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Wednesday, November 05, 2014

satela 9

थोड़ी देर तक अपना लंड चुस्वाने के बाद समीर असली काम पर आ गया , उसने अपने बाकी के बचे खुचे कपडे उतार फेंके और रश्मि को भी पूरा नंगा कर दिया..

और एक ही झटके में उसकी चूत के अंदर अपना लंड पेलकर उसे चोदने लगा.. उसके रसीले और थरथराते हुए चूतड़ अपनी जांघ पर महसूस करते हुए समीर कि मस्ती कि कोई सीमा ही नहीं रही 

दोनों को नंगा देखकर एक पल के लिए तो काव्या भी शरमा गयी.. 

अपनी माँ को हालाँकि उसने कई बार नहाते हुए या कपडे बदलते हुए देखा था, पर इस तरह से नहीं, पूरी नंगी होकर वो किस तरह से बिहेव कर रही थी 

और श्वेता ने तो सोचा भी नहीं था कि सेक्स करते हुए एक दूसरे के साथ इतने मजे आते हैं, उसने आज तक सिर्फ अपने बी ऍफ़ के साथ शोकिया तौर पर किस्स वगेरह ही कि थी, अपनी ब्रैस्ट और चूत पर तो उसने किसी को हाथ भी नहीं लगाने दिया था 

पर आज इतनी तरह से सेक्स कि कार्यवाही देखकर उसके मन कि भी कई शंकाए मिट सी गयी थी.. 

समीर का लंड अंदर - बाहर होता जा रहा था और अचानक रश्मि को अपने अंदर एक गुबार बनता हुआ महसूस होने लगा और अगले ही पल वो गुबार फूट गया और वो बिलबिलाती हुई सी झड़ने लगी ..

''अययययीईईईईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्हह्हह्हह्हह ''

और उसने अपनी चूत के मुहाने पर चिपचिपा सा द्रव्य छोड़ दिया, उसकी चिपचिपाहट को अपने लंड पर महसूस करके समीर ने भी आखिरी मौका आते ही अपना लंड बाहर निकाला और पिचकारी बना कर उससे रश्मि के शरीर को पूरा रंग दिया 



और उसके मुम्मों के गद्दे पर गिरकर गहरी साँसे लेने लगा..

काव्या और श्वेता वहाँ से निकल कर अपने कमरे में आ गए.. 

पर समीर को पता था कि अभी तो ये शुरुवात है, इतने सालो से जमा कि हुई एनेर्जी से कम से कम तीन - चार बार चोदना था उसे आज रात रश्मि को ..

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