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Monday, August 18, 2014

मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी -2


जब से राजा साहब ने अपनी कंपनियो.का कॉर्पोरेटिसेशन करना प्लान किया उनके पास पार्ट्नर्स बनाने के लिए कई लोग आने लगे.बस यही जब्बार को उनके किले मे सेंध लगाने का मौका मिल गया.उसने कुच्छ लोगों को बहुत अट्रॅक्टिव ऑफर के साथ राजा साहेब के पास भेजा.बड़ी चालाकी से उसने अपना नाम सामने ना आने दिया पर राजकुल ग्रूप की खुसकिस्मती की उसके भेजे प्यादों मे से 1 के मुँह से नशे मे कहीं उसका नाम निकल गया & राजा साहब सचेत हो गये.

अब तो जर्मन कंपनी. & अमेरिकन कंपनी. से बातें ऑलमोस्ट फाइनल हो गयी थी.

आइए वापस चले दोनो के पास.

"जब्बार तो लगता है सबक सीख कर शांत हो गया सर."

"नही,सेशाद्री साहब दुश्मन को कभी कम नही आँकना चाहिए & खास कर जब वो जब्बार जैसा है.उसकी ये चुप्पी तो हमे तूफान से पहले की खामोशी लग रही है.बहुत सावधान रहना होगा हम सब्को."

यशवीर सिंग ने इससे सही बात शायद कभी कही हो.

रात हो चली है.अब हम राजपुरा की उस बड़ी आलीशान मगर मनहूस लगने वाली कोठी मे चलते हैं.

मलिका बड़े से पलंग पर बिल्कुल नगी होकर अपनी घोड़ी बनी हुई थी & अपनी चौड़ी,मखमली गांद जब्बार की तरफ करके हवा मे घुमा रही थी.उसने गर्दन घुमाई & जब्बार की तरफ देख कर अपनी जीभ अपने गुलाबी होठों पर फिराते हुए 1 हाथ से अपनी बड़ी-2 चूचियो को मसल्ने लगी.जब्बार उसे ऐसे देख रहा था जैसे भेड़िया अपने शिकार को.

वो केवल पाजामे मे था.उसने उसे उतार फेंका & पलंग पर चढ़ कर मालिका के पीछे पोज़िशन ले ली.मलिका अब अपनी गांद उसके लंड से टकराने लगी.जब्बार ने 1 हाथ उसकी कमर पकड़ी & दूसरे से अपना काला मोटा लंड पकड़ कर उसकी गांद के छेद मे अपना सूपड़ा घुसा दिया.

"ऊऊ...ययइईई!",मालिका आगे को हो गयी पर जब्बार ने उसकी कमर पर पकड़ & मज़बूत कर दी और अगले झटके मे पूरे का पूरा लंड अंदर पेल दिया.

"आ....आहह....मार......गा....
ईए!"

जब्बार अब ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा & बीच-2 मे मलिका के गोरे चूतदों पर थप्पड़ लगाने लगा.

"ऊओ....ऊओवववववव!",हर थप्पड़ पर मलिका चीखती थी पर सॉफ ज़ाहिर था कि उसका मज़ा और बढ़ रहा था.वो राक्षस वैसे ही उसकी गांद चोद्ता रहा & 1 हाथ से उसकी चूचिया मसल्ने लगा.फिर थप्पड़ मारना बंद करके उसने उसकी चूत के दाने को दूसरे हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया.

मालिका पागल हो गयी,"हा....अन्णन्न्...और ज़ोर ....से..फ...आ...आद्दद्ड....दे...मे...री...गा...आन्न्न्ड्ड...आई..से...ही चूऊऊऊद्द्द्द्द्द्दद्ड,साआआआअ.....ले!"

सुनते ही जब्बार ने छाती मसलना छ्चोड़ उसके लंबे बालों को घोड़ी की लगाम की तरह पकड़ कर खीच दिया..मालिका का चेहरा उपर को हो गया & उसपे दर्द की रेखाएँ दिखने लगी पर मलिका अब पूरी तरह से गरम हो गयी थी,"चूओत...मे....उन..ग्ली ..कर...नाआ!"

जब्बार ने उसकी चूत मे 3 उंगलिया घुसेड कर बेदर्दी से रगड़ना शुरू कर दिया.वो भी झड़ने के करीब था,धक्कों की स्पीड ओर बढ़ गयी मालिका भी अपनी कमर हिला कर उसकी ताल से ताल मिलने लगी..चूत मे उंगलियों की रगड़ ने भी रफ़्तार पकड़ ली की तभी.."ऊओ....ईईई मा..आआअन्न्*ननणणन्!",कहते हुए मलिका झाड़ गयी,उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया & वो निढाल हो कर आगे गिर गयी....जब्बार ने भी 5-6 धक्कों के बाद अपने पानी से उसकी गांद को भर दिया & मलिका की पीठ पर गिर कर हाँफने लगा.

तभी बगल की तिपाई पे रखा उसका मोबाइल जोकि वाइब्रटर मोड पर था, हिलने लगा.जब्बार ने वैसे ही मालिका के उपर पड़े-2 उसे उठा कर नंबर. देखा & फोन काट दिया.उसके बाद झटके से उसने अपना सिकुदा लंड मालिका की गॅंड से निकाला & अपना पाजामा पहन कर भागता हुआ कोठी के पीछे आया & वाहा बने लॉन को पार किया & पीछे बने छ्होटे से दरवाज़े को बस इतना खोला कि बाहर खड़ा काले शॉल मे लिपटा आदमी अंदर आ सके.जैसे ही वो घुसा,जब्बार उसका हाथ पकड़ कर उसे कोठी के अंदर ले आया.कोठी के सारे दरवाज़े बंद & खिड़कियाँ पर्दे से ढाकी हैं,उसने सुनिश्चित किया & उस आदमी को लेकर हॉल मे आकर बैठ गया.


