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Thursday, August 21, 2014

"मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी -8




कुच्छ ही दीनो मे मेनका ने ऑफीस का सारा काम समझ लिया.विश्वा के जाने के बाद जो जगह खाली हुई थी,उसे उसने बखूबी भर दिया था.ज़िम्मेदारी बढ़ने के बावजूद महल के काम-काज पर उसने ज़रा भी असर नही पड़ने दिया था.अब वो पहले से ज़्यादा खुश नज़र आती थी...बस 1 प्राब्लम थी.उस हादसे के बाद से रात को उसे बुरे सपने आने लगे थे & अक्सर बीच मे ही उसकी नींद टूट जाती थी.

उस सुबह भी वो सपने की वजह से जल्दी उठ गयी तो उसने सोचा की नौकरों से थोडा काम ही निपट वाया जाए.रात के खाने के बाद महल का सारा स्टाफ महल के कॉम्पोन्ड मे बने अपने क्वॉर्टर्स मे चला जाता था & सुबह महल के अंदर से हुक्म आने पर ही अंदर जाता था.मेनका ने इंटरकम से अंदर आने का ऑर्डर दिया & बटन दबा कर सारे एलेक्ट्रॉनिक लॉक्स खोल दिए.थोड़ी ही देर मे महल के अंदर रोज़मर्रा की चहल-पहल होने लगी.

ऐसे ही किसी काम से मेनका अकेली ही उस हिस्से मे पहुँची जहा जिम था,उसने जिम की सफाई कल ही करने का ऑर्डर दिया था & उसी का मुआयना करने आई थी.

जिम के अंदर कदम रखते ही उसका मुँह खुला रह गया......सामने राजा साहब उसकी तरफ पीठ करके वेट ट्रैनिंग कर रहे थे-केवल 1 अंडरवेर मे.वो उनके गथिले बदन को देखने लगी.मज़बूत कंधे & विशाल बाहें जब वेट उपर उठाती थी तो 1-1 मसल का शेप सॉफ दिखाई देता था,नीचे बिल्कुल सीधी पीठ,पतली कमर & नीचे पुष्ट गांद.....मेनका को टाँगों के बीच गीलापन महसूस हुआ & ऐसा लगा जैसे की पैरों मे जान ही ना हो.उसने दीवार को पकड़ कर सहारा लिया पर तभी राजा साहब पीछे घूमने लगे तो वो उसी दीवार की ओट मे हो गयी.

थोड़ी देर बाद उसने वैसे ही ओट मे च्छुपकर फिर से अंदर झाँकना शुरू किया,...अब उसके ससुर का मुँह उसकी तरफ था पर वो उसे देख नही सकते थे.अब उनके हाथों मे डमबेल थे जिन्हे वो बारी-2 से उपर नीचे कर रहे थे & उनके सीने की मछ्लिया पसीने से चमक रही थी.मेनका ने उनके चौड़े सीने को देखा & उसे वो सुबह याद आई जब उन्होने उसे गिरने से बचाया था & उसने इसी सीने मे पनाह ली थी.वो मर्दाना खुश्बू फिर उसे महसूस हुई & टाँगो के बीच गीलापन बढ़ गया.उनके सीने पे काफ़ी बाल थे & मेनका की निगाहें बालों की लकीर को फॉलो करने लगी जो नीचे जा रही थी......& उनके अंडरवेर मे गुम हो गयी थी.मेनका की नज़रे अंडरवेर पर टिक गयी....कितना फूला हुआ था.....कितना बड़ा होगा......उसका हाथ सारी से उपर ही उसकी जाँघो के बीच के हिस्से को सहलाने लगा &थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

"मालिकन..",कोई नौकर उसे ढूंढता उधर आ रहा था.वो वापस होश मे आई & अपने को सायंत करके आवाज़ की दिशा मे चली गयी.
...............................
"कल सुबह ही हमे बॉमबे रवाना होना होगा.जर्मन पार्ट्नर्स से फाइनल राउंड की बात करके डील पे साइन करना है.",राजा साहब अपने चेंबर मे बैठे थे & सामने मेनका,सेशाद्री & 4 स्टाफ मेंबर्ज़ उन्हे सुन रहे थे.

