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Thursday, August 21, 2014

मेनका "ससुर बहु की प्रेम कहानी-10



मेनका की आँख खुली तो उसने पाया कि वो करवट से लेटी हुई है & उसके ससुर भी वैसे ही लेते हैं.उनके होठ उसकी एक चूची से चिपके हुए थे & दूसरी को अपने हाथ से मसल रहा था.उसने खिड़की की ओर देखा तो पर्दे के पीछे अभी भी अंधेरे का एहसास हुआ.तभी राजा साहब ने उसके निपल को ज़ोर से चूस लिया,"ऊओ...ओवववव.",मेनका ने आह भरी & राजा साहब को उपर लेती हुई पीठ के बल लेट गयी.राजा साहब के लिया बस इतना इशारा काफ़ी था,उन्होने मेनका की टांगे अपने घुटनो से फैलाई & अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.

"आ...आह.",मेनका को फिर अपनी चूत मे वो मीठा दर्द महसूस हुआ.उसने अपने ससुर को अपनी बाहों & टाँगो मे भीच लिया & उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी.राजा साहब उसकी चूचियो को छ्चोड़,उसके होठों पर झुक गये & एक बार फिर अपनी बहू की चुदाई मे जुट गये.
सवेरे मेनका की नींद खुली तो उसने पाया कि वो बिस्तर पे अकेली नगी पड़ी हुई है,राजा साहब वाहा नही थे.उसने घड़ी देखी तो 8 बज रहे थे.वो जल्दी से उठी,11 बजे डील साइनिंग के लिए पहुँचना था.वो बिस्तर से उतरने लगी तो उसका ध्यान अपनी चूचियो & जांघों पर गया.राजा साहब ने दोनो जगहों पर अपने होठों के निशान छ्चोड़ दिए थे.वो शर्मा गयी पर उसकी नज़रे राजा साहब को ढूँढने लगी.

बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी.वो वैसे ही नंगी उस तरफ चल पड़ी,हाथ लगाया तो पाया कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला था.उसे धकेल कर वो अंदर दाखिल हुई तो देखा कि राजा साहब शेव कर रहें हैं,उनकी कमर के गिर्द 1 तौलिए के अलावा & कोई कपड़ा नही था.उन्होने घूम कर मेनका की तरफ देखा & मुस्कुरा दिए.

मेनका उनकी तरफ बढ़ने लगी.उसके ससुर की नज़रे उसके जिस्म के 1-1 अंग का मुआयना कर रही थी.उसके गाल शर्म से लाल हो गये,"ऐसे क्या देख रहे हैं?",वो उनके सामने खड़ी हो गयी.

"देख रहें हैं कि आपको धरती पर भेज कर भगवान आज कितना पछ्ता रहा होगा."

"धात!कैसी बातें करते हैं."

राजा साहब ने हल्के से उसके होठों को चूम लिया.तभी नीचे उसके पेट पे कुच्छ चुबा तो उसने देखा कि राजा साहब के तौलिए के अंदर उनका लंड खड़ा हो गया था & उसे छेड़ रहा था.मेनका ने हाथ बढ़ा कर तौलिए को राजा साहब के बदन से अलग कर दिया.

फिर वो झुक कर बैठ गयी,लंड उसकी आँखों के सामने था.राजा साहब सोच रहे थे कि फिर वो उन्हे मुँह मे लेगी पर मेनका ने ऐसा कुच्छ ना किया,हाथ बढ़ा कर वॉशबेसिन के बगल मे रखे शेविंग फोम के कॅन को उठा लिया & उस से फोम निकाल कर राजा साहब के लंड & टट्टों के आस-पास के बालों पर लगा दिया.फिर उनके हाथ से उनका रेज़र लिया & बड़ी सावधानी से राजा साहब की सारी झाटों को सॉफ कर दिया.

राजा साहब की धड़कन तेज़ हो गयी थी.काम पूरा कर मेनका उठी & उनके गालों पे बची शेव पूरी करने लगी,"कल रात प्यार करते वक़्त आपके इन बालों हमे बहुत तंग किया.",उसने एक हाथ से उनके लंड के पास की जगह को छुते हुए कहा.राजा साहब तो जोश से पागल हो गये.

