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Wednesday, December 03, 2014

shemale thakurain



हमारे गांव के चौधरी साहब का नाम विजयबाहादुर सिंह है और चौधराइन का नाम माया देवी है। चौधरी साहब की उम्र लगभग 45 की थी । चौधराईन की उम्र भी लगभग 43 की थी । चौधराईन माया देवी पुरुषों के बराबर की लम्बी तगड़ी पर बेहद गोरी चिटटी व सुन्दर महिला थी । माया देवी, प्रभावशाली व्यक्तित्व के अलावा एक स्वस्थ भरे-पूरे शरीर और की मालकिन भी हैं। 

अच्छे खान पान तथा मेहनती दिनचर्या से उनके बदन में सही जगहों पर भराव है । सुडौल मांसल बाहें , बेहद गुदाज बदन तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियो, कमर पतली पर केले के खम्भों जैसी मोटी भरी भरी मांसल जांघे, भारी बड़े बड़े उभरे हुए नितंबं के कारण बुरी न लग के मादक लगती हैं और पीछे से तो गुदाज पीठ के नीचे भारी चूतड़ भी गजब ढाते हैं । सुंदर रोबदार चेहरा तेज तर्रार पर नशीली आंखे तो जैसे दो बोतलें शराब पी रखी हो । 

वह अपने आप को खूब सजा संवार के रखती हैं। घर में भी बहुत तेज-तर्रार अन्दाज मे बोलती हैं और सारे घर के काम वह खुद ही नौकरो की सहायता से करवाती हैं । उन्होंने अपनी जागीरी के सारे पद का भार गांव की औरतों को दे रखी थी, क्योंकि उन्हें मर्दों से ज्यादा भरोसा औरतों पर था ।

उसने सारे घर को एक तरह से अपने कब्जे में कर रखा है। उसकी सुंदरता ने उसके पति को भी बांध कर रखा है शुरू से ही उसके ऊपर पूरा हुकुम चलाती थी । चौधरा व चौधराईन दोनो ही बहुत रंगीन मिजाज थे और वो दोनो ही एक दूसरे के कामों में दखल नही देते थे ।

माया देवी कुछ ज्यादा ही गरम लगती हैं। उसका नाम ऐसी औरतों में शामिल है जो पायें तो खुद मर्द के ऊपर चड़ जाये। गांव की लगभग सारी औरते उनको मानती हैं और कभी भी कोई मुसीबत में सनेफँ पर उन्हें ही याद करती है । पर एक राज गहरी राज छिपी हुई थी उनमें । जिसे महल के कुछ खास लोगों को पता था । 

दरअसल शादी के 10 साल बीत जाने पर भी चौधराईन की कोख सुनी रही । बडे-बडे डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी दोनों को निराशा ही मिली । सन्तान की चाह ने दोनों को हर व तरीका अपनाने के लिए मजबुर कर दिया था जो कानुनन गैर था । 

हर व रास्ता अपनाने के बाद जब बच्चा नहीं हुआ तो एक दिन हिमालय से आए एक बाबा के यहां चौधराईन गईं और उन्हें अपनी समस्या बताई । और साधु महाराज ने चौधराईन की ईलाज शुरु कर दी । उन्होंने दोनों को धर्य से काम लेने को कहा, और कहा कि सब उपर वाले की ईच्छा है ।

दिन बितते चले गए, साधु बाबा ने चौधराईन को ईलाज के सारे तरीके बता कर वापस हिमालय लौट गए । 
ईलाज बडी जरों से चल रहा था । इसी बिच चौधराईन की चुत दिन व दिन सिकुडता चला गया, पर दोनों बाबा की बात मानते हुए धर्य बांधकर ईलाज चालू रखा । नतीजा ये हुआ की, चौधराईन की पूरा सिकुड गया और उस स्थान पर एक लंड पनपने लगा । इतना कुछ होने के बाद भी चौधरी और चौधराईन कोई चमत्कार होने की आशा में साधु बाबा के कहे ईलाज जारी रखा ।

चमत्कारी तो हुई नहीं लेकिन एक ही हफ्ते में चौधराईन की लंड बढकर 5 इंच का हो गया, बिल्कुल चौधरी साहव के लंड के बराबर । मजबुरन चौधरी साहव ने ईलाज बंद कर माया देवी को डॉक्टर के पास ले गए । पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी । 

डॉक्टर ने अपनी असर्थता जाहिर करते हुए कहा-
"आप लोगों ने आने में बहुत देर कर दी, अब कुछ नहीं हो सकता । ढोंगी बाबा की बात मान कर आप बहुत बडी गलती कर दी, आपकी लंड पुर्ण-विकसित हो चुका है । इसे आपकी शरीर से हटाना अब सम्भव नहीं... आपकी जान को खतरा हो सकता है । पर कोई परेशानी की बात नहीं, लंड के साथ भी आप आराम से जिन्दगी बिता सकतीं हैं ।"