"कल सवेरे 5 बजे कार्स से हम शहर जाएँगे & 6:15-6:30 तक हमारा चार्टर्ड प्लेन बॉमबे के लिए तक-ऑफ करेगा जहा हम 10 बजे तक पहुँचेंगे.मीटिंग 11 बजे शुरू होगी.कल की रात हम सब वही रुकेंगे & परसों होप्फुली डील साइन कर के वापस आ जाएँगे."

"सर,मुझे & बाकी मेंबर्ज़ को तो कल ही वापस आना होगा क्यूकी परसो से ऑडिट शुरू होनी है.",सेशाद्री बोले.

"अरे,ये बात तो हमारे दिमाग़ से उतर ही गयी थी.तो ठीक है आप सब शाम को उसी प्लेन से वापस रवाना हो जाइएगा.हम परसों डील साइन कर के वापस आएँगे.दुल्हन हुमारे साथ ही वापस आएँगी"

सारे स्टाफ मेंबर्ज़ बाहर चले गये तो मेनका भी जाने लगी,"मैं महल जाकर अपनी पॅकिंग कर लेती हूँ."

"हा.ठीक है.",& राजा साहब अपने लॅपटॉप पे फाइल्स चेक करने लगे.

रात करीब 10 बजे राजा साहब महल पहुँच कर सीढ़िया चढ़ कर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे जब वाहा से कुच्छ आवाज़ें आती सुनाई दी.अंदर जाने पर उन्होने देखा की मेनका 1 नौकर के साथ उनके वॉक-इन क्लॉज़ेट से कपड़े निकलवा कर पॅकिंग करवा रही है.

"अरे आपने क्यू तकलीफ़ की दुल्हन?हुमारे नौकर को कह देती...बस 2 ही दीनो के लिए तो जाना है."

"हा,कह ही देना चाहिए था.सारे कपड़े तो आपके एक जैसे हैं.कोई फ़र्क ही नही है."

"तो इस उम्र मे हम तरह-2 के कपड़े पहन कर क्या करेंगे?",उन्होने हंसते हुए पूचछा.

"काम करने मे तो आप जवानो को भी मात देते हैं तो कपड़े क्यू बूढो जैसे पहनेंगे....अफ",एक गिरी हुई शर्ट को उठाने के लिए मेनका झुकी तो उसका पल्लू ढालक गया & राजा साहब के सामने उसका बड़ा,मस्त क्लीवेज छलक उठा.वो उनकी नज़रो से बेपरवाह उस शर्ट को तह करने लगी.उसका पेट भी नुमाया हो रहा था & राजा साहब की नज़रे उसके क्लीवेज से फिसल कर उसके चिकने,सपाट पेट के बीचोबीच उसकी गोल नाभि पर टिक गयी.उनका लंड पॅंट के अंदर हरकत मे आने लगा था.

तभी मेनका पलटी & क्लॉज़ेट के अंदर जाने लगी,जैसे ही राजा साहब ने सारी मे कसी अपनी बहू की टाइट गांद को देखा उनका लंड पूरा खड़ा हो गया & पॅंट से निकलने को च्चटपटाने लगा.

"खाना तैय्यार है हुज़ूर..",1 नौकर ने दरवाज़े पे आके कहा.

"हम अभी आते हैं", कह कर राजा साहब तेज़ी से मुड़े & बाथरूम मे चले गये.

खाने के टेबल पर दोनो मे कुच्छ खास बात नही हुई.थोड़ी देर बाद सारा स्टाफ भी अपने कमरों को चला गया.

"गुड नाइट,पिताजी.आप भी जाकर सो जाइए.कल बहुत सवेरे उठना है",मेनका ने पहली सीढ़ी पर पैर रखा कि ना जाने कैसे उसका पैर मूड गया & वो गिर पड़ी.

"अरे संभाल के दुल्हन......चलिए उठिए",राजा साहब उसे सहारा देकर उठाने लगे पर मेनका दर्द से कराह उठी,"आउच..!पैर सीधा रखने मे दर्द होता है"

"अच्छा..",राजा साहब उसके पैर को देखने लगे,टखने मे मोच आई थी,"..हम..कमरे मे चल कर इसका इलाज करते हैं.खड़े होने की कोशिश कीजिए."

"नही हो रहा.बहुत दर्द है."मेनका दर्द से परेशान हो बोली.

