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Thursday, August 21, 2014

"मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी -9




रात अचानक राजा साहब को गर्मी महसूस हुई तो वो उठ बैठे,अपने बदन से चादर हटा दी & साइड टेबल पे रखा लॅंप ऑन कर दिया.फिर अपना कुर्ता उतार कर किनारे रख दिया & टेबल से बॉटल उठा कर पानी पीने लगे.घड़ी मे देखा तो 1 बज रहा था.उन्हे मेनका का ध्यान आया तो घूम कर उसकी ओर देखा.वो उनकी तरफ ही करवट कर लेटी हुई थी.

अपनी बहू को देखते ही राजा साहब के होठ फिर सूख गये,नाइटी के गले से मेनका की चूचियो का काफ़ी हिस्सा नज़र आ रहा था,बाहों के दबाव के कारण चूचियो का कटाव & बड़ा हो कर उभर रहा था.नींद मे चादर भी उसके शरीर से हट गयी थी & नाइटी उठ कर घुटनो के उपर तक आ गयी थी.उसकी गोरी टांगे & जांघों का थोड़ा सा हिस्सा लॅंप की रोशनी मे चमक रहे थे.राजा साहब का लंड पाजामे मे सुगबुगाने लगा.उनकी नज़रे मेनका के जिस्म से हट ही नही रही थी.उनकी आँखों ने उसके पैरों से उसका मुआयना करना शुरू किया और जैसे ही उसके चेहरे तक पहुँची तो उनके माथे पर सलवटें पड़ गयी.मेनका नींद मे थी पर कुच्छ बुदबुदा रही थी,चेहरे पर घबराहट भी झलक रही थी...

चारों तरफ घुप अंधेरा था & मेनका उस वीराने मे अकेली पूरी नंगी भाग रही थी.वो दैत्याकार आदमी काला लिबास पहने था & चेहरे पर भी काला मुखौटा था.वो हाथों मे तलवार ले उसका पीचछा कर रहा था.मेनका बदहवास सी बहुत तेज़ी से दौड़ रही थी पर तब भी उस हैवान को पीछे नही छ्चोड़ पा रही थी.तभी उसका पैर कही फँसता है & वो गिर जाती है.वो काला इंसान उसके पास पहुँच कर तलवार उठाता है,मेनका ज़ोर से चिल्लती है,"बचाओ!बचाओ!..."

"..दुल्हन..दुल्हन..आँखे खोलो...",कही दूर से उसके कानो मे आवाज़ आती है.वो अपनी आँखे खोलती है & वो इंसान जिसे वो ज़रूरत के वक़्त हमेशा अपने पास पाती है-उसका ससुर, उसे अपने उपर झुका पाती है,"..आ गये आप."

राजा साहब मेनका के उपर झुके हुए उसे जगाने की कोशिश कर रहे थे.मेनका ने उचक कर उनके गले मे बाँहें डाल दी & उनसे चिपक गयी,"मेरे पास रहिए.प्लीज़,मुझे छ्चोड़ कर मत जाइए."

राजा साहब संभाल नही पाए & उसे पकड़ते हुए उसके उपर गिर गये.मेनका उनके गले से लगी हुई थी & उनका नंगा सीना मेनका की छातियो पे दबा हुआ था.राजा साहब का चेहरा उसके बालों मे था & उसकी खुश्बू उन्हे मदहोश कर रही थी,मेनका को भी बहुत भला लग रहा था.जिस इंसान के सपने वो देखने लगी थी,आज वो उसकी बाहों मे था.उसने अपना गाल हौले से राजा साहब के गाल पे रगड़ा.उसकी इस हरकत से राजा साहब & नशे मे आ गये& उसे वैसे ही थामे हुए अपना सर उठा कर मेनका को देखा

मेनका की नशीली आँखें & अधखुले होठ उन्हे बुलावा दे रहे थे जिसे उन्होने खुशी के साथ कबूल किया & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए & अपनी बहू को चूमने लगे.मेनका भी उनकी किस का जवाब देने लगी & दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे के होठों का मज़ा उठाते रहे.फिर राजा साहब ने धीरे से अपनी जीभ मेनका के मुँह मे डाल दी,वो तो जैसे इसी इंतेज़ार मे थी & उसने भी अपनी जीभ उनकी जीभ से टकरा दी.अब दोनो पूरे जोश के साथ एक-दूसरे को चूमने लगे.राजा साहब का लंड पाजामे मे पूरा तन चुका था & नीचे मेनका उसे अपनी कमर की साइड मे महसूस कर रही थी,उसकी चूत भी गीली हो गयी थी.दोनो की टाँगें भी नीचे मिल रही थी & राजा साहब अपने पैर से उसके पैरों को सहला रहे थे.