और इस तरह बिचारी चौधराईन पहले तो बडी असमंजसता में पडी, लेकिन जब लंड से एक नयी सुखद अनुभूती मिली तो उनकी सारी गिले-शिकवे दुर हो गईं । और लंड से मजा लेना शुरु कर दी । फिर एक ही साल में चौधराईन की लंड बढ कर विशाल रुप ले लिया । पहले से ही व ज्यादा गरम रहती थीं.... और अब माया देवी अपनी सारी गरमी लंड पर महसूस करने लगी ।

इसके बाद चौधरी साहव ने अपनी अलग सी दुनिया बसा लिया था । काम-वासना के मांमले में भी वह बीवी से थोड़ा उन्नीस ही पड़ता था सो अगर चौधराइन ने कभी हाथ धरने दे दिया तो ठीक नहीं तो गांव की कुछ अन्य औरतों से भी उसका सम्बन्ध था । चौधरी बेचारा तो बस नाम का ही चौधरी है असली चौधरी तो चौधराइन हैं। 

गांव के वैद्यराज पन्डित सदानन्द पान्डे चौधराइन के गाँव के थे और पंडिताईन चौधरी साहब को अपना भाई मानती हैं । उनके घर में तीन ही सदस्य हैं, एक पुरूष जिसकी उम्र 58 साल है और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी जिनकी उम्र 48 के करीब है, उनकी एक बेटा 30 साल का है ! पंडिताईन बहुत सुन्दर हैं, अधेड उम्र में भी वदन एकदम कसा हुआ गठीला था । बिल्कुल 29 साल की छोरीयों की चरह मस्त माल है ! मस्त चूचे मोटे-मोटे, बड़ी गाण्ड ! कुल मिला कर बिल्कुल काम की देवी लगती है। उनकी चूचियाँ 38 इन्च की होंगी और गांड 40 इन्च के करीब ! गांव के सारे मर्द पंडिताईन को चोदने को सोचते रहते थे । वैसे औरतें भी उनकी गठीले गदराये बदन को देख के ललचा जाती थीं ।

दिन इसी तरह बीत रहे थे। चौधरी सबकुछ चौधराइन पर छोड़ बाहर अपनी ही दुनिया में अपने में ही मस्त रहते हैं । अगर घर में होते भी तो सबसे बाहर वाले हिस्से में ही रहते हैं वहीं वे अपने मिलने वालों और मिलने वालियों से मिलते हैं । चौधराइन का सामना करने के बजाय नौकर से खाना मंगवा बाहर ही खा लेते और वहीं सो जाते ।

दरअसल चौधरी रोज रात मे हवेली की किसी एक औरत को चोदने के लिये बुलवाता था लेकिन सप्ताह मे एक बार अय्यासी का दरबार लगाता था। चौधरी साहब की हवेली में हमेशा तीन खूबसूरत नौकरानियॉ चहकती रहती थी। तीन नौकरानी नीरा बेला और शीला चौधरी विजयबहादुर सिंह की चहेती थी। जब पहली बार इन तीनों को एक साथ बुलवाया था तो इनके आदमी फरियाद लेकर चौधराईन के पास गये थे। 

चौधराईन के पूछने पर बेला के पति बलदेव उर्फ बल्लू ने डरते हुए कहा –
“मालकिन अभी तक तोग चौधरी साहब हम मे से किसी एक की औरत को अपनी सेवा मे बुलवाते थे हमे कोई एतराज नहीं क्योंकि हमारा तो काम ही आप सबकी सेवा करना है और हमारी औरतो की तरह हम सब भी दोस्त हैं सो अगर तीन मे से दो भी घर मे हो तो हमारा भी काम चल जाता था क्योंकि हम सब भी मर्द हैं हमें भी रात मे औरत की जरूरत पड़ती है।”



सुनकर चौधराईन मुस्कुरायी उन्होंने एक भरपूर नज़र तीनों मर्दोंपर डालीऔर मुस्कुराते हुए बोली –
“ ठीक तुम लोग अभी काम से आये हो थके होगे नहाधो आओ तुम्हारा इन्साफ़ होगा।”

