए हैं कि जल्द से जल्द उन्हे रीहॅबिलिटेशन सेंटर मे भरती करवा दे.बस यही 1 रास्ता है.",डॉक्टर.लता अपने पति की बात पूरी करते हुए बोली.

राजा साहब के माथे पे चिंता की लकीरें & गहरा गयी,"डॉक्टर.साहब,आप ही हमे रास्ता दिखाएँ."

"राजा साहब,हमे 1 वीक का समय दीजिए.हम आपको बेस्ट सेंटर्स की लिस्ट दे देंगे.",कह कर दोनो पति-पत्नी जाने के लिए उठ गये,"कुंवर को अपनी ग़लती का एहसास है कि नही पता नही.राजा साहब आपको उनसे बात करके थेरपी के लिए तैय्यर करना होगा.और अगर इस बीच आप उन्हे ड्रग्स लेते पाए तो रोके मत वरना कहीं वो फिर वाय्लेंट होकर किसिको या खुद को नुकसान ना पहुँचा ले."

शाम को मेनका अपने हॉस्पिटल रूम मे अकेली थी.वो उठी & बाथरूम मे गयी,अपना चेहरा धोया & शीशे मे देखा,एक रात मे ही उसकी दुनिया उथल-पुथल हो गयी थी,"आख़िर क्यू हुआ ऐसा?उसकी अपनी कमज़ोरी की वजह से."जवाब उसके अंदर से ही आया,"नही अब वो ऐसे नही रहेगी.अपनी ज़िंदगी के फ़ैसले वो खुद लेगी.उसकी मर्ज़ी के बिना अब उस से कोई भी कुच्छ भी नही करवा सकता."

उसने कमरे मे लौटकर डॉक्टर.लता को बुलाया.

"बोलिए,कुँवारानी."

"डॉक्टर.आंटी,हमे कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स के बारे मे बताएँ."

"कुँवारानी.."

"जी आंटी,हम नही चाहते कि हमारे पति की ग़लतियों का खामियाज़ा हमे भुगतना पड़े."

"जी,कुँवारानी.",& वो उसे समझने लगी.



पर मेनक को उन गोलियों की ज़रूरत नही पड़ी क्यूकी इसके बाद सब कुच्छ बड़ी तेज़ी से हुआ.डॉक्टर.साहब ने बॅंगलुर के पास देवनहल्ली मे डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर को रेकमेंड किया.राजा यशवीर & राजा अर्जन विश्वा को वाहा अड्मिट करा आए.इस पूरे समय मे मेनका अपनी मा के साथ महल मे थी.पता नही राजा साहब ने विश्वा को जाने के लिए कैसे मनाया.बिज़्नेस पे कोई बुरा असर ना पड़े इसके लिए पहले जर्मन पार्ट्नर्स को पूरी बात बताई गयी & फिर 1 प्रेस रिलीस दी गयी.राजा साहब ने इस मुसीबत का भी बड़ी समझदारी से सामना किया था.

पर बात पूरी दुनिया के सामने खुलने से पहले उनके दुश्मन को पता चल गयी थी.
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