"ओके",राजा साहब ने उसकी दाई बाँह अपने गले मे डाली & उसे अपनी गोद मे उठा लिया.शर्म के मारे मेनका के गाल और लाल हो गये.राजा साहब सीढ़ियाँ चढ़ने लगे.वो उसकी तरफ नही देख रहे थे....पर वोही मर्दाना खुश्बू मेनका को महसूस हुई,अपने ससुर के गले मे बाँह डाले मेनका को बहुत अच्छा लग रहा था.उसे उन्होने ऐसे उठा रखा था जैसे उसका वजन ही ना हो.कमरे तक पहुँचने मे ना तो वो हांफे ना ही पसीने की 1 भी बूँद उनके माथे पे छल्कि".....इस उम्र भी इतनी ताक़त",मेनका तो उनकी फिटनेस की कायल हो गयी.

कमरे मे पहुँच कर उन्होने मेनका को पलंग पे ऐसे लिटाया जैसे किसी फूल को रख रहे हैं.फिर उसके ड्रेसर से 1 बॉम लेकर आए & उसकी तरफ पीठ करके उसके पाओं के पास बैठ गये.सारी थोड़ी सी उपर खिसका कर उसके टखने को देखने लगे,"...उफ़फ्फ़..कितनी कोमल है.."राजा साहब उसके टखने को सहलाने लगे.मेनका की आँखें मूंद गयी.उसे बहुत अच्छा लग रहा था.

"जब हम फुटबॉल खेलते थे तो ऐसी चोट बड़ी आम थी.",उन्होने वैसे ही सहलाना जारी रखा.

"ह्म्म...",मेनका बस इतना ही कह पाई.

और तभी राजा साहब ने उसके टखने को अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर 1 झटका दिया.

"औउउ...छ्च!",मेनका उठ कर बैठ गयी & दर्द से तड़प कर पीछे से उसने अपने ससुर को पकड़ लिया & उसका सर उनकी पीठ से जा लगा."बस ठीक हो गया.",कह कर वो उसके टखने पर बॉम की मालिश करने लगे.मेनका वैसे ही अपने ससुर से सटी रही.राजा साहब भी मालिश करते-2 उसके पैर को सहलाने लगे.दोनो को एक दूसरे का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था.राजा साहब का हाथ अपनी बहू के टखने से उपर आने लगा....मेनका भी आँखें बंद कर इस लम्हे का लुत्फ़ उठा रही थी...

"टॅनन्न्न....!",महल के बड़े घारियल मे 12 बाज गये थे.दोनो चौंक कर अलग हो गये.

"आराम कीजिए दुल्हन.सुबह तक दर्द ठीक हो जाएगा.",कहकर बिना उसकी तरफ़ देखे वो वापस अपने कमरे मे आ गये.उनका लंड पाजामे मे पूरा खड़ा था.उन्होने उसे उतार फेंका & अपना लंड तेज़ी से हिलाने लगे....

मेनका तो जल रही थी.राजा साहब ने उसके अंदर वो आग भड़काई थी जो आज से पहले उसने कभी महसूस ना की थी.उसने अपनी नाइटी अपने बदन से अलग की & बगल मे पड़े 1 बड़े तकिये से चिपक कर अपनी चूत उस पे रगड़ने लगी.

अगली सुबह दोनो एक-दूसरे से नज़रें चुरा रहे थे,बातें भी बस कम भर हो रही थी.सभी लोग प्लेन मे बैठे & डील के बारे मे चर्चा होने लगी.मेनका अब राजपरिवार की ही नही बल्कि राजकुल ग्रूप की भी 1 अहम सदस्य बन गयी थी.सारे ज़रूरी पायंट्स डिसकस किए जा रहे थे & मेनका का पैना दिमाग़ बारीक से बारीक ग़लती को पकड़ कर उसे सही कर रहा था.राजा साहब ने फिर से उसे 1 ससुर की नज़रो से देखा...यह लड़की अगर ना होती तो शायद आज वो ये डील करने ना जा रहे होते.अपने दर्द को भूल कर मेनका ने केवल उनके परिवार के हित & मान का ध्यान रखा था.
फ्लाइट के बॉमबे पहुँचने तक दोनो बहुत हद तक नॉर्मल हो गये थे & नज़रें चुराना भी बंद कर दिया था.