जब वे नहाधोकर आये तो देखा चौधराईन के कमरे मे उनके पलंग से अलग एक बहुत बड़ा गददा बिछा है उसपर गाव तकिया लगाए चौधराईन मुस्कुराते हुए अपनी पीठ के बल अधलेटी हैं उनके बदन पर कपड़ों के नामपर सिर्फ़ पेटीकोट ब्लाउज थे। जिसमें से उनका गदराया गुलाबी बदन जगह जगह से झॉक रहा था। उनके बड़े गले के लोकट ब्लाउज में से उनके बड़े बड़े उरोज फ़टे पड़ रहे थे इन तीनों को देखकर मुस्कुराते हुए बोली –
“आओ आओ बैठो बैठो। अब मुझे विस्तार से बताओ कि चौधरी साहब के कमरे मे तुमने क्या देखा।”

तीनो ने एक दूसरे की तरफ़ देखा फिर नन्दू ने कहना शुरू किया –
“अब क्या बताये मालकिन मैने देखा चौघरी साहब की नंगी गोद में नीरा पेटीकोट ऊपर किये अपने बड़े बड़े गुदाज नंगे चूतड़ों के बीच में उनके साढे सात इंची हलव्वी लण्ड को दबाये बैठी थी।”

चौधराईन मुस्कुराते हुए बोली –
“अरे तेरा हिसाब साफ़ करना तो बहुत ही आसान है।”

यह कहकर उन्होंने खीचकर उसे बगल में बैठा लिया और झटके से उसकी धोती खीचकर निकाल दी फिर अपने दोनों हाथों से धीरे धीरे अपना पेटीकोट ऊपर उठाने लगी पहले उनकी पिण्डलियाँ फिर मोटी मोटी चिकनी गोरी गुलाबी जांघें बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ दिखे और फिर एक 8 इंच का लन्ड लहराता हुआ चौधराईन की मांसल जांघों के मध्य से बाहर निकल आया । चौधराईन की गदराई चुतडों के मघ्य से घने झांटों से भरा लन्ड देखकर तीनों दंग रह गये । उनको समझ नहीं आया अब चौधराईन के साथ किस तरह से पेश आएं ।

चौधराईन अपनी पूरा पेटीकोट ऊपर समेट कर लंड को मुठ्ठी में भर नन्दू की नंगी गोद में बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ों को रखकर बैठ गयीं। फिर बोली –
“अब बताओ फिर क्या हुआ।”

पहले तो चौधराईन का यह बडा सा लंड देख कर सबके जोश ठंडा पड गया, पहली बार वे किसी औरत की लंड देख रहे थे । लेकिन उनकी यह दोहरी मस्ताना रूप देखकर कुछ ही पल में उनकी हिम्मत दुगनी जोश क साथ बढी और धीरा बोला –
“हमने देखा चौधरी साहब के एक तरफ़ शीला और दूसरी तरफ़ बेला बैठी थी । साहब के हाथ उनकी गरदनों के पीछे से होकर उनके ब्लाउज में घुसे हुए थे और उनके उरोजों से खेल रहे थे।”

चौधराईन चहकी –
“अरे ये तो और भी आसान है आ जाओ दोनों फ़टाफ़ट।”

इतना सुनना था कि दोनों चौधराईन की तरफ झपटे । चौधराईन के ब्लाउज में एक तरफ से धीरा ने हाथ डाला और दूसरी तरफ से बल्लू ने । चौधराईन के ब्लाउज के बटन सारे के सारे खुल गये और उनके बड़े बड़े खरबूजों जैसे गुलाबी स्तन बाहर आ गये। धीरा और बल्लू अपने दोनों हाथों से उनके एक एक विशाल स्तन को थाम कर उनके निप्पल को कभी चूसने लगते तो कभी अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच मसलने लगते।

उधर नन्दू का लण्ड चौधराईन के बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतडों के बीच साँप की तरह लम्बा होकर उनकी बडे-बडे अंडों तक फैल रहा था। व चौधराईन की गोरी गदरायी कमर को सहलाते हुए उनके गुदगुदे चिकने पेट और नाभी को टटोल रहा था और उनकी गोल नाभी में उंगली डाल रहा था । चौधराईन सिसकारी भरते हुए बोली–
“आ.हहहह... बताओ .......आगे क्या हुआ ।”

धीरा और बल्लू चौधराईन के बड़े बड़े स्तनों को मसलते हुए बोले–
“पता नहीं मालकिन क्योंकि फिर हम चले आये आपके पास फ़रियाद लेकर।”

चौधराईन ने चुटकी ली –
“अभी तो कह रहे थे कि तुम भी मर्द हो क्या अन्दाज़ा नहीं लगा सकते।”