उन्होने उसके हाथों से रेज़र छ्चीन कर फेंक दिया & उसे उठा कर वॉशबेसिन के बगल मे बने पलटफ़ॉर्म पे बिठा दिया,उसके घुटने मोड़ उसकी टाँगो को चौड़ा किया & अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया,"आ...अहह..."मेनका उनके सीने से लग गयी & दोनो फिर चुदाई का मज़ा उठाने लगे.वॉशबेसिन के उपर बने शीशे मे मेनका की नंगी पीठ की परच्छाई देख कर राजा साहब & गरम हो गये,उन्होने अपने हाथों मे उसकी चूचियाँ भींच ली.मेनका दर्द से तड़प कर उनसे चिपक गयी,"औ...च!",अपने नाख़ून उनकी पीठ मे गाड़ा दिए & टांगे कमर पर कस दी.

राजा साहब ने हाथ चूचियो से हटा उसकी गांद की फांकों पर कस दिए & काफ़ी ज़ोर के झटके मारने लगे.इस पोज़िशन मे उनका लंड मेनका की चूत की दीवारों से ही नही रगड़ खा रहा था बल्कि उसकी चूत के दाने को भी रगड़ रहा था.मेनका भी अब अपनी कमर हिलाने लगी.वो सातवे आसमान मे पहुँच गयी थी.अपने ससुर की मर्दानगी की तो वो कायल हो गयी.कल रात ये शख्स 3 बार झाड़ा था पर अभी भी उसे ऐसे चोद रहा था जैसे पहली बार कर रहा हो.उसकी कमर और झटके खाने लगी & वो अपने ससुर से & चिपक गयी.....उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया था...वो झाड़ चुकी थी.राजा साहब को पता चल गया कि उनकी बहू झाड़ गयी है तो उन्होने भी 3-4 ज़ोर के धक्के मारे & 1 बार फिर से अपनी बहू की चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.

थोड़ी देर दोनो वैसे ही एक-दूसरे से लिपटे,एक दूसरे को चूमते सहलाते रहे.फिर राजा साहब ने उसकी चूत से अपना लंड खींचना शुरू किया तो मेनका ने सवालिया नज़रो से उन्हे देखा,"डील साइन करने भी तो जाना है",उन्होने अपना लंड बाहर निकाल लिया,"जल्दी तैय्यर हो जाइए",उसके होठों को चूमा & बाथरूम से बाहर चले गये.

मेनका थोड़ी देर तक वैसे ही बैठी रही,वो इस एहसास से बाहर ही नही आना चाहती थी.पर डील के लिए भी तो जाना था.वो उठी & नहाने की तैय्यारि करने लगी.
थोड़ी देर बाद राजा साहब & मेनका नाश्ते के लिए होटेल के रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे.होटेल के शॉपिंग एरिया से गुज़रते हुए मेनका को एक ख़याल आया,"आप चलिए,हम अभी आते हैं."

"अरे,क्या बात हो गयी?पहले तो नाश्ता तो कर लें फिर शॉपिंग कर लेना."

"प्लीज़!आप चलिए ना.हम बस यूँ गये & यू आए."

"ओके.जैसी आपकी मर्ज़ी.",राजा साहब रेस्टोरेंट मे 1 टेबल पर बैठ गये & नाश्ते का ऑर्डर कर दिया.वो थोड़ी देर पहले होटेल सूयीट के कंप्यूटर पे पढ़े डॉक्टर.पुरन्दारे के ई-मैल के बारे मे सोचने लगे.उन्हे इस बात की तसल्ली थी कि विश्वा भी ठीक होना चाहता है पर शादी मे उसका विश्वास ना होने वाली बात से वो थोड़े चिंतित थे.वो मेनका को प्यार नही करता था,ये जान कर उनके मन के किसी कोने मे बहुत खुशी पैदा हुई थी पर वो जानते थे कि मेनका & उनका रिश्ता विश्वा के लौटने तक ही रह सकता है...."खैर,जब विश्वा आएगा तो देखेंगे..",उन्होने एक ठंडी आह भरी."अभी तक दुष्यंत ने भी कोई खबर नही दी है.",वो सोच रहे थे.