राजा साहब ने अपनी बहू के होठों को छ्चोड़ दिया & उसके गाल चूमते हुए उसकी लंबी गर्दन पर आ गये.वाहा से उनके होठ मेनका के क्लीवेज पर पहुँच गये & राजा साहब ने उस पर किस्सस की झड़ी लगा दी.अपना हाथ पीछे ले जाते हुए उन्होने मेनका की नाइटी का ज़िप खोला & उसे उसके कंधों से नीचे सरकाते हुए उसके सीने से हटा दिया.काले रंग के स्ट्रेप्लेस्स ब्रा मे कसा उसका सीना उसकी तेज़ साँसों के साथ उपर-नीचे हो रहा था.छातियो का उपरी हिस्सा खुला था & निपल्स & नीचे का हिस्सा ब्रा ने छुपा रखा था.राजा साहब ने उसकी चूचियों के उस खुले उपरी हिस्से को चूमना शुरू कर दिया.

"एयेए...आहह..!",मेनका कराही,उसका बदन एक कमान की तरह उपर उठ गया,उसके हाथ अपने ससुर के सर को कस के पकड़े हुए थे.राजा साहब अब उसी जगह पर चूसने लगे थे,मेनका की हालत बुरी हो गयी,चूत तो पहले से ही गीली थी & राजा साहब की इस हरकत ने उसे & पागल कर दिया.राजा साहब वैसे ही चूस्ते रहे & मेनका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.वो झाड़ गयी थी & अभी तक उसके ससुर ने उसकी चूत को तो च्छुआ तक नही था.राजा साहब ने उसकी नाइटी को ओर नीचे सरका कर कमर तक कर दिया.

अब वो उसके पेट को चूम रहे थे,मेनका वैसे ही उनके सर पर हाथ रखे हुए थी.चूमते-2 वो उसके सपाट पेट के बीचो-बीच गोल,गहरी नाभि तक पहुँच गये & अपनी जीभ उसमे फिराने लगे.मेनका फिर से मज़े मे कसमसने लगी.उसके ससुर अपनी जीभ से उसकी नाभि ऐसे चाट रहे थे जैसे वो उसकी चूत हो.यह ख़याल आते ही वो फिर गरम होने लगी.राजा साहब की जीभ उसकी नाभि से निकल कर नाभि & पॅंटी के बीच के हिस्से पर थी & तभी राजा साहब ने पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर चुंबन ठोक दिया.मेनका ने लाज के मारे करवट ले अपने चेहरे को हाथों मे छुपा लिया.

अब राजा साहब के सामने उसकी पीठ थी.वो थोड़ी देर तक उसकी पतली कमर & चौड़ी गांद को निहारते रहे.फिर उन्होने अपना दाया हाथ उसकी कमर पर रख दिया & पीछे से उस से चिपक गये.उनका पाजामे मे क़ैद लंड मेनका की गांद से सटा था & उनका सीना मेनका की पीठ से.उनका हाथ उसकी कमर से फिसलता हुआ उसके पेट पे पहुँचा & उस हाथ की 1 उंगली उसकी नाभि को कुरेदने लगी.मेनका अपनी गांद पे राजा साहब के लंड को महसूस कर रही थी & उसने अपनी गांद पीछे कर के उस दबाव का जवाब दिया.राजा साहब उसकी गर्दन चूम रहे थे & उनका हाथ अब नाभि छ्चोड़ मेनका की ब्रा मे कसी चूचियों को दबा रहा था.मेनका ने अपना दया हाथ पीछे ले जाकर अपने ससुर के सर को पकड़ लिया.तब राजा साहब ने अपना हाथ उसके सीने से हटा लिया & उसमे उसके प्यारे चेहरे को भर कर अपनी तरफ घुमाया & उसे चूमने लगे .काफ़ी देर तक वो ऐसे ही अपनी बहू के होठों का रास्पान करते रहे & नीचे से अपना लंड उसकी गांद पे रगड़ते रहे .