"तुम्हे यहा आते किसी ने देखा तो नही?",जब्बार ने उसकी तरफ पानी की बॉटल बढ़ाई.

"नही",शॉल उतारते हुए & बॉटल खोलते हुए उसने जवाब दिया.

वो 1 6फ्ट से कुछ लंबा गोरा,तगड़ा इंसान था.उसके कंधे तक लंबे बाल & चेहरे पर घनी दाढ़ी थी.जब्बार 1 सोफे पर बैठ गया & वो इंसान उसके सामने वाले सोफे पर.

तभी मालिका हॉल मे आई.उसके बाल वैसे ही अस्त-व्यस्त थे उसने 1 ब्लॅक माइक्रो-मिनी स्कर्ट ओर उपर 1 बहुत टाइट वाइट गॅंजी पहनी थी जिसके नीचे ब्रा नही थी & चुदाई के वक़्त से कड़ी हुई उसकी घुंडिया उस गॅंजी को फाड़ कर बाहर आने को बेताब लग रही थी.गॅंजी बेपरवाही से पहनी गयी थी और उसका पेट & नाभि सॉफ दिख रहे थे.गॅंजी के गले से उसकी बड़ी चूचियो का काफ़ी हिस्सा दिख रहा था & जब वो चलती थी तो बड़े मादक ढंग से हिलता था.उसकी हालत देखकर कोई भी कह देता कि वो 1 रंडी है & अभी चुद कर आ रही है.

वो आकर जब्बार के सोफे के हटते पर बैठ गयी & उस अजनबी को सर से पैर से तक 1 बाज़ारु औरत की तरह देखने लगी.बैठते ही उसकी स्कर्ट पूरी उपर हो गयी & उसकी गांद दिखने लगी बस चूत ही धकि रही.

"ये कल्लन है & ये मेरी रखैल मलिका.",जब्बार ने दोनो का परिचय कराया.जवाब मे कल्लन ने सिर्फ़ सिर हिलाया.मलिका उसे वैसे ही चालू निगाहों से देखती रही.

"इसकी रांड़ छाप हरकतों पर मत जाना.इसका दिमाग़ हुमेशा अलर्ट रहता है.",जब्बार ने कल्लन को कहा.

मलिका ने हँसते हुए अपने दाँतों से जब्बार के कान पे काटने लगी.

"हुउँ!बस,अब काम का टाइम आ गया है.",जब्बार ने उसे रोकते हुए कहा.

फिर जब्बार दोनो को अपना प्लान सुमझने लगा.

उसके चुप होते ही मलिका ने उसकी तरफ तारीफ भरी नज़रों से देखा,"हरामीपन मे तेरा जवाब नही!इस बार तो राजा गया."


"हा,पर 1 बात हम तीनो अच्छी तरह समझ ले.कल्लन,तुम हुमलोगों से कभी नही मिलोगे & इस गाओं मे कभी नज़र आओगे.",जब्बार उठ कर अंदर गया & 2 नये मोबाइल लेकर आया.1 उसने कल्लन को दिया,"इन दोनो मोबाइल्स बस 1 दूसरे का नंबर.सेव्ड है.जब भी ज़रूरत हो हम इसी पर बात करेंगे.प्लान कामयाब करने के लिए हुमारी सावधानी बहुत ज़रूरी है."

"और हां तू भी सुन ले मलिका,मैं जानता हूँ इस को देख कर तेरी चूत लार टपका रही है पर जब तक हम अपने मक़सद मे कामयाब नही हो जाते तुझे इसे कंट्रोल मे रखना होगा",वो उसकी चूत थपथपाते हुए बोला.

कल्लन पे मालिका की जिस्म की नुमाइश का कोई असर नही हुआ या यू कहें कि उसने अपने भाव बड़ी सफाई से च्छूपा लिए थे,'क्या गॅरेंटी है जब्बार कि काम ख़तम होने के बाद तुम मुझे दूध से मक्खी की तरह नही निकाल फेंकोगे?"

"इस गुनाह मे हम तीनो बराबर के भागीदार रहेंगे ,कल्लन.हम तीनो 1 दूसरे के राज़दार हैं & यही हम तीनो की सलामती की गॅरेंटी है."

तब तक मलिका अंदर से विस्की ले आई थी.उसने 3 पेग बनाए,1 खुद लिया & बाकी 2 दोनो मर्दों को दिया,"चियर्स 2 और सक्सेस."

ग्लास खाली करते ही कल्लन ने शॉल वापस लपेटी और उसी रास्ते वापस लौट गया.

दरवाज़ा बूँद करके जब्बार अंदर आया तो देखा की मलिका सोफे पर फिर से नंगी पड़ी अपनी चूत मे उंगली कर रही है & अपनी चूचिया दबा रही है.

"साली छिनाल,हुमेशा गरम रही है!",जब्बार मन ही मन बड़बड़ाया & अपना पाजामा उतार कर सोफे की तरफ बढ़ गया.
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