अब आप सोचेंगे कि ये दुष्यंत कौन है.दुष्यंत वर्मा उन गिने-चुने लोगों मे से है जो राजा साहब को उनके नाम से पुकार सकते हैं.दोनो बोरडिंग स्कूल & कॉलेज मे साथ पढ़े थे & पक्के दोस्त थे.दुष्यंत वेर्मा 1 सेक्यूरिटी &डीटेक्टिव एजेन्सी चलाते थे जिसके क्लाइंट्स हिन्दुस्तान की जानी-मानी हस्तियाँ थी.राजा साहब ने उनसे उस इंसान का पता लगाने को कहा था जो उनके बेटे को ड्रग्स सप्लाइ करता था.उनकी सख़्त हिदायत थी कि इस पूरी जाँच को सीक्रेट रखा जाए & दुष्यंत,उनके इस काम पे लगे स्टाफ & राजा साहब के अलावा किसी को भी इस बात की भनक ना लगने पाए.ऐसा वो इसलिए चाहते थे क्यूकी उन्हे पूरा यकीन था कि इसके पीछे जब्बार का हाथ है & इस बार वो उसे आखरी सबक सिखाना चाहते थे.

"अरे,क्ये सोच रहें है?खाते क्यू नही?",मेनका उनके सामने बैठी उनकी आँखों के आगे हाथ फिरा रही थी.वो अपने ख़यालों मे इतना खोए थे कि वो कब आई & वेटर कब खाना सर्व कर गया,उन्हे पता ही ना चला.

"कुच्छ खास नही,बस ऐसे ही.चलिए शुरू कीजिए.",दोनो नाश्ता करने लगे

जहा राजा साहब अपने दुश्मन को सबक सिखाने के ख़यालों मे डूबे थे वही उनका दुश्मन भी उनकी बर्बादी के इरादे से शहर आ पहुँचा था.आइए चल कर देखते हैं कि वो क्या कर रहा है.

शहर के बाहरी हिस्से मे जहा रोज़ नये फ्लॅट्स बन रहे हैं,वही 1 अपार्टमेंट कॉंप्लेक्स है जो कि अभी तक पूरी तरह से बसा नही है,उस कॉंप्लेक्स का 1 फ्लॅट जब्बार का शहर का अड्डा है.उसका फ्लॅट ग्राउंड फ्लोर पर है & उस बिल्डिंग के बाकी फ्लोर्स अभी खाली पड़े हैं.अभी दोपहर के वक़्त भी यहा वीरानी च्छाई है.बस एक लंबा-चौड़ा शख्स चलता हुआ उस फ्लॅट की ओर आ रहा है.

आप उस इंसान के बगल से भी गुज़र जाएँ तो आप कुच्छ खास बात नही नोटीस कर पाएँगे पर जब मैं आपसे पुछुन्गा कि उसकी शक्ल कैसी थी तब आपका ध्यान जाएगा कि आप पास से गुज़रते हुए भी उसका चेहरा सॉफ-2 नही देख पाए थे.जी,हाँ ये कल्लन है.सर पर कॅप,आँखों पे काला चश्मा,बदन पे जॅकेट जिसका कॉलर उठा हुआ है ताकि कोई भी उसका हुलिया ना जान पाए.

देखिए वो कॉल बेल बजा रहा है.चलिए देखते हैं क्या होता है...

बेल सुन मलिका ने दरवाज़ा खोला,"ओह,तुम हो",एक कातिल मुस्कान उसने कल्लन की तरफ फेंकी.,"जब्बार तो बाहर गया है."

"मैं वेट करूँगा.",कल्लन ने अंदर आकर जॅकेट,चश्मा & कॅप उतार दिया था.उसके बाल फिर से बढ़ गये थे & चेहरे पर दाढ़ी भी वापस आ गयी थी.

"ड्रिंक लोगे?",मलिका अपनी गांद मतकाते हुए बार की तरफ बढ़ी,कल्लन की तरफ उसकी पीठ थी & वो जान बुझ कर अपनी गांद थोड़ी ज़्यादा लचका रही थी.उसने 1 टॉप पहना था जो कि उसकी छातियो के बड़े साइज़ के कारण बहुत कसा हुआ था & उसके निपल्स का आकर सॉफ दिख रहा था,नीचे 1 मिनी स्कर्ट थी & जब वो चल रही थी तो तो उसमे से उसकी नंगी गांद का थोड़ा सा हिस्सा झलक रहा था.

बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए,वो बार पर आके ड्रिंक तैय्यार करने लगी.तभी कल्लन ने उसे पीछे से अपने मज़बूत बाज़ुओं मे जाकड़ लिया & टॉप के उपर से ही उसकी छातिया मसल्ने लगा.