राजा साहब ने उसके होठों को आज़ाद किया & उसे पेट के बल लिटा दिया & उसकी पीठ के 1-1 हिस्से को चूमने लगे.अपने दातों से उन्होने उसके ब्रा के हुक को खोल दिया & चूमते हुए नीचे उसकी गांद तक पहुँच गये.फिर उन्होने उसकी कमर पकड़ कर उसे घुमा कर सीधा पीठ के बल लिटा दिया.मेनका का खुला ब्रा उसके सीने पर अब भी पड़ा था,राजा साहब ने उसे किनारे फेंक दिया.मेनका की दूधिया रंग की बड़ी-2 सुडोल चूचिया & उन पर बने हल्के गुलाबी निपल्स अब उनके सामने थे.मेनका की आँखें शर्म के मारे बंद थी & साँसें और तेज़ हो गयी थी,जिसके कारण उसके उरोज़ उपर-नीचे हो रहे थे & राजा साहब को पागल किए दे रहे थे.

राजा साहब अपनी बहू की चूचियों पर टूट पड़े.वो कभी अपने हाथों से उन्हे दबाते ,मसलते तो कभी अपने होठों से चूमते & चूस्ते.उनकी इन हरकतों ने मेनका के सीने को लव बाइट्स से भर दिया.मेनका ने भी उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया & उचक कर मानो अपना सीना उनके मुँह मे और घुसाने की कोशिश करने लगी.जब राजा साहब का मुँह उसके सीने से हट ता तो उनकी उंगलियाँ उसके निपल्स को मसालने लगती जो कि अब पूरे कड़े हो गये थे.मेनका अब बहुत गरम हो गयी थी & अपनी जांघें एक साथ रगड़ रही थी.उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी जब राजा साहब ने उसकी 1 चूची को अपने हाथ मे भरा & दूसरी को अपने मुँह मे & इतनी ज़ोर से चूस्सा & दबाया कि वो दूसरी बार झाड़ गयी.उसके ससुर ने बिना उसकी चूत छुए उसे 2 बार झाड़वा दिया था.वो अब पस्त हो गयी थी.उसने अद्खुलि आँखों से प्यार से अपनी ससुर को देखा.

राजा साहब उसके सीने को छ्चोड़ अपने घुटनो पर उसकी साइड मे बैठ गये.अपने दोनो हाथ की इंडेक्स फिंगर्स को उसकी सीने के बगलों से बहुत हल्के-2 फिराते हुए उसकी कमर तक ले आए & उन्हे उसकी पॅंटी के वेयैस्टबंड मे फँसा दिया & फिर हौले से उसे उसकी जांघों से सरकाने लगे.मेनका ने शर्म से आँखें बंद कर ली.अब वो अपने ससुर के सामने पूरी नंगी होने वाली थी.उसकी धड़कने तेज़ हो गयी.उसने महसूस किया कि पॅंटी उसकी गांद के नीचे फँस सी रही है तो उसने धीरे से अपनी कमर उठा दी & राजा साहब ने पॅंटी उसके जिस्म से अलग कर दी.

राजा साहब मेनका की खूबसूरती निहार रहे थे.मूठ मारते वक़्त जैसी कल्पना की थी मेनका उस से भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत थी & उसकी छ्होटी सी,गुलाबी,बिना बालों की चूत कितनी प्यारी लग रही थी.उन्होने उसके पैर को उठा कर अपने होठों से लगा लिया & चूमते हुए उसकी जाँघ तक पहुँच गये.मेनका कसमसा रही थी.अब उसे बर्दाश्त नही हो रहा था.वो चाहती थी कि बस अब वो उसकी चूत को अपने मुँह से जी भर कर प्यार करे.

