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Wednesday, November 05, 2014

sautela 12

उसकी बात का काव्या ने कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि इस वक़्त उसकी चूत में जो आग लगी हुई थी वो उसके बारे में ही सोच रही थी.. 

श्वेता ने अपनी चूत से निकली ऊँगली को उसकी चूत पर फेराया , जिसे महसूस करते ही काव्या अपने पंजो पर खड़ी होकर सुलग उठी और एक हलकी सी चीख उसके मुंह से भी निकल आयी.. 

''आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''..

श्वेता के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी..

और अगले ही पल बिना किसी वार्निंग के श्वेता ने वही ऊँगली उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी .


काव्या ने अपनी आँखों को फैलाते हुए, अपने मुंह को गोल करते हुए, एक हुंकार भरी और अपने दोनों हाथों से श्वेता के हाथ को थाम लिया और अपने पंजो पर खड़ी होकर गहरी-२ साँसे लेने लगी.

उसने आज तक इतनी अंदर तक अपनी ऊँगली भी नहीं धकेली थी, डर के मारे कि कहीं उसकी सील न टूट जाए, और आज श्वेता ने कितनी बेदर्दी से उसकी चूत के अंदर अपनी ऊँगली डाल दी है, कहीं कुछ हो न जाए.. 

ऐसा सोचते हुए उसने धीरे-२ उसके हाथ को बाहर कि तरफ खींचा, और उसकी ऊँगली को गोर से देखने लगी.

श्वेता समझ गयी कि उसके मन में क्या चल रहा है. 

वो बोली : "अरी पागल, इतनी सी ऊँगली डालने से कुछ नहीं होता, उस झिल्ली को तोड़ने के लिए लंड चाहिए लंड …… समझी ''.

काव्या ने धीरे से सर हिलाया और उसकी ऊँगली को फिर से अपनी चूत के मुहाने पर रखकर खुद ही अंदर धकेल दिया , और इस बार जब वो ऊँगली रगड़ खाती हुई अंदर तक गयी तो उसका रोम रोम पुलकित हो उठा , ऐसी फीलिंग उसे आज तक नहीं हुई थी, परम आनंद , जिसे शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता. 

उसकी चूत के अंदर ऊँगली डालने के बाद श्वेता ने दूसरे हाथ कि ऊँगली अपने अंदर डाल ली और एक ही लय में दोनों हाथ हिलाने लगी. 

श्वेता : "ऐसे सिर्फ आँखे बंद करने से कुछ नहीं होगा, तू किसी के बारे में सोच, ऐसे किसी लड़के के बारे में, किसी हीरो के बारे में जिसके लंड को तू इस समय अपने अंदर महसूस करना चाहती है, और मेरी ऊँगली को वही लंड समझकर मजे ले बस ''.

बंद आँखों के पीछे काव्या ने काफी कोशिश कि पर ऐसा कोई भी इंसान उसकी सोच में नहीं आया जिसके बारे में सोचकर वो इस पल का मजा ले सके , उसने तो आजतक किसी के बारे में ऐसा नहीं सोचा था और ना ही किसी के लंड कि तरफ कभी देखा था, पर आज तो उसने अपने समीर पापा का लंड देख लिया, पहली बार लंड देखा और वो भी अपने बाप का , और उनके लंड के बारे में सोचते ही काव्या के शरीर में एक अजीब सी ऐठन आने लगी और वो श्वेता कि ऊँगली को समीर पापा का लंड समझ कर उसके ऊपर लहराने लगी.. 

और मजे कि बात ये थी कि श्वेता भी समीर के लंड के बारे में ही सोचते हुए मास्टरबेट कर रही थी. 

और साथ वाले कमरे में रश्मि समीर का लंड सच में लेकर मजे कर रही थी. 

देखा जाए तो एक ही बन्दा तीन-२ चूतों को एक साथ मजे दे रहा था. 

श्वेता के तो दोनों हाथ बिजी थे पर काव्या बिलकुल खाली थी , और ऐसी हालत में आते ही अनायास उसका दांया हाथ अपनी ब्रेस्ट कि तरफ चला गया और उसने अपना चीकू बुरी तरह से मसल डाला.. 

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म '' ...

अपने ही हाथो दर्द पाने का मज़ा अलग ही होता है .

और आज अपने अनछुए उरोजों को दबोचकर जो दर्द काव्या फील कर रही थी, उसमे एक अलग ही मजा आ रहा था उसे.. 

उसकी सिसकारी सुनकर श्वेता ने भी अपनी आँखे खोली और उसकी ख़ुशी का कारण जानकार उसने उसका दूसरा हाथ अपनी ब्रेस्ट के ऊपर रख दिया.

और फिर काव्या को समझाने कि जरुरत नहीं पड़ी कि आगे क्या करना है, 

उसने श्वेता का भी भोम्पू बजाना शुरू कर दिया.. 

श्वेता कि ब्रेस्ट उसके मुकाबले काफी बड़ी थी, इन्फेक्ट उसकी मम्मी के जितनी थी , लगभग 34 के आस पास, और उसकी तो अभी 32 भी नहीं हुई थी ढंग से. 

उसने मन ही मन सोचा कि काश उसकी ब्रेस्ट भी श्वेता के जैसी बड़ी और मुलायम होती क्योंकि लड़को को तो बड़ी-२ ब्रेस्ट ही लुभाती है. 

श्वेता के निप्पल खड़े होकर बुरी तरह से मचल रहे थे और यही हाल काव्या के निप्पलस का भी था, एक तो वो इतने लम्बे थे ऊपर से जो खुजली अभी उनमे हो रही थी उसका तो मन कर रहा था कि उन्हें नोच कर कोई खा जाए बस

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