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Wednesday, November 05, 2014

sautela 5

और तब रश्मि ने ये सुझाव दिया कि ऐसे मौके को सेलेब्रेट करना तो बनता है और तब समीर ने अपने आलिशान बंगले में एक पार्टी रखी जहाँ काव्या ने पहली बार समीर को देखा था 

तब तक रश्मि के लिए समीर के मन में एक सॉफ्ट कार्नर तो बन ही चूका था और वो मन ही मन उसे अपना जीवनसाथी बनाने के सपने देखने लगा, क्योंकि अब वो भी अपनी बोर सी लाइफ से तंग आ चूका था, और पिछले कुछ दिनों से रश्मि कि तरफ से मिल रही केअर कि वजह से समीर को पूरा विश्वास हो गया था कि वो उसकी जिंदगी और घर को अच्छी तरह से सम्भाल सकती है 

पर काव्या से मिलने के बाद उसे ये एहसास हुआ कि रश्मि कि टीनेजर लड़की है जो ऐसा कभी नहीं चाहेगी कि उसकी माँ इस उम्र में शादी करे और इसलिए उस वक़्त काव्या से सीधे मुंह बात भी नहीं कि थी समीर ने 

धीरे-२ वक़्त गुजरने लगा, समीर कि आँखों में छुपे प्यार को रश्मि ने भी कई बार महसूस किया था, पर अपनी औकात और समाज में उसकी जगह उसे भी पता थी, 

समीर का एक वकील दोस्त था, लोकेश दत्त , जिसके साथ वो अपनी सारी बाते शेयर करता था 

और ऐसे ही एक दिन जब दोनों दोस्त बैठे हुए जाम छलका रहे थे तो समीर ने अपने दिल कि बात उसे बता दी

लोकेश : "यार समीर, ये तो तूने बहुत अच्छी बात सोची है, तू जल्द से जल्द इस मामले को निपटा डाल''

समीर : "पर यार .... एक प्रॉब्लम है , उसकी एक टीनेजर लड़की है, और मुझे डर है कि कहीं उसके डर से रश्मि मुझसे शादी करने के लिए मना न कर दे , या फिर वो लड़की अपनी माँ को शादी करने कि परमिशन ना दे ''

लोकेश : "यार, तू भी कैसी दकियानुसी बातों को लेकर बैठा है, तू एक बार रश्मि से बात तो करके देख, अपनी बेटी को मनाना उसका काम है, और मुझे विश्वास है कि अपनी बेटी के सुनहरे भविष्य के लिए वो मान जायेगी और अपनी बेटी को भी मना लेगी ''

और इस तरह से अपने दोस्त कि बात सुनकर समीर ने हिम्मत करके अपने दिल कि बात रश्मि को कह दी

रश्मि के लिए ये बात एक शॉक जैसी ही थी, उसने समीर कि आँखों में अपने लिए लगाव तो देखा था, पर वो लगाव इतना होगा कि वो उसे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए कहेगा, उसने सोचा भी नहीं था 

पर साथ ही समीर ने ये भी कहा कि काव्या कि रजामंदी के बिना कोई निर्णय मत लेना, और वैसे भी रश्मि ऐसा करना नहीं चाहती थी 

वो एक सही मौके कि तलाश करने लगी , जब वो अपनी बेटी को वो सच्चाई बताये जिसके बाद दोनों कि जिंदगी पूरी तरह से बदल जाने वाली थी 

और आज अपनी बेटी का साथ पाकर उसने चैन कि सांस ली थी 

उसने अपना मोबाइल निकला और वैसे ही नंगी लेटे हुए समीर को फ़ोन मिलाया

समीर : "हेल्लो रश्मि, इस वक़्त कैसे फ़ोन किया , सब ठीक तो है न ''

रश्मि कि समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे बताये 

वो मंद मंद मुस्कुराती हुई हूँ हाँ करती रही बस

और फिर आखिर में उसने बोल ही दिया : "मैंने काव्या से बात कि थी आज ''

समीर : "अच्छा, क्या ,,,क्या बोली वो ??"

उसकी धड़कने बड़ गयी 

रश्मि : "वो, वो मान गयी और काफी खुश भी थी वो ''

रश्मि कि बात सुनकर समीर ने भी चैन कि सांस ली 

उसे अपनी बंद आँखों के पीछे रश्मि अपने घर में दुल्हन के लिबास में नजर आने लगी

उसने जल्द ही शादी कि फॉर्मेलिटी पूरी करने कि बात करते हुए फ़ोन रख दिया, वैसे भी शादी कोर्ट में होनी थी, इसलिए ज्यादा ताम झाम कि जरुरत ही नहीं थी

उसने लोकेश को फ़ोन करके सारे बंदोबस्त करने के लिए कहा

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