राजा साहब ने उसकी दोनो जांघों को जम कर चूमा & चूसा & उसकी चूचियो की तरह भी यहा भी लव नाइट्स के रूप मे अपने होठों के दस्तख़त छ्चोड़ दिए.मेनका की चूत बस गीली हुए चली जा रही थी.राजा साहब उसकी जांघों को फैला कर उनके बीच लेट गये & अपना मुँह उसकी चूत के आस-पास 1 दायरे मे फिराने लगे.धीरे-2 वो दायरा छ्होटा होने लगा & उनके होठ पहली बार उसकी चूत से जा लगे.मेनका ने अपनी टांगे उनके कंधे पर रख दी थी.अब वो नीचे से अपनी कमर उचकाने लगी.राजा साहब ने अपनी जीभ उसकी चूत की दरार पे फिराई & धीरे से उसे अंदर सरका दिया.

"उउंम....उन्न्ञनह.!,"मेनका पागल हो गयी & अपनी कमर & उचकाने लगी अपने हाथों से अपने ससुर के सर को अपनी जांघों मे भींचने लगी.राजा साहब अब पूरे जोश से उसकी चूत चाटने लगे & उसके दाने पे अपनी जीभ फिराने लगे.ऐसा करते ही मेनका फिर झाड़ गयी पर राजा साहब ने चाटना नही छ्चोड़ा.मेनका की तो हालत अब बिल्कुल ही खराब हो गयी थी. राजा साहब ने उसकी चूत के थोडा अंदर उसके जी स्पॉट को खोज लिया था & वही कभी जीभ से तो कभी उंगली से उसे रगड़ रहे थे.मेनका की चूत तो पानी छ्चोड़ती ही जा रही थी & उसे होश भी नही था कि अब तक वो कितनी बार झाड़ गयी थी.आखरी बार झड़ने के बाद उसने देखा कि राजा साहब उसकी टाँगों के बीच खड़े अपना पाजामा उतार रहे हैं.जैसे ही वो नंगे हुए उसकी आँखें जो अभी तक अधखुली थी आश्चर्य से फैल गयी.

राजा साहब का 7 1/2इंच लंबा & काफ़ी मोटा लंड उसके सामने था.राजा साहब घुटनो के बल उसकी टाँगों के बीच बैठे थे.मेनका सोचने लगी कि वो कैसे इतने बड़े लंड को अपने अंदर लेगी.राजा साहब ने उसकी टाँगें फैला कर उसके घुटनो को मोड़ दिया & अपना लंड उसकी चूत की दरार पर फिराया तो मेनका ने अपना निचला होठ अपने दातों तले दबा लिया.

राजा साहब के लंड का मट्ठा बहुत मोटा था & अब वो उसे हल्के से उसकी चूत मे घुसा रहे थे.दर्द से मेनका की आँखें बंद हो गयी,"आ..हह.",पर राजा साहब ने बड़ी कोमलता से अपने मत्थे को उसके अंदर घुसा दिया.धीरे-2 करके 4 1/2 इंच लंड अंदर चला गया & वो वैसे ही घुटनो पर बैठे उतने लंड को अंदर बाहर करने लगे,अब मेनका का भी दर्द कम हो गया & उसे मज़ा आने लगा.वो अपने ससुर को देखने लगी & दोनो हाथ बढ़ा कर उनकी कलाईयों को पकड़ लिया.राजा साहब ने हल्के धक्कों के साथ अब अपना लंड और अंदर डालना शुरू किया.

मेनका आज तक केवल अपने पति से चूड़ी थी & इस से ज़्यादा अंदर उसका लंड कभी गया नही था.उसे फिर दर्द होने लगा.राजा साहब उसके उपर लेट गये & उसे चूमने लगे & बहुत धीमे-2 धक्कों के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत मे डाल दिया.थोड़ी देर वो स्थिर रहे & बस कभी उसके होठों तो काफ़ी चूचियो को चूमते रहे.मेनका का दर्द जब ख़तम हो गया तो वो नीचे से हल्के से अपनी कमर हिलाने लगी.

राजा साहब ने अपने बहू के इशारे को समझा & अपनी बाहों पे अपने वजन को लेते हुए उसके बदन से उठ गये.उसकी आँखों मे झाँकते हुए अपना पूरा लंड उन्होने ने बाहर खीच लिया & फिर 1 झटके मे अंदर पेल दिया.