11 बजे जर्मन पार्ट्नर्स एबेरहर्ट कॉरपोरेशन. के ऑफीस मे मीटिंग शुरू हो गयी.2 बजे लंच के लिए मीटिंग को रोका गया पर 1 घंटे बाद सभी लोग वापस डील के पायंट्स फाइनल करने मे लग गये.शाम 7 बजे मीटिंग ख़तम हुई,"मिस्टर.सिंग.वी'वे आ डील.",जर्मन पार्ट्नर फ्रॅन्ज़ एबेरहर्ट ने राजा साहब से हाथ मिलाते हुए कहा,"..& मिसेज़.सिंग,युवर फादर-इन-लॉ हॅज़ नोथिन्ग टू वरी अबौट एज लोंग एज यू आर विथ दा राजकुल ग्रूप."

तारीफ सुन कर खुशी & शर्म से मेनका के गालों का रंग & गुलाबी हो गया."..लुकिंग फॉर्वर्ड टू वर्क विथ यू.",एबेरहर्ट ने झुकते हुए मेनका से हाथ मिलाया.राजा साहब को अपनी बहू पर बहुत गर्व & प्यार आ रहा था.

थोड़ी देर बाद ये डिसाइड हुआ कि सारे पेपर्स तैय्यार करके कल सवेरे 11 बजे दोनो पार्टीस उन पर साइन कर ले.सेशाद्री साहब & बाकी स्टाफ के लोग वही से वापसी के लिए एरपोर्ट रवाना हो गये.अब मेनका अपने ससुर के साथ अकेली रह गयी.दोनो कार मे बैठ कर जुहू मे होटेल मेरियट की तरफ चल दिए.

कार की बॅक्सीट पे राजा साहब ने चुप्पी तोड़ी,"अगर आप हमारे साथ नही होती दुल्हन,तो शायद आज हम इस खुशी को महसूस नही कर रहे होते."

"अब आप हमे शर्मिंदा कर रहे हैं.एक तरफ तो दुल्हन बोलते हैं & दूसरी तरफ ऐसी फॉरमॅलिटी भरी बातें करते हैं."

"नही,दुल्हन.हमे बोलने दीजिए.आपकी जगह कोई भी लड़की होती तो जो आपने झेला है,उसके बाद कभी भी राजपुरा मे नही रहती.हम आपके एहसानो का क़र्ज़...-"

"..-बस!अगर आपने ऐसी बातें की तो मैं ज़रूर राजपुरा छ्चोड़ कर चली जाऊंगी.आप ऐसे क्यू कह रहे हैं,जैसे राजपुरा हमारा घर नही है.",उसने अपने ससुर का हाथ अपने हाथ से दबाया,"राजपुरा हमारा घर है & अपने घर के बारे मे सोचना कोई तारीफ की बात नही."

जवाब मे राजा साहब बस प्यार भरी निगाहों से उसे देखते रहे.

तभी मेनका चिल्लाई,"ड्राइवर कार ज़रा साइड मे लो....हा..हा..इसी माल मे ले चलो."

"अभी शॉपिंग करनी है दुल्हन.हम कल करवा देंगे.अभी होटेल चल कर आराम करते हैं."

"नही.शॉपिंग तो अभी ही होगी.चलिए.",मेनका कार से उतरने लगी.

"आप हो आइए हम यहा केफे मे बैठ कर आपका इंतेज़ार करते हैं.",माल मे दाखिल होकर राजा साहब ने कहा.

"बिल्कुल नही.चलिए हमारे साथ.",मेनका ने उनका हाथ पकड़ा & खींचते हुए लिफ्ट मे ले गयी.

दोनो वैसे ही एक दूसरे का हाथ थामे मेन'स सेक्षन मे दाखिल हुए.,"अरे,दुल्हन हमे कुच्छ नही चाहिए?",मेनका का मक़सद समझते हुए राजा साहब हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगे.

"बिल्कुल चुप.",मेनका ने और मज़बूती से अपने ससुर का हाथ पकड़ते हुए कहा.

"हाउ मे आइ हेल्प यू?",1 सेलेज़्गर्ल उनके पास आई.

मेनका उसके साथ राजा साहब के लिए कपड़े सेलेक्ट करने लगी.राजा साहब का हाथ अभी भी उसकी पकड़ मे था.वो उपर से तो मना कर रहे थे पर मन ही मन,उन्हे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था.इस तरह तो उनकी परवाह आज तक किसी औरत ने नही की थी.उनकी पत्नी उनका बहुत ख़याल रखती थी पर उस ख़याल मे अपनेपन से ज़्यादा ड्यूटी पूरी करने का एहसास था....& ऐसे सर्प्राइज़ देकर अचानक शॉपिंग करवाना...ये तो उन्होने सोचा भी नही था...दिल कर रहा था कि बस इसी तरह सारी उम्र उसका हाथ थामे खड़े रहें"...लीजिए ये सारे कपड़े ट्राइ करिए...जाइए"

जब राजा साहब ट्राइयल रूम से बाहर निकले तो सेलेज़्गर्ल ने उनके हाथों से सारे कपड़े ले लिए,"युवर वाइफ लव्स यू ए लॉट सर & वॉट गुड टेस्ट हॅज़ शी गॉट!",राजा साहब एक पल को चौंक गये पर फिर तुरत उन्हे बात समझ मे आ गयी...ये मेनका को उनकी पत्नी समझ रही है....उन्होने बस हल्के से सर हिला दिया,वो लड़की भी कपड़े लेकर दूसरी ओर चली गयी.मेनका थोड़ी दूरी पर खड़ी कुच्छ कपड़े देख रही थी..."लगता है उसने ये बात नही सुनी."

सारी शॉपिंग के बाद दोनो पेमेंट काउंटर पे पहुँचे.राजा साहब जेब से अपना वॉलेट निकालने लगे तो मेनका ने उन्हे रोक दिया,"नही.आप नही मैं पेमेंट करूँगी.ये आपको गिफ्ट है मेरी तरफ से."

"पर दुल्हन..."

"श्ह.",उसने अपने होठों पे उंगली रखकर उन्हे चुप रहने का इशारा किया & अपने हॅंडबॅग से कार्ड निकाल कर काउंटर पे बैठे आदमी की तरफ बढ़ाया.

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माल से होटेल जाते वक़्त कार मे बैठे-2 राजा साहेब ने अपने मोबाइल से फ़ोन मिलाया,"डॉक्टर.पुरन्दरे.हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं."

मेनका खिड़की से बाहर देखने लगी,उसके ससुर उसके पति का हाल पूच्छ रहे थे.इतने दीनो मे उसने 1 बार भी विश्वा के बारे मे नही सोचा था.अगर मन मे ख़याल आता भी तो जल्दी से अपना ध्यान दूसरी ओर कर उस ख़याल को दिमाग़ से निकाल फेंकती थी."कैसा आदमी था उसका 'सो-कॉल्ड पति'.जब वो हॉस्पिटल मे थी तो एक बार भी उसे देखने नही आया....ना कभी उस से माफी माँगने की कोशिश की और क्यू करता वो तो उसके लिए बस एक खिलोना थी....हवस मिटाने की चीज़,उसने उसे कभी पत्नी थोड़े ही समझा था.",मेनका सोच रही थी,"जब वो ठीक होकर वापस आ जाएगा तो वो कैसे करेगी उसका सामना...फिर से उस हैवान के साथ रहना पड़ेगा...",उसने अपने सर को झटका,"..जब आएगा तब सोचेंगे...आज तो इतनी खुशी का दिन है.डील फाइनल हो गयी है.आज कोई बुरा ख़याल मन मे नही लाऊंगी",अपने ससुर की तरफ देखा तो वो मोबाइल बंद करके जेब मे डाल रहे थे.वो उसे कभी भी विश्वा के बारे मे नही बताते थे...शायद जानते थे कि उसका ज़िक्र उसे फिर से वो दर्द याद दिला देगा.वो उनकी ओर देख कर मुस्कुराइ & फिर खिड़की से बाहर देखने लगी.

आइए अब हम बॅंगलुर चलते हैं,डॉक्टर.पुरन्दारे के रहाब सेंटर मे,विश्वा को देखने.....वो देखिए बाकी पेशेंट्स के साथ बैठ कर खा रहा है...& डॉक्टर.पुरन्दारे कहाँ है?....हाँ..वहाँ अपने चेंबर मे कंप्यूटर पर कुच्छ देख रहे हैं...क्या देख रहें है आख़िर?....अच्छा!विश्वा के थेरपी सेशन्स के टेप हैं.डॉक्टर.साहब अपने सारे पेशेंट्स से जो भी बात करते हैं उसे वीडियो रेकॉर्ड कर लेते हैं,इस से उन्हे बाद मे मरीज़ को अनल्ये करने मे आसानी होती है.चलिए,हम भी उनके साथ ये वीडियोस देखते हैं.

पेशेंट नंबर.45681,विश्वजीत सिंग

सेशन 1
डॉक्टर.:हेलो,विश्वजीत.

विश्वा बस सिर हिलाता है.

डॉक्टर."देखो,विश्वा-आइ कॅन कॉल यू विश्वा...ओके.देखो,मेरा मानना है कि हर आदमी जो किसी बुरी लत का शिकार है खुद अपने को सुधार सकता है अगर वो खुद के अंदर झाँक कर अपनेआप को समझने की कोशिश करे.मैं चाहता हू कि तुम भी यही करो.

विश्वा एक तरफ सर घुमा कर दीवार की ओर देख रहा है.पता नही डॉक्टर.की बातों पर ध्यान दे भी रहा है या नही..

डॉक्टर.:..इंसान नशे का सहारा लेता है किसी चीज़ से भागने के लिए & ये नही सोचता कि कुच्छ समय बाद वो उस नशे का गुलाम हो जाता है..उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाता है बस...मेरी बात के बारे मे सोचना.यू मे गो नाउ.

डॉक्टर.कुच्छ फाइल्स स्किप कर आगे बढ़ते हैं.

सेशन 4

डॉक्टर.:हेलो,विश्वा.

विश्वा:हाई.डॉक्टर.

डॉक्टर.:कैसा लग रहा है यहा?

विश्वा:अच्छी जगह है डॉक्टर,पर जब तलब लगती है तो ये जगह जैल लगने लगती है.

डॉक्टर.:तुम चाहो तो कल ही यहा से जा सकते हो.तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ ,अगर तुम्हारे परिवार वाले बोले, तो भी मैं तुम्हे यहा नही रोकुंगा.

विश्वा(खड़ा होकर खिड़की से बाहर देखते हुए):नही डॉक्टर,मैं ठीक होना चाहता हू.मैं किसी और चीज़ को अपनी लाइफ कंट्रोल करने नही दे सकता.

डॉक्टर.:दट'स दा स्पिरिट!मैं समझता हू,विश्वा, जब तलब लगती है तो बहुत मुश्किल होती है पर मैं जानता हु कि तुम इस से ज़रूर उबर जाओगे.

डॉक्टर.और आगे बढ़ते हैं,1 वीडियो देखना शुरू करते हैं & फास्ट फॉर्वर्ड कर वाहा से देखते हैं, जहाँ से विश्वा बोलता है,

विश्वा:..मेरे मा-पिता बहुत अच्छे हैं & हम दोनो भाइयों को कँहि भी बिगड़ने नही दिया & ना ही कभी हुमारी कोई जायज़ माँग को ठुकराया ...& मेरा भाई तो मेरा दोस्त था.डॉक्टर,हम राजपरिवार के लड़को से कुच्छ खास उम्मीदें रखी जाती हैं-हमे अपने परिवार की मर्यादा का हर वक़्त ख़याल रखना पड़ता है-हर वक़्त.मुझ से ये सब उतना नही होता था,वैसे भी मेरा भाई भावी राजा था...उसे बिज़्नेस संभालना था & परिवार के मान की रखवाली करनी थी.

डॉक्टर.:तो तुम परिवार की इज़्ज़त का ख़याल नही करते?

विश्वा:करता हू.पर मैं राजपुरा मे नही रहना चाहता था,मैं तो अमेरिका मे अपने फ्रेंड्स के साथ अप्पर-एंड गॅडजेट्स का बिज़्नेस करना चाहता था.मेरे भाई को मेरे प्लॅन्स के बारे मे पता था & वो हुमेशा कहता था कि फॅमिली बिज़्नेस & ट्रेडिशन्स की देखभाल के लिए वो है,मैं तो बस वो करू जो मैं चाहता हू.मेरा भाई मेरा बहुत ख़याल रखता था डॉक्टर...पर भगवान ने उसे छ्चीन लिया & मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा.पिता जी बिल्कुल अकेले थे & मा भी स्वर्ग सिधर गयी थी.
मैं आया था अपना फ़र्ज़ निभाने पर इधर कुच्छ महीनों से ये फ़र्ज़ मुझे बोझ लगने लगा था...

डॉक्टर. और आगे बढ़ते हैं....

सेशन 8

विश्वा:मुझे अपने पिता से कोई शिकायत नही डॉकटॉर पर शायद हम दोनो के रास्ते अलग हैं,राजपुरा उनकी ज़िंदगी है & मैं अब राजपुरा जाना नही चाहता.मेरा दम घुट ता है अब वहाँ.

सेशन 15

डॉक्टर.:सेक्स के बारे मे तुम्हारे क्या ख़याल हैं?

विश्वा;इंसानी ज़रूरत है जैसे खाना,पानी,हवा..

डॉक्टर.:और शादी?

विश्वा:बिल्कुल ज़रूरी नही.है अगर आप बच्चा पालना चाहते हैं तो अलग बात है वरना किसी लड़की के साथ आप शादी के बगैर भी वैसे ही रह सकते हैं.

डॉक्टर.:तो फिर तुमने शादी क्यू की?

विश्वा:क्यूकी राजकुनवर होने के नाते,दट वाज़ एक्सपेक्टेड ऑफ मी.

डॉक्टर.:तुमने अपनी बीवी के साथ जो किया...

विश्वा:मैं उसके लिए शर्मिंदा हू...यहा से जाते ही मैं मेनका से माफी माँगूंगा पर शायद हुमारी शादी अब मैं निभा नही पाऊँगा...(हंसता है)..मैं भी क्या कह रहा हू!जो उस रात हुआ उसके बाद तो वो ही मेरे साथ नही रहना चाहेगी....मैने बहुत कोशिश की उसके साथ एक एमोशनल रिश्ता बने,डॉक्टर...पर ऐसा कभी हो नही पाया...

डॉक्टर.:तो तुमने उसी से शादी क्यू की?किसी और राजकुमारी से भी कर सकते थे?

थोड़ी देर चुप रहने के बाद विश्वा बोला,"डॉक्टर,वो बहुत खूबसूरत है...मैं बस..मैं बस उसके साथ हुमबईस्तर होना चाहता था.उसे देखते ही मेरे दिल मे उसके जिस्म को हासिल करने का ख़याल आया था.शुरू मे मैने सोचा था कि इसी तरह हुमारे बीच प्यार भी हो जाएगा...वो बहुत अच्छी लड़की है...बहुत समझदार भी ...पर पता नही मेरे लिए वो कभी भी एक...एक...हसीन जिस्म से ज़्यादा क्यू नही बन पाई..मुझे कभी उस से प्यार नही हुआ.

तभी डॉक्टर.का फोन बजता है.यह राजा साहब का है,होटेल को जाते हुए कार से कर रहे हैं.

"नमस्कार,राजा साब...हा,हा..विश्वा मे काफ़ी इंप्रूव्मेंट है.अभी मैं उसी की फाइल देख रहा था.सबसे बड़ी बात है कि वो खुद भी ठीक होना चाहता है...मैं कल आपको उसके बारे मे एक डीटेल्ड ई-मैल भेजता हू,फिर हम बात करेंगे....अच्छा राजा साहब,नमस्ते."

चलिए वापस बॉमबे चलते हैं,मेनका & राजा यशवीर होटेल मेरियट पहुँच गये हैं & राजा साहब रिसेप्षन पर अपना परिचय दे रहे हैं..

"हम यशवीर सिंग हैं.हुमारे सेक्रेटरी ने राजपुरा से फोन पर यहा हुमारे नाम से 2 स्यूयीट्स बुक किए होंगे."

"वेलकम सर.आपकी बुकिंग है पर 1 सूयीट की.मैने ही राजपुरा से कॉल रिसीव की थी & मुझे कहा गया था कि राजा यशवीर सिंग & मिसेज़.सिंग के लिए सूयीट बुक करना है & हमने लोटस सूयीट आपके लिए रेडी कर दिया है."

"ये कैसे हो सकता है.हमने सॉफ कहा था कि 2..-"

"इट'स ओके.हमारा सूयीट हमे दिखा दीजिए.",मेनका राजा साहब की बाँह पकड़ते हुए बोली,"चलिए."

"शुवर मॅ'म.",कह कर रिसेप्षनिस्ट ने 1 बेल बॉय को बुला कर उनके साथ कर दिया.

"आपने हमे बात क्यू नही करने दी?ऐसी ग़लती कोई कैसे कर सकता है..",राजा साहब लिफ्ट मे घुसते हुए बोले.

"फोन पे अक्सर ऐसी ग़लत फहमी हो जाती है.सेक्रेटरी ने राजा साहब & मिसेज़.सिंग बोला होगा & इन्हे लगा होगा कि हम पति-पत्नी हैं.",जवाब देते हुए शर्म से मेनका के गाल लाल हो गये.

"अरे,जब आप बात समझ गयी थी तो उस रिसेप्षनिस्ट को बताया क्यू नही?"

"आपने भी तो माल मे सेलेज़्गर्ल को नही बताया था.",बेल्लबोय के पीछे सूयीट मे घुसते हुए मेनका बोली.

राजा साहब की बोलती बंद हो गयी,"... तो इसने सुन लिया था.",उन्होने सोचा.

सूयीट मे दाखिल होते ही एक लाउंज था जहा एक सोफा सेट लगा था & उसके बाद बड़ा सा बेडरूम जिसमे एक तरफ 4 चेर्स & 1 टेबल थी & 1 स्टडी डेस्क था जिसपे कंप्यूटर & फोन थे & दूसरी तरफ था 1 विशाल पलंग जिसे देख कर बस यही ख़याल आता था कि यह तो चुदाइ के लिए ही बना है.

राजा साहब फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चले गये,तब तक मेनका ने भी कपड़े बदल कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे राजा साहब के आने के बाद दोनो ने साथ मे खाना खाया.अब मेनका काले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहने थी & राजा साहब कुर्ते-पाजामे मे थे.

"हम यहा लाउंज मे सो जाएँगे,आप बेड पर सो जाइए.",राजा साहब ने अपनी बहू को कहा.

"जी नही,पलंग बहुत बड़ा है.एक तरफ आप सो जाइए,मैं दूसरी तरफ सो जाऊंगी."

"पर.."

"पर-वॉर कुच्छ नही.चलिए सो जाइए.दिन भर ज़रा भी आराम नही किया है आपने & यहा लाउंज मे तो आपको बड़ी अच्छी नींद आएगी!.",मेनका बाँह पकड़ कर अपने ससुर को ले गयी & पलंग पर बिठा दिया.,"चलिए,लेट जाइए.",& उनके लेट ते ही उपर से चादर ओढ़ा दी.फिर फ्रिड्ज से 1 बॉटल निकाली & ग्लास के साथ उसे राजा साहब के तरफ की साइड टेबल पर रख दिया.,"गुड नाइट."

"गुड नाइट.",राजा साहब ने अपनी आँखे बंद कर ली.मेनका बाथरूम चली गयी थी.आँखें तो बंद कर ली पर राजा साहब की आँखों मे नींद थी कहा.उन्हे कल रात का वाक़या याद आया जिसके बाद उन्होने अपनी बहू को सोच कर मूठ मारी थी.उन्हे अपने उपर आश्चर्य हो रहा था.जब से उनका बेटा मरा था,सेक्स की ओर उनका ध्यान कभी नही गया था...& वो शहर की रखाइलों वाला किस्सा तो उन्होने यूधवीर के विदेश से पढ़ कर लौटने से पहले ही ख़तम कर दिया था.पर इस लड़की ने उनमे फिर वो भूख जगा दी थी.

तभी मेनका बाथरूम से बाहर आई & ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गयी,राजा साहब की ओर उसकी पीठ थी & वो उसे देख रहे थे.मनका ने सॅश खोल कर गाउन उतार दिया,नीचे काले रंग की नाइटी थी.

"..उफ़फ्फ़...काले लिबास मे तो इसका गोरा रंग & निखर रहा है..",मेनका ने अपने बाल सवार,बत्ती बुझाई & आकर पलंग पर लेट कर अपने उपर चादर डाल दी.

कमरे मे अंधेरा हो गया & बिल्कुल सन्नाटा च्छा गया.दोनो एक दूसरे की तरफ पीठ कर करवट से लेते हुए थे.बाहर सब शांत था पर दोनो के दिलों मे तूफान मचा हुआ था.राजा साहब का लंड पाजामे मे हरकते कर रहा था & बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे काबू मे किया था.मेनका की भी हालत बुरी थी,उसे तो ये हल्की-फुल्की नाइटी भी बहुत ज़्यादा तंग लग रही थी,वो चाह रही थी कि इसे भी उतार दे...उसकी चूत मे खुजली सी होने लगी थी..

पर किसी तरह दोनो ने अपने दिलों को काबू मे रखा & सोने की कोशिश करने लगे.बहुत सवेरे से जागे होने के कारण & दिन भर की थकान ने असर दिखाया & थोड़ी देर बाद दोनो नींद की गोद मे थे.
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