"औच्च!...आ .....ज़ालिम ज़रा आराम से...तो तुझमे भी आग है...मैने तो सोचा था कि तू तो बर्फ की तरह ठंडा है...एयेए...अहह.",कल्लन ने उसके गले मे काट लिया.अब उसके हाथ मलिका के टॉप के अंदर उसकी चूचियों & उन पर बने कड़े हो चुके निपल्स को मसल रहे थे.

मलिका ने 1 हाथ पीछे ले जाकर कल्लन के गले मे डाल दिया & अपना चेहरे घुमा कर उसे चूमने लगी,दूसरा हाथ उसने उस की पॅंट की ज़िप पर रख दिया."उफ़फ्फ़.....बहुत बड़ा लगता है तेरा...",उसके होठों को छ्चोड़ते हुए मलिका बोली & पॅंट की ज़िप खोल लंड को बाहर निकाल लिया.उसने सर नीचे कर देखा,सचमुच कल्लन का लंड बहुत बड़ा था.

बड़े लंड मालिका की कमज़ोरी थी.जब्बार का लंड बहुत मोटा था पर लंबाई कुच्छ खास नही थी.जब्बार की ख़ासियत थी उसका स्टॅमिना जो कि मलिका जैसी हर वक़्त गरम रहने वाली लड़की की प्यास बुझाने मे बहुत काम आता था.पर मलिका की नज़रों मे बड़े लड की बात ही कुच्छ और थी & वो कभी भी ऐसे लंडो को अपनी चूत मे लेने से नही चूकती थी.

उसने अपने हाथ से कल्लन के लंड को रगड़ना शुरू कर दिया,लंड देख ते ही उसकी चूत गीली हो गयी थी.कल्लन अब आपे से बाहर हो गया उसने मलिका के दाये घुटने को मोडते हुए उसकी जाँघ उठा कर बार पर रख दिया & वैसे ही खड़े-2 अपना लंड उसकी चिकनी चूत मे पेल दिया.

"आआ....ईिईययईईए!....फाड़ देगा क्या?....थोड़ा धीरे घुसा ना...ऊओवव्व!",उसकी बातें कल्लन को और दीवाना कर रही थी & उसने अपना पूरा लंड उसके अंदर घुसा दिया & धक्के मारने लगा."हा...अन्न....ऐसे ..ही....ज़ोर से....है....और...ज़ोर से कर...ना..!"

मलिका भी अपनी गांद हिला कर उसका पूरा साथ दे रही थी,उसकी एक बाँह कल्लन की गर्दन को घेरे थी & दूसरी बाँह पर उसके बदन को सहारा दे रही थी.कल्लन का एक हाथ उसकी चूचिया मसल रहा था & दूसरे की उंगलिया चूत के दाने को रगड़ रही थी,होठ कभी उसके चेहरे,कभी होठ चूचियों पे घूम रहे थे.बहुत ज़ोर की चुदाई चल रही थी...

"ट्र्न्न्न!",कॉल बेल चीख उठी तो दोनो चौंक गये & मलिका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.कल्लन की कमर ने भी 2-3 झटके खाए & उसका लंड मलिका की चूत मे झाड़ गया.

मलिक ने बार से 1 नॅपकिन उठाया & कल्लन से अलग हो गई.दरवाज़े तक जाते हुए उसने अपनी जांघों पर बह आए कल्लन के & अपने पानी को सॉफ कर लिया.दरवाज़े पर जब्बार था.

अंदर आया तो उसने देखा की कल्लन सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था.थोड़ी देर पहले मचे वासना के तूफान का नाम ओ निशान उसके चेहरे पर नही था.

"क्यू बुलाया था?",उसने जब्बार से पुचछा.

"1 छ्होटी-सी मछ्लि हाथ लगी है जिसके ज़रिए हम बड़ी मछ्लि तक पहुँच सकते हैं.",उसने मलिका के हाथ से ड्रिंक लेते हुए जवाब दिया.,"हमे बहुत शॉर्ट नोटीस पर भी काम करने को तैय्यार रहना होगा.आज से तुम यही रहो पर ध्यान रहे किसी को इस बात का पता नही चलना चाहिए कि तुम यहा हो.",जब्बार कह तो कल्लन से रहा था पर उसकी नज़रे मलिका पर थी जो कि बड़े सोफे पर लेट कर उनकी बातें सुन रही थी.

"अब क्या करना है?",कल्लन अपना खाली ग्लास फिर भरने के लिए उठा.

"उस छ्होटी मछ्लि को चारा डालना है.",जब्बार मलिका की तरफ देख कर कुटिलता से मुस्कुराया

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