"आ...ईईयईए.",मेनका चिल्लाई & अपने ससुर को अपने उपर खींच उनसे लिपट गयी & अपनी टांगे भी उनकी कमर के गिर्द लपेट दी.अब राजा साहब ने धक्के लगा कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.मेनका को बहुत मज़ा आ रहा था.उसे बहुत खुशी हो रही थी कि उसने अपने ससुर का इतना बड़ा लंड अपने अंदर ले लिया था.वो उन्हे चूमने लगी.उसकी चूत आज पूरी भरी थी,राजा साहब का लंड उसकी चूत की आनच्छुई गहराइयों को माप रहा था & ये एहसास उसे और भी पागल किए दे रहा था.उसने अपनी कमर नीचे से हिलाना शुरू कर दिया,राजा साहब ने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी.तभी मेनका उचक कर उनको पागलों की तरह चूमने लगी,उसकी कमर भी तेज़ी से हिलने लगी & वो फिर झाड़ गयी पर राजा साहब अभी भी लगे हुए थे.

मेनका की कसी चूत उनके लंड को पूरा लपेटे हुए थी.अपने पूरे जीवन मे उन्होने ऐसी टाइट चूत नही चोदि थी.उनकी पत्नी की कुँवारी चूत भी ऐसी ना थी.

कमरे मे मेनका की आहो & राजा साहब की साँसों का शोर था.मेनका फिर से गरम हो रही थी.इस लंड ने तो उसे पागल कर दिया था.लगता था जैसे उसकी चूत से होता हुआ सीधे उसकी कोख पे धक्के मार रहा है.उसने फिर अपनी कमर नीचे से हिलाना शुरू कर दिया.अपने ससुर के बदन को उसने अपनी बाहों & टाँगों मे क़ैद कर रखा था.वो अब बहुत तेज़ धक्के लगा रहे थे.उसने जोश मे अपने नाख़ून उनकी पीठ मे गाड़ा दिए,उसकी चूत फिर से पानी छ्चोड़ने वाली थी.नीचे से अपनी कमर और तेज़ी से हिलाते हुए,पलंग से उठ कर वो अपने ससुर के होठों को चूमने लगी...बस वो झड़ने ही वाली थी...राजा साहब को भी अब अपने उपर काबू रखना मुश्किल हो रहा था & वो भी अपनी बहू के चुंबन का जवाब देते हुए & तेज़ी से धक्के लगाने लगे.तभी मेनका का मज़ा चरम सीमा पर पहुँच गया & वो अपने ससुर से चिपक सी गयी,उसके नाख़ून उनकी पीठ मे और धँस गये & उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.तभी उसने महसूस किया कि उसके ससुर ने उसके होठों को अपने होठों मे बुरी तरह कस लिया है & उनका बदन भी झटके खाने लगा & उसे अपनी छूट मे कुच्छ गरम सा महसूस किया...उसके झड़ने के साथ ही उसके ससुर भी झाड़ गये थे & उसकी चूत को अपने वीर्या से लबालब भर दिया था.

थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े अपनी साँस संभालते रहे.फिर राजा साहब उसके उपर से, धीरे से अपना लंड उसकी चूत मे से खीचते हुए उठ गये & बाथरूम चले गये.लंड निकलते ही मेनका को 1 ख़ालीपन का एहसास हुआ.

पर आज वो बहुत खुश थी.चुदाई मे इतना मज़ा मिलता है,उसने तो सपने मे भी नही सोचा था.जितनी बार वो आज झड़ी थी उतनी बार तो वो अपनी पूरी शादीशुदा ज़िंदगी मे भी नही झड़ी थी.विश्वा तो उसे बस मज़े के समुंदर के किनारे पे ला कर छ्चोड़ देता था,पर आज पहली बार अपने ससुर के साथ इस समुंदर की गहराई मे कई बार डूब कर उसने पूरा लुफ्त उठाया था.

वो वैसे ही नंगी पड़ी इन ख़यालों मे खोई थी कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला & राजा साहब बातरोब पहने बाहर आए.उसने मुस्कुरा कर उन्हे देखा पर वो उसे अनदेखा करते हुए लाउंज की ओर जाने लगे.

"सुनिए",वो उठने लगी पर राजा साहब नही रुके.वो दौड़ती हुई उनके सामने जा कर खड़ी हो गयी."क्या हुआ?कहाँ जा रहे हैं?"

"हमसे ग़लती हो गयी है.हमे जाने दीजिए."

