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Wednesday, November 05, 2014

sautela 11

काव्या कि चूत के अंदर भी अब खुजली होने लगी थी, पहले तो उसने अपनी माँ को समीर सर यानि समीर पापा से चुदते हुए देखा, और फिर अपनी सहेली कि निराली चूत देखि और अब फिर से अपनी माँ कि उन्माद में डूबी आवाजें सुनकर उसके अंदर भी कुछ होने लगा था, उसे लगने लगा कि उसके अलावा आस पास के सभी लोग मजे ले रहे हैं, जब सभी मजे ले रहे हैं तो वो अपने आप को क्यों रोक रही है. 

इतना सोचते ही उसकी आँखों में गुलाबी डोरे उतर आये, उसके लाल सुर्ख होंठ काम्पने लगे और उसका छोटा सा हाथ लहराकर अपनी चूत कि तरफ चल पड़ा.. 

वो सोच रही थी कि अभी एक मिनट पहले वो श्वेता को भाषण दे रही थी और अब खुद पर काबू नहीं रख पा रही है.

उसकी परेशानी भांप कर मुठ मारती हुई श्वेता बोली : "अब क्या सोचने लग गयी, मत रोक अपने आप को, यही टाइम है हमारी जिंदगी का, जी ले इसे , मजे ले, जैसे मैं ले रही हु, तेरी माँ ले रही है ''.

इसी के साथ एक और चीख आयी मम्मी के कमरे से.

श्वेता : "वैसे एक बात बोलू, तेरे पापा का लंड है शानदार, जैसा बी ऍफ़ मूवीज में होता है, लम्बा और मोटा , मैं तो बस उसी को सोचकर कर रही हु ,आजा तू भी कर ले ''.

श्वेता कि भी हद थी, काव्या के सामने ही उसके नए पापा के लंड के बारे में बात कर रही थी और उसे भी सोचने और करने कि सलाह दे रही थी. 

कितना गलत कर रही थी वो.

पर इसमें गलत ही क्या है..

वो उसके असली पापा थोड़े ही हैं, वो तो उसका सौतेला बाप है , एक ऐसा इंसान जिसका कुछ दिन पहले तक उसकी जिंदगी में नामो निशान नहीं था, एकदम से वो उसका बाप बनकर उसकी जिंदगी में आ गया है.. 

वैसे श्वेता ठीक कह रही है, उसके पापा का लंड है तो कमाल का, लम्बा और मोटा, जैसा हर लड़की सोचती है, दुसरो का तो पता नहीं पर वो जरुर सोचती है..

वो ये सब सोच ही रही थी कि श्वेता ने आगे बढ़कर उसका हाथ खींचा और अपनी गोद में बिठा लिया. 

वो खुद सोफे पर बैठकर अपनी चूत मसल रही थी.. 

काव्या भी बिना किसी विरोध के उसके साथ खींचती चली गयी.. 

एक हाथ से अपनी चूत मसलते हुए श्वेता ने दूसरे हाथ को जैसे ही काव्या कि चूत के ऊपर लगाया वो सिसक उठी. 

श्वेता : "ओह माय गोड, तेरी चूत तो बुरी तरह से गर्म हवा फेंक रही है , चल जल्दी से उतार इसको ''..

और उसने अपना हाथ चूत से निकालकर काव्या का खड़ा किया अपने सामने और उसका पायजामा धीरे-२ नीचे खिसका दिया..

उसने पिंक कलर कि पेंटी पहनी हुई थी, जिसके आगे का हिस्सा चिपचिपे पानी से लिसढ़ कर बुरी तरह से गिला हो चूका था , श्वेता ने उसकी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया.

उसके स्तन भले ही छोटे थे पर गांड का भराव बिलकुल सही हुआ था, चिकने और भरवां चूतड़ देखकर श्वेता अपने आप को रोक नहीं पायी और उन्हें मसल-मसलकर मजे लेने लगी 

उसकी कुंवारी चूत पर हलके फुल्के बाल थे , जिन्हे देखकर श्वेता बोली : "कावी डार्लिंग, मैंने तुझे एक बार पहले भी समझाया था न कि इसे हमेशा साफ़ रखा कर''.

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