यह कहते हुए उन्होंने झटसे उनकी धोतियॉं खीचकर निकाल दी अब उनके नीचे के बदन बिलकुल नंगे हो गई
उन लोगों ने देखा कि चौधराईन की लन्ड बार-बार हवा में ऊपर-नीचे हो रहा है । चौधराईन की हवा में लहराते फौलादी लन्ड देखकर तीनों मस्त हो रहे थे । फिर चौधराईन ने अपने दोनों हाथों में उनका एक एक लण्ड थाम लिया और सहलाने लगी ।

चौधराईन के ऐसा करने से वे और भी जोश में आ गये और उनकी बड़ी बड़ी चूचियॉं को जोर-जोर से दबाने और उनके निप्पल को कभी चूसने कभी चुभलाने लगे । तभी नन्दू ने चौधराईन की तनी लंड को मुठ्ठी में भर लिया और सुपाडी पर अपनी अंगुली चलाने लगा, चौधराईन के मुंह से एक सिसकारी सी निकली वो अपने होंठों को दांतों में दबाये थी । वह अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। वह नन्दू को उत्साहित कर रही थी । नन्दू का लण्ड भी तन रहा था।

अचानक चौधराईन उठ गयी और पलट कर नन्दू की तरफ घूम कर फिर से उसकी गोद में बैठ गयीं । चौधराईन की मोटी-मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच में उनकी फौलादी लण्ड का सुपाड़ा की नन्दु की लंड की तरफ़ मुंह उठाये था । नन्दू भी उत्तेजन में अपन आप से बाहर हो रहा था, उसने झपट़कर दोनों हाथों में चौधराईन की बड़ी बड़ी चूचियों दबोच ली और उठकर उनपर मुंह मारने लगा ।

अब चौधराईन ने नन्दू के लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा अपनी चौडी गांड के भूरे छेद पर धरा और धीरे-धीरे पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया फिर बरदास्त करने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी पहले धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किये जब मजा बढ़ा तो उन्होंने अपने दोनों हाथों में धीरा और बल्लू का एक एक लण्ड थाम लिया और वो सिसकारियॉं भरते हुए उछल-उछल कर धक्के पे धक्का लगाने लगी ।

चौधराईन के बड़े-बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ नन्दू के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे, साथ में चौधराईन की बडी सी लंड नंदु के पेट में रगड खा रहे थे ।

करीब आधे घंटे तक की उठापटक में नन्दू ने चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली और दुसरे हाथ से चौधराईन की लंड को जोरों से मुठिया रहा था । तभी नंदु उनके चूतड़ों को दबोच कर अपने लण्ड पर दबाते हुए गांड की जड़ तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा तभी चौधराईन के मुँह से जोर से निकला –
"उम्म्म्म्म्म्म्म्हहहहह.......हह "हहह।

चौधराईन जोर से उछली और अपनी उभरी गांड में जड़ तक नन्दू का लण्ड धॅंसा लिया और चुतड को लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए नंदु की लंड से निकले पानी का मजा लेने लगी ।

धीरा व बल्लू के लण्ड अभी भी उन्होंने अपने हाथों में पकडे हुए थे जो बुरी तरह फनफना रहे थे । यह हालत देखकर चौधराईन मुस्करायी और अपनी लंड को सहलाते हुए बोली–
“घबराओ नहीं मैं अभी झड़ी नहीं हूँ और एक रात में मैं कम से कम दो राउण्ड चोदाई तो करती ही हूँ , अभी मैं तुम दोनों की गांड मारुंगी ।"

बल्लू ने डरे हुए नजरों से धीरा और चौधराईन की तरफ देखा और बोला-
"मालकीन मैं तो हम लोग तो कभी अपनी गांड नहीं मराई है हमसे गलती हो गई....।"

"साले गांड क्या मर्द ही मार सकते हैं !!! बडे आए थे मेरी चुत मारने !!! एक-एक की गांड मारके छोडुंगी मैं, बहुत दिन हो गए गांड छेद में लंड पेले हुए ।" गुस्से से चौधराईन बोली ।

“तो फिर ठीक है मालकिन आप अभी आधे रास्ते पर हो सो अभी धीरा निपटा लो ।" बल्लु ने कहा ।

फिर चौधराईन मुस्कराते हुए बोली-
“अच्छा ये बात है तो फिर तैयार रहना ।”

चौधराईन धीरा को इशारे से बुलाया । धीरा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म और लाल पड़ गयी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था वह उनके निप्पल को अपने मुंह मे लेकर चुभलाने और अपनी जीभ से खेलने लगा । चौधराईन ने अपनी नंगी नर्म चिकनी संगमरमरी जांघों को अलग किया और अपनी तनी लंड को मुठियाती हुई बोली-
"आजा प्यारे धीरा मेरी लंड तैयार ह।"


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