"कैसी ग़लती?क्या कह रहे हैं आप?अभी जो भी हुआ उसमे आपके साथ-2 मेरी भी मर्ज़ी शामिल थी.फिर ग़लती कैसी?"

"समझने की कोशिश कीजिए!"

"क्या समझने की कोशिश करू?यही कि जितना मैं आपको प्यार करती हू उतना ही आप भी मुझ से करते हैं?"

"होश मे आइए.अभी जो हुआ वो नही होना चाहिए था."

"मैं पूरे होश मे हू बल्कि अब ही तो मैं होश मे आई हू.अभी जो हुआ उसमे वासना से कही ज़्यादा प्यार था.मैने आपकी आँखों मे मेरे लिए चाहत सॉफ देखी है.क्या ये सच नही हैं या मैं ग़लत हू...आप को भी बस मेरे बदन की भूख थी."

"आप जानती हैं कि हम आपको चाह-..."राजा साहब की अधूरी बात मे दर्द & गुस्सा था.

"तो फिर क्यू जा रहें है हमसे दूर?",मेनका ने उनके कंधों पे अपने हाथ दिए.

"आप...आप..हमारे बेटे की पत्नी हैं.समाज के भी कुच्छ नियम हैं.ये रिश्ता हम कैसे निभा सकते हैं?"

"समाज के नियम...पत्नी..हुन्ह!क्या है समाज के नियम!यही कि आग के चारो तरफ घूम के 7 फेरे ले,सिंदूर लगा कर किसी को भी अपनी पत्नी के शरीर को जब जी चाहे,जैसे चाहे रौंदने का मौका मिल जाता है !मैं नही मानती ऐसे नियम."

"आप समझ नही रही है."

"मैं सब समझ रही हू पर आप नही समझ रहे हैं.आपको समाज का डर है ना.मुझे भी राजकुल की मर्यादा का ख़याल है.आपको वचन देती हू कभी भी उस पर आँच नही आने दूँगी.कल को आपका बेटा ठीक होकर वापस आ जाएगा तो इस मर्यादा के लिए, समाज के लिए मैं उसकी ब्यहता बन जाऊंगी.पर राजा साहब,एक लड़की क्या चाहती है अपने पति से.बस प्यार,विश्वास & इज़्ज़त जोकि आपके बेटे ने मुझे कभी नही दिया.ये सब मुझे आपने दिया है & मैने तन & मन दोनो से आपको अपना पति मान लिया है.कल आपका बेटा वापस आएगा तो दुनिया के लिए मैं उसकी बीवी हूँगी पर मेरी आत्मा पर अगर किसी का अधिकार होगा तो वो बस आपका होगा.आज जो खुशी मैने पाई है वो पहले कभी किसी ने मुझे नही दी.प्लीज़...ये खुशी मुझ से मत छिनिये.चाहे थोड़े दीनो के लिए ही सही-ये...ये 1 सपना ही सही.. मुझे इस सपने मे अपने साथ जी लेने दीजिए...प्लीज़!",मेनका की आँखें छल्छला आई & गला भर गया.

"क्या ग़लत कह रही है?क्या हमे हक़ नही है खुश रहने का & इसने तो हमारे घर मे कदम रखने के बाद बस दुख ही झेले हैं...और उसके कुच्छ ज़िम्मेदार तो हम भी हैं....क्या हुमारा फ़र्ज़ नही बनता इसकी इच्छाओं का मान रखने का.",राजा साहब के मन मे सवाल उठ रहे थे.

मेनका उनसे अलग हो उनकी तरफ पीठ कर सूबक रही थी.राजा साहब ने उसे अपनी तरफ घुमाया & ठुड्डी पकड़ कर उसके झुके चेहरे को उपर किया,"हम भी आपको वचन देते हैं जब तक इस शरीर मे जान है तब तक आपकी हर खुशी का ख़याल रखेंगे & इन आँखों मे आज के बाद हुमारी वजह से आँसू नही आएँगे.",राजा साहब ने उसके चेहरे पर बनी आँसू की लकीरों को अपने होठों से मिटा दिया & उसे अपनी बाहों मे भर लिया.मेनका उनके सीने मे मुँह छुपा फिर सुबकने लगी मगर इस बार आँसू खुशी के थे.

थोड़ी देर बाद जब वो चुप हो गयी तो उसने अपने ससुर की आँखों मे झाँका & अपने लिए सिर्फ़ प्यार पाया,"आइ लव यू.",कह कर उसने उनके होठ हल्के से चूम लिए.फिर उनका बातरोब साष खोल कर उतार दिया & उन्हे बेड पे ले गयी.

राजा साहब लेट गये तो वो भी उनकी बगल मे लेट गयी.

राजा साहब पीठ के बल लेट गये & मेनका उनकी बगल मे करवट ले कर लेट गयी.दोनो के होठ 1 बार फिर जुड़ गये.राजा साहब की एक बाँह मेनका की कमर के गिर्द थी & उनका 1 हाथ उसकी कमर & गांद को सहला रहा था & दूसरा उसकी छातियो को.मेनका की उंगलियाँ उसके ससुर के सीने के बालों से खेल रही थी.काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे.

फिर मेनका ने उनके होठों को छ्चोड़ उनके चेहरे को चूमना शुरू किया & चूमते हुए नीचे उनके सीने तक आ पहुँची.उसके होठ पहले तो हल्के से राजा साहब के काले निपल्स को छेड़ते रहे पर फिर अचानक उन्होने उन काले निपल्स को अपनी रेशमी गिरफ़्त मे भींच लिया.मेनका अपने ससुर के निपल्स चूसने लगी & वो अपने हाथ उसकी गांद & छाती से हटा उसके सर पर ले आए.उन्हे बहुत मज़ा आ रहा था.

मेनका उनके सीने को चूमते हुए उनके सीने के बालों का पीचछा करते हुए नीचे जाने लगी & उनके लंड तक पहुँच गयी.लंड फिर से पूरा तना हुआ था.मेनका उसे एक तक निहारने लगी.कुच्छ देर पहले राजा साहब ने इसी लंड के सहारे उसे जन्नत की सैर कराई थी.उसने एक हाथ बढ़ा कर उसे अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.राजा साहब उसे देख रहे थे.लंड इतना मोटा था कि उसका छ्होटा सा हाथ उसे पूरा नही घेर पा रहा था.

मेनका को अपने ससुर का लंड बहुत प्यारा लग रहा था.वो उसे अपने मुलायम हाथों से पकड़ धीरे-2 सहलाने लगी....उसका चेहरा धीरे-2 करके लंड की ओर झुकता जा रहा था.उसने और झुक कर लंड के टोपे को बहुत हल्के से चूम लिया.उसे खुद पर बहुत हैरानी हुई.उसका पति यही चाहता था पर उसे इतनी घिन आती थी,सोचने भर से ही उसे उबकाई आती थी....वो अपने पति से उलझ भी पड़ी थी & सॉफ इनकार कर दिया था उसके लंड को अपने मुँह मे लेने से.

पर उसे आज कोई घिन महसूस नही हो रही थी बल्कि आज तो उसे ये सबसे नॅचुरल बात लग रही थी.जिस इंसान ने उसे प्यार, इतना सुख दिया था,उसके लंड को प्यार करना तो एक स्वावाभिक बात थी & फिर ये लंड कितना प्यारा लग रहा था..इतना बड़ा..इतना मोटा...अफ....यही सब सोचते हुए उसने लंड को इस बार थोड़ा & ज़ोर से चूम लिया.राजा साहब की आँखें नशे से बंद हो गयी & उनकी पकड़ अपनी बहू के सर पर & मज़बूत हो गयी.उनकी पत्नी ने ये कभी नही किया था & जिन रंडियों के पास जाते थे,वो तो पैसे के लिए कुच्छ भी कर सकती थी.ये पहली बार था जब किसी औरत ने अपनी मर्ज़ी से उनके लंड पे मुँह लगाया था.

मेनका ने अपने ससुर की टांगे फैलाई & उनके बीच अपने घुटनो पे बैठ गयी,अपने हाथों मे लंड को पकड़ा & होठ उस पर कस दिए.राजा साहब ने आँखे खोली & सामने का नज़ारा देख कर & गरम हो गये.मेनका का काले बालों से घिरा चेहरा उनके लंड पर झुका था,उसने नज़रे उठाई तो उसके गुलाबी होठों मे लिपटा उनका लंड उन्हे दिखा.घुटने पे झुके होने की वजह से उसकी चौड़ी गांद हवा मे उठ गयी थी.राजा साहब उसके बालों मे उंगलिया फिराते रहे &जोश से पागल होते रहे.

मेनका ने उनकेसुपादे को कस कर चूस लिया तो राजा साहब की आह निकल गयी.अब वो पूरे जोश के साथ उनका लंड चूसने लगी.वो उनका पूरा का पूरा लंड निगल जाना चाहती थी पर वो उसके छ्होटे से मुँह मे आ नही रहा था.मेनका ने उसे मुँह से निकाला & उसे चूमने लगी.सूपदे के उपर लंड के छेद से चूमती वो लंड की जड़ तक पहुँच गयी.राजा साहब की झाँते भी उसके होठ छ्छू रही थी.उसने उनके अंडों को हाथ मे ले कर दबाया तो राजा साहब ने जोश मे अपनी कमर उचका दी.

मेनका ने पहले 1 & फिर दूसरे अंडे को अपने मुँह मे ले कर चूस लिया.राजा साहब तो पागल हो गये.उन्होने अपनी बहू का सर पकड़ अपने लंड पर दबा दिया.मेनका ने उनके आंडो को छ्चोड़ अबकी लंड की जड़ से चूमना शुरू किया & सूपदे तक पहुँच गयी.इसी तरह चूम कर & चूस कर राजा साहब को पागल कर दिया.वो बेचैनी से अपनी कमर हिला रहे थे.मेनका समझ गयी कि अब उसके ससुर को अपने उपर काबू रखना मुश्किल हो रहा है.उसने अपने मुलायम हाथों से नीचे से लंड को पकड़ा& हिलाने लगी.हिलाते हुए उसने अपने होठ लंड के उपर लगा दिया & चूसने लगी.

राजा साहब इस दो तरफे हमले से पागल हो गये.उनके आंडो से एक सैलाब चल कर उनके लंड से बाहर निकलने को बेताब होने लगा,उन्होने मेनका के सर को पकड़ अपने लंड पर & दबा दिया,"..हम...झड़ने वाले हैं...",उन्हे लग रहा था कि पता नही मेनका उनका पानी अपने मुँह मे लेना चाहे या नही.वो सोच रहे थे कि अब वो अपना मुँह हटा अपने हाथों से उन्हे झाड़वा देगी.

पर उनकी आशा के विपरीत मेनका ने अपने होठों की पकड़ & मज़बूत कर दी & और तेज़ी से उनके लंड को चूसने & हिलाने लगी.राजा साहब के सब्र का बाँध टूट गया,उनका शरीर झटके खाने लगा & नीचे से कमर हिला कर उन्होने अपनी बहू के मुँह को अपने पानी से भर दिया.मेनका उनका सारा वीर्या पीने लगी.उसने चूस-2 कर उनके लंड से विर्य की 1-1 बूँद निचोड़ ली.

राजा साहब झाड़ कर हान्फ्ते हुए लेट गये.उनका लंड सिकुड रहा था & मेनका उसे चाट कर सॉफ करने लगी.मेनका बहुत हैरान थी,उसने सपने मे भी नही सोचा था कि कभी वो ऐसे किसी लंड को मुँह मे लेगी & उसका पानी भी पी जाएगी....&वो भी अपने ससुर का.ऐसा सोचते ही उसे थोड़ी शर्म भी आ गयी.उसने लंड को अपने मुँह से अलग किया & धीमे से नज़रे उठा कर अपने ससुर से मिलाई.

राजा साहब को ऐसा मज़ा कभी भी महसूस नही हुआ था.उन्होने मेनका को अपनी ओर देखता पाया & हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर लिटा लिया,फिर करवट ले उसे अपनी बगल मे किया & बाहों मे भींच कर उसके चेहरे पर चुम्मों की झड़ी लगा दी.फिर उसके चेहरे को अपने हाथों मे लिया & उसकी काली,बड़ी-2 आँखों मे झँकते हुए उनके होठों से निकला,"आइ लव यू...मेनका."

शर्म & खुशी की लाली मेनका के चेहरे पर छा गयी & उसने अपने ससुर के सीने मे मुँह छुपा लिया.थोड़ी ही देर मे दोनो नींद के आगोश मे